अर्थव्यवस्था

अंतरिम बजट 2024: लखपति दीदी बनने में कैसे सहयोग करती है केंद्र सरकार?

Raju Sajwan

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में देश में तीन करोड़ लखपति दीदी के लक्ष्य की घोषणा की है। पहले यह लक्ष्य दो करोड़ था, जबकि अब तक केंद्र सरकार ने देश में एक करोड़ लखपति दीदी बनने में मदद की है। लेकिन आखिर यह लखपति दीदी क्या है? क्या सच में यह योजना महिलाओं को लखपति बना रही है। 

सबसे पहले अक्टूबर 2021 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को प्रति वर्ष कम से कम 1 लाख रुपये कमाने में सक्षम बनाना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय ने अगले 2 वर्षों में 2.5 करोड़ ग्रामीण स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आजीविका सहायता प्रदान करने की योजना बनाई थी। 

लेकिन बाद में 15 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि वह देश में दो करोड़ लखपति दीदी देखना चाहते हैं। इसी का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह लक्ष्य बढ़ा कर 3 करोड़ किया जाएगा।    

इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का हिस्सा बनाया गया था। इसके तहत महिलाओं को कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों से लेकर पशुधन, गैर-लकड़ी वन उत्पाद के अलावा घरेलू स्तर की आजीविका गतिविधियों के लिए तीन लाख रुपए तक का लोन देने का प्रावधान किया गया। साथ ही, महिलाओं को प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान था, ताकि महिलाओं को लगातार एक लाख रुपये की सालाना आय हो सके।

बजट भाषण में सीतारमण ने बताया कि अभी देश में 83 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे नौ करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं। ये स्वयं सहायता समूह ग्रामीण क्षेत्र के सामाजिक व आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। 

दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जून 2011 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करना और उनके सफल होने तक लगातार उनका पोषण और सहयोग करना है। मिशन चरणबद्ध तरीके से सभी ग्रामीण गरीब महिलाओं तक पहुंचने का प्रयास करता है, जिनकी अनुमानित संख्या 10.0 करोड़ है। 

इस कार्यक्रम के तहत स्वयं सहायता समूह और उनके सहयोगियों को उनकी आजीविका बढ़ाने के लिए रिवॉल्विंग फंड और सामुदायिक निवेश निधि के जरिए वित्तीय सहायता दी जाती है। महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर बैंकों से 3 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त करने के लिए ब्याज सहायता का भी प्रावधान है।