लद्दाख से इन मजदूरों को एयर लिफ्ट करके लाया गया है। फोटो: twitter @HemantSorenJMM  
अर्थव्यवस्था

स्टोरी इम्पैक्ट- लद्दाख में फंसे मजदूरों को एयरलिफ्ट कर रही झारखंड सरकार

लद्दाख में फंसे मजदूरों की दास्तान डाउन टू अर्थ ने प्रकाशित की थी

DTE Staff

आनंद दत्त

झारखंड सरकार अपने मजदूरों को हवाई मार्ग से ला रही है। ये मजदूर लेह, लद्दाख, करगिल जैसे दुर्गम इलाके में फंसे हुए थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पहली खेप में कुल 60 मजदूर वापस आ रहे हैं। ये सभी झारखंड के दुमका जिले के रहनेवाले हैं। सुबह दस बजे तक सभी मजदूरों को लेह एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया। जहां स्क्रीनिंग के बाद 2 बजे विशेष विमान से यात्री दिल्ली पहुंचे। यहां से फिर शाम के छह बजे एक और विमान से वह रांची के लिए उड़ान भर रहे हैं। रात आठ बजे इनके रांची एयरपोर्ट पर आने की सूचना है। इसके बाद सभी मजदूरों को उनके जिलों के लिए भेज दिया जाएगा। ये सभी मजदूर वहां सड़क निर्माण की एक कंपनी में काम करते थे।

एक मजदूर शिवम ने डाउन टू अर्थ को फाेन पर बताया कि वह जीवन में पहली बार हवाई जहाज की यात्रा कर रहा है। कुसपदिया गांव के राजेश कुमार ने बताया कि वह बहुत खुश है। उम्मीद नहीं थी कि वह घर जा भी पाएगा। जॉन पॉल हांसदा ने बताया कि सितंबर में काम करने आए थे। झारखंड सरकार की वजह से वह घर जा रहे हैं और हवाई यात्रा कर पा रहे हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि प्रवासी मजदूरों से घर वापसी का किराया नहीं लिया जाए। इस आदेश के बाद झारखंड सरकार ने इन 60 मजदूरों का किराया खुद वहन किया है। इस दौरान लद्दाख सरकार के अधिकारियों ने भी झारखंड के अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत किया और मदद की।

इन मजदूरों की व्यथा बीते 11 मई को डाउन टू अर्थ ने लद्दाख में फंसे हैं 150 से ज्यादा पहाड़िया और संताली आदिवासी शीर्षक से खबर छापी थी. इसके बाद उन मजदूरों से संपर्क कर राज्य सरकार लद्दाख सरकार की मदद से उन्हें मदद पहुंचाई। इस बीच केंद्र से हवाई यात्रा की अनुमति लेने की प्रक्रिया लगातार जारी रही. इस दौरान दो निजी विमान कंपनियों से भी संपर्क किया गया। इन सब प्रयासों के बाद इन प्रवासी मजदूरों की वापसी सफल हो रही है।

जानकारी के मुताबिक लगभग 200 लोग अभी भी लद्दाख में फंसे हुए हैं। वहीं 319 लोग अंडमान निकोबार से घर वापस आने के लिए विमान का इंतजार कर रहे हैं। बीते कुछ दिनों से सीएम हेमंत सोरेन इन प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए प्रयासरत थे. इसी क्रम में उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने संबंधित राज्यों से झारखंड के लिए विमान सेवा की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

यही नहीं, बीते 28 मई को मुंबई से 174 प्रवासी मजदूरों का एक जत्था झारखंड पहुंचा। हालांकि इनके पहुंचने में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के पूर्ववर्ती छात्रों का योगदान रहा। पूर्व छात्रों ने अपने पैसे से मजदूरों के टिकट, यात्रा, यात्रा के लिए परमिशन आदि की व्यवस्था की। राज्य सरकार और प्रवासी मजदूरों ने इन मददगारों का शुक्रिया अदा किया है।

इधर ट्रेनों से भी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक 3.15 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंच चुके हैं। इसमें अधिकतर को होम क्वारंटीन कर दिया जा रहा है। हालांकि अभी तक इनके आने का सिलसिला जारी है। राज्य सरकार की ही ओर से दी गई एक और जानकारी के मुताबिक राज्य के बाहर ऐसा 8 लाख लोग हैं, जिन्होंने झारखंड सरकार से लॉकडाउन के दौरान संपर्क किया है।