अर्थव्यवस्था

आम बजट 2021: उधार से आता है बजट का सबसे ज्यादा पैसा और ब्याज पर होता है सबसे ज्यादा खर्च

Bhagirath

आम बजट पेश हो चुका है और सभी अपने-अपने हिसाब से गणना कर रहे हैं कि उन्हें बजट से क्या मिला। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि बजट की प्राप्तियां और व्यय किस प्रकार होता है। यानी बजट में रुपया कहां से प्राप्त होता है और कहां खर्च होता है। बजट दस्तावेज में यह बहुत आसान शब्दों में समझाया गया है।

कुल प्राप्तियां

बजट का सार दस्तावेज बताता है कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में रुपए में सबसे अधिक 36 पैसे उधार और अन्य देयताओं से प्राप्त होने का अनुमान है। यानी जिस बजट को पेश किया गया है, उस राशि का सबसे बड़ा हिस्सा उधार और अन्य देनदारियों से प्राप्त होगा। इसके बाद माल और सेवा कर (जीएसटी) का नंबर है जिससे एक रुपए में 15 पैसे हासिल होंगे। एक रुपए में 14 पैसे आयकर से प्राप्त होंगे। निगम कर की हिस्सेदारी रुपए में 13 पैसे रहेगी। इसके बाद आठ पैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क से हासिल होंगे, 6 पैसे कर भिन्न राजस्व, ऋण भिन्न पूंजी प्राप्तियों और 3 पैसे सीमा शुल्क से प्राप्त होंगे।

हर साल कुल प्राप्तियों की तस्वीर बदलती रहती है। उदाहरण के लिए 2020-21 के बजट में रुपए में 20 पैसे उधार और अन्य देनदारियों से आए थे। निगम कर और जीएसटी का योगदान 18-18 प्रतिशत था। पिछले साल कुल बजट में आयकर से प्राप्त होने वाली आय रुपए में 17 पैसे थी।

कुल व्यय

अगर हम बजट खर्च की बात करें तो बजट की सबसे बड़ी राशि ब्याज की अदायगी पर खर्च होती है। 2021-22 के बजट को देखें तो एक रुपए में 20 पैसे ब्याज की अदायगी पर खर्च होंगे। इसके बाद केंद्रीय बजट का बड़ा हिस्सा यानी एक रुपए में 16 पैसे करों व शुल्कों के रूप में राज्यों को जाएंगे। केंद्र क्षेत्र की योजनाओं में एक रुपए में 13 पैसे खर्च होते हैं, वहीं केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर एक रुपए में 9 पैसे खर्च होंगे। 10 पैसे वित्त आयोग व अन्य भुगतान में जाएंगे। आमतौर पर माना जाता है कि बजट का एक बड़ा हिस्सा सब्सिडी के रूप में खर्च होता है लेकिन बजट दस्तावेज बताता है कि एक रुपए में केवल नौ पैसे ही सब्सिडी के रूप में खर्च होंगे। बजट के दस पैसे अन्य व्यय मद पर, आठ पैसे रक्षा पर व्यय और पांच पैसे कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन पर खर्च होंगे।

वित्त वर्ष 2020-21 की बात करें तो एक रुपए में 20 पैसे करों व शुल्कों के रूप में राज्यों को दिए गए थे। 18 पैसे ब्याज की अदायगी पर खर्च हुए थे। केंद्र की योजनाओं में भी पिछले साल 13 पैसे खर्च किए गए थे। आर्थिक सब्सिडी पर खर्च एक रुपए में छह पैसे था। यानी मौजूदा वित्त वर्ष में सब्सिडी पर होने वाले खर्च में वृद्धि हुई है।