अर्थव्यवस्था

आर्थिक सर्वेक्षण 2020: खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल से बढ़ी महंगाई

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई 2018 से शहरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) ग्रामीण सीपीआई से लगातार ऊंची रही है

Bhagirath

वर्तमान वित्त वर्ष में खाद्य पदार्थों की कीमत में उछाल से खाद्य मुद्रास्फीति काफी बढ़ गई। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई 2018 से शहरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) ग्रामीण सीपीआई से लगातार ऊंची रही है। इसका अर्थ है कि शहरों में महंगाई दर ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले अधिक रही है। यह पहले के रुझानों से अलग है। पहले ग्रामीण मुद्रास्फीति ग्रामीण मुद्रास्फीति से अधिक रहती थी। ग्रामीण मुद्रास्फीति में कमी की वजह किसानों की आय में गिरावट है।

खाद्य मुद्रास्फीति

अप्रैल से दिसंबर 2019 तक सभी समूहों में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत थी, जबकि अप्रैल से दिसंबर 2018 के बीच यह 3.7 प्रतिशत थी। अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर 2019 में सभी समूहों में मुद्रास्फीति क्रमश: 4.6 प्रतिशत, 5.5 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत रही। वहीं दूसरी तरफ इन तीन महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति क्रमश: 7.9 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 14.1 प्रतिशत रही। यानी मुद्रास्फीति को बढ़ाने में खाद्य पदार्थों का अहम योगदान रहा।

सब्जियों की मुद्रास्फीति 60 प्रतिशत तक पहुंची

इससे यह भी पता चलता है कि साल के आखिरी तीन महीनों में महंगाई दर चरम पर थी। इन तीन महीनों में ही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे थे। अक्टूबर में सब्जियों की मुद्रास्फीति 26.1 प्रतिशत, नवंबर में 36.1 प्रतिशत और दिसंबर में 60.5 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

क्यों बढ़ी खाद्य मुद्रास्फीति?

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, अगस्त 2019 से प्याज, टमाटर और दालें काफी महंगी हुई हैं। बेमौसम वर्षा से फसलों को नुकसान पहुंचा जिससे प्याज और टमाटर की कम आपूर्ति हुई। जबकि दालों में पिछले वर्ष की तुलना में कम बुवाई हुई। इस कारण इन जिसों के दाम काफी बढ़ गए, परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ गई। हालात यह हो गई कि दिसंबर 2019 में प्याज के दाम में दिसंबर 2018 की तुलना में 328 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। खरीफ उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में 7 प्रतिशत कम बुवाई हुई। सितंबर-अक्टूबर में भारी बारिश से मध्य प्रदेश में 58 प्रतिशत, कर्नाटक में 18 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 2 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई। इसी तरह टमाटर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में भारी बारिश से फसल बुरी तरह प्रभावित हुई। इस कारण टमाटर की महंगाई दर दिसंबर 2018 की तुलना में दिसंबर 2019 में 35.2 प्रतिशत हो गई।