अर्थव्यवस्था

कोरोनावायरस के चलते खत्म हो जाएंगी 24.2 करोड़ नौकरियां: एडीबी

एडीबी के अनुसार कोरोनावायरस की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को करीब 6,65,85,200 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जबकि जीडीपी में करीब 10 फीसदी की गिरावट आएगी

Lalit Maurya

आज एशियन डेवलपमेंट बैंक ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का लेखा-जोखा तैयार किया गया है। साथ ही इसमें रोजगार और श्रमिकों की आय को होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार इस महामारी के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को 5,80,000 से 8,80,000 करोड़ डॉलर (4,38,85,700 – 6,65,85,200 करोड़ रुपए) का नुकसान होगा। जोकि विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद के करीब 6.4 से 9.7 फीसदी हिस्से के बराबर है। जैसा कि सब जानते हैं कोरोनावायरस से लड़ने के लिए अब तक कोई दवा नहीं बनी है। ऐसे में लॉकडाउन और एक दूसरे से बराबर दूरी ही इससे निपटने का एक प्रभावी उपाय है। पर उसके चलते अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार यदि एशिया पैसिफिक क्षेत्र में यह लॉकडाउन और व्यापार अगले छह महीनों तक बंद रहता है तो उसके चलते इस क्षेत्र को करीब 2,50,000 करोड़ डॉलर (1,89,16,250 करोड़ रुपए) का नुकसान उठाना पड़ सकता है। जबकि 3 महीने के लॉकडाउन के चलते नुकसान के करीब 1,70,000 करोड़ डॉलर (1,28,63,050 करोड़ रुपए) रहने की आशंका है, जबकि चीन को होने वाले नुकसान के 1,10,000 से 1,60,000 करोड़ डॉलर के बीच रहने की आशंका है।

गौरतलब है कि इससे पहले 3 अप्रैल को एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा जारी एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2020 में नुकसान के 2,00,000 से 4,10,000 करोड़ डॉलर (1,5,133,000 – 3,10,22,650 करोड़ रुपए) के बीच रहने का अनुमान जताया था|

दक्षिण एशिया के जीडीपी में भी आ सकती है 6 फीसदी की गिरावट

 हालांकि इस रिपोर्ट में भारत के बारे में अलग से कोई आंकड़ें नहीं दिए गए हैं। पर दक्षिण एशिया के जीडीपी में 14,200 से 21,800 करोड़ डॉलर (10,74,443 – 16,49,497 करोड़ रुपए) की कमी आने का अनुमान लगाया है। जोकि वहां के कुल जीडीपी के 3.9 से 6 फीसदी हिस्से के बराबर है, जिसके लिए मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में कड़ाई से लागू लॉकडाउन को जिम्मेवार माना है।

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के ज्यादातर देश इस महामारी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य पर हो रहे खर्च को बढ़ा दिया है। इसके साथ ही वित्तीय घाटे को कम करने के भी प्रयास किया जा रहे हैं।

इसके साथ ही लोगों की आय में जो कमी आयी है, साथ ही राजस्व को हुए घाटे को भी पूरा करे के लिए प्रयास किये जा रहे हैं और यदि सरकार इसमें कामयाब रहती हैं, तो अनुमान है कि कोविड-19 से हुए नुकसान के 30 से 40 फीसदी हिस्से की भरपाई की जा सकती है। पर इन सबके बीच एक बात तो तय है कि भले ही राजकोषीय और वित्तीय घाटे को तो भरा जा सकता है। पर जो लोगों को इससे नुकसान पहुंचा है, उन्होंने जो पीड़ा झेली है उसका भरना नामुमकिन है।

यदि लोगों के काम-धंधे को हुए नुकसान को देखें, तो दुनिया भर में इस महामारी के चलते करीब 15.8 से लेकर 24.2 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी। जिसका सबसे ज्यादा असर एशिया पैसिफिक रीजन पर पड़ेगा।

आंकड़ों के मुताबिक नौकरियों में आने वाली कुल कमी का करीब 70  फीसदी असर इसी क्षेत्र को झेलना पड़ेगा। ऐसे में भारत सहित एशिया के अन्य देशों में कितने लोग बेरोजगार होंगे, उसकी कल्पना करना भी दुखदायी है।

वहीं इस महामारी से निपटने के लिए जिस तरह से बॉर्डर सील करने पड़े हैं, यात्रा पर रोक लगा दी गई है और लॉकडाउन कर दिया गया है। उनके चलते दुनिया भर में व्यापार में करीब 1,70,000 से 2,60,000 करोड़ डॉलर (1,28,63,050 – 1,96,72,900 करोड़ रुपए) की गिरावट आएगी| यदि आम मजदूरों और कामगारों को देखा जाये तो उनको होने वाला कुल नुकसान करीब 120,000 से 180,000 करोड़ डॉलर (90,79,800 – 1,36,19,700 करोड़ रुपए) के बीच होगा। इसका 30 फीसदी असर एशिया पैसिफिक के मजदूरों पर पड़ेगा|

1 डॉलर = 75.66 भारतीय रुपए