अर्थव्यवस्था

कोविड-19 दुनिया के आधे युवाओं को बेचैनी और अवसाद में डाल सकता है : आईएलओ

DTE Staff

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि विश्व की आधी युवा आबादी कोरोनावायरस महामारी के कारण बेचैनी और अवसाद में जा सकती है।

रिपोर्ट में रिसर्चरों ने 18-29 आयु वर्ग के युवाओं के बीच वैश्विक सर्वेक्षण किया है जिसमें महामारी से युवाओं पर पड़े असर को परखा गया है। सर्वेक्षण के नतीजे “यूथ एंड कोविड-19 : इंपैक्ट्स ऑन जॉब्स, एजुकेशन, राइट्स एंड मेंटल वेलबीइंग” रिपोर्ट में संकलित किए गए हैं।

11 अगस्त 2020 को जारी हुई इस रिपोर्ट में 112 देशों के 12,000 से अधिक लोगों के जवाब शामिल किए गए हैं। इनमें से अधिकांश लोग पढ़े लिखे थे और इंटरनेट तक उनकी पहुंच थी।

रिपोर्ट के अनुसार, 17 प्रतिशत युवाओं के बेचैनी और अवसाद से घिरने का खतरा है। इसके अलावा जिन लोगों की शिक्षा और काम महामारी से बाधित हुआ है, बड़े स्तर पर उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब होने की आशंका रिपोर्ट में जताई गई है। जिन युवाओं की नौकरी महामारी के चलते चली गई है, उनका मानसिक स्वास्थ्य उन लोगों के मुकाबले दोगुने से अधिक खराब हो सकता है जिनकी नौकरी किसी तरह बची हुई है।

महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य पुरुषों के मुकाबले अधिक खराब होने का खतरा है। 18.3 प्रतिशत महिलाएं बेचैनी और अवसाद की शिकार हो सकती हैं। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि 53.4 प्रतिशत महिलाओं में बेचैनी और अवसाद संभावित है। इससे संकेत मिलता है कि घर में रहने वाली महिलाओं को खतरा अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से युवा इस कदर भयभीत हैं कि 38 प्रतिशत युवा आश्वस्त नहीं हैं कि भविष्य में उनकी नौकरी बची रहेगी जबकि 16 प्रतिशत युवा इससे डरे हुए हैं। जिन युवाओं ने महामारी के दौरान काम बंद कर दिया था उनमें यह डर सबसे ज्यादा है। ऐसे युवा 24 प्रतिशत हैं।