अर्थव्यवस्था

कोरोनावायरस के चलते 2021 तक गरीबी के चरम स्तर पर होंगे 15 करोड़ अतिरिक्त लोग

यह आंकड़ा वर्ल्ड बैंक द्वारा अप्रैल में लगाए गए अनुमान का लगभग दोगुना है

Kiran Pandey, Lalit Maurya

विश्व बैंक द्वारा हर दो वर्ष में जारी की जाने वाली पावर्टी एंड शेयर्ड प्रोस्पेरिटी रिपोर्ट के अनुसार 2020 में दुनिया के 8.8 से 11.5 करोड़ अतिरिक्त लोग गरीबी के चरम स्तर पर पहुंच जाएंगे। जबकि 2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर 15 करोड़ पर पहुंच जाएगा। 7 अक्टूबर को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार 20 वर्षों में यह पहला मौका है जब गरीबी की दर नीचे जाने की जगह बढ़ जाएगी। 

जहां कयास लगाए जा रहे थे कि 2020 में वैश्विक रूप से चरम गरीबी में होने वाली वृद्धि दर घटकर 7.9 फीसदी रह जाएगी, लेकिन इस नए अनुमान से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के चलते यह दर 1.3 फीसदी की वृद्धि के साथ 9.2 फीसद हो जाएगी।

जहां छह महीने पहले अप्रैल 2020 में वर्ल्ड बैंक का अनुमान था कि चरम रूप से गरीबी की मार झेल रहे लोगों का यह आंकड़ा 4 से 6 करोड़ के बीच होगा। लेकिन इस नई रिपोर्ट से पता चला है कि इसके उससे दोगुने से ज्यादा से ज्यादा रहने का अनुमान है।

रिपोर्ट के अनुसार अनुमान है कि इसमें से अधिकांश लोग उन गरीब देशों के होंगे जो पहले से ही भीषण गरीबी की मार झेल रहे हैं। जबकि मध्यम-आय वाले देशों की भी एक अच्छी खासी आबादी गरीबी रेखा से नीचे खिसक जाएगी। अनुमान है कि इसके करीब 82 फीसदी लोग मध्यम आय वाले देशों के होंगे।  

वर्ल्ड बैंक के अनुसार शहरों में बढ़ती आबादी के कारण बड़ी संख्या में लोग चरम गरीबी को झेलने पर मजबूर हो जाएंगे। जबकि दूसरी ओर अधिकांश गांवों में रहने वाले लोग अभी भी अत्यधिक गरीब हैं। 2015 से 2017 के बीच करीब 5.2 करोड़ लोग गरीबी से उबर गए थे, तो ऐसा लगा था कि विश्व से जल्द ही गरीबी की यह समस्या दूर हो जाएगी। इस अवधि में गरीबी दर में आने वाली कमी प्रति वर्ष घटकर आधा फीसद से भी कम हो गया थी। जबकि इससे पहले 1990 से 2015 के दौरान वैश्विक गरीबी में 1 फीसदी प्रति वर्ष की दर से कमी आ रही थी।

139 रुपए प्रति दिन पर अपना जीवन बसर कर रहा है दुनिया का हर दसवां इंसान

गौरतलब है कि पिछले 25 सालों (1990-2015) में चरम गरीबी की दर में 26 फीसदी की गिरावट आई है। इसके बावजूद यदि वैश्विक रूप से गरीबी में जीवन बसर करने वालों को आय के आधार पर बांटे तो दुनिया की 10 फीसदी आबादी 139.15 रुपए (1.90 डॉलर) प्रति दिन से कम पर अपना जीवन गुजार रही है। वहीं एक चौथाई लोग 234.36 रुपए (3.20 डॉलर) और 40 फीसदी से ज्यादा आबादी करीब 330 करोड़ लोग 402.81 रुपए (5.50 डॉलर) प्रति दिन से कम पर अपना जीवन बसर करने को मजबूर हैं।

वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में लोगों की औसत आय में गिरावट आई है। जिसकी सबसे ज्यादा मार गरीब तबके पर पड़ी है। रिपोर्ट के अनुसार देश की सबसे ज्यादा गरीब 40 फीसदी आबादी पर महामारी के कारण आई मंदी का असर पड़ा है।

रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह से वैश्विक औसत आय में गिरावट आ रही है। उसका असर वैश्विक समृद्धि पर पड़ेगा। जिसमें होने वाला विकास 2019 से 2021 के बीच या तो स्थिर हो जायेगा या फिर उसमें भी कमी आ जाएगी। आंकड़ों के अनुसार 2012-2017 के बीच सभी का विकास हुआ था, जिससे अत्यधिक गरीबी में जीवन बसर कर रही 40 फीसदी आबादी की आय में भी वृद्धि दर्ज की गई थी। उस अवधि में सबके साझा विकास और उन्नति की बात करें तो इस अवधि में उसकी दर 2.3 फीसदी थी।  

ऐसे में विश्व बैंक ने चेताया है कि यदि इस संकट से निपटने के लिए उचित नीतियां नहीं बनाई गई तो उसके चलते आय में आ रही असमानता में और वृद्धि हो सकती है। जिससे दुनिया भर में अमीर-गरीब के बीच की खाई और गहरी हो सकती है।