अर्थव्यवस्था

लॉकडाउन ग्रामीण अर्थव्यवस्था: हाट बंद होने से छत्तीसगढ़ के आदिवासी परेशान

Purushottam Thakur

कोरोनावायरस ने देश के हर वर्ग को प्रभावित किया है। लेकिन पहले से बुरे दौरे से गुजर रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था इससे बुरी तरह चरमरा रही है। उत्तर भारत के अधिकांश गांवों में इस समय कटाई का मौसम है। लेकिन किसान अपनी फसल काटकर अपने खलिहान तक नहीं ले जा पा रहा है। डाउन टू अर्थ ने देश के दूर-दराज गांवों के किसानों, आदिवाासियों की आपबीती और इससे हुए नुकसान के आकलन की कोशिश की। पढ़िए, छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों का हाल-   

“ कोरोनावायरस का प्रभाव देश में अभी कुछ ही दिन पहले दिखाई देने लगा है, लेकिन हम इसका प्रभाव दो महीने पहले से महसूस कर रहे हैं, क्योंकि विदेशों में कोरोनावायरस के फैलने पर निर्यात पर रोक लगा दी गई थी, जिस कारण जंगल से मिलने वाले लाख जैसे उत्पादों का निर्यात रुक गया था।” यह कहना है धमतरी के एक जाने माने वन व्यापारी दिलावर रोकडिया का।

छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला न केवल भारत, बल्कि एशिया में लाख के बाजार के लिए मशहूर है। लेकिन पिछले इतवार को जनता कर्फ्यू के दिन से इस क्षेत्र में लगने वाले सभी साप्ताहिक बाजार बंद हैं।

दिलावर बताते हैं कि यह लाख और इमली का सीजन है. इन वन उत्पादों का प्रमुख संग्रहकर्ता हैं आदिवासी। पर बाजार बंद होने के कारण वे अपने उत्पादों को बाजार में बेच नहीं पा रहे हैं और अगर वे बेच नहीं पाए तो वे और संग्रह करने के लिए जंगल नहीं जाएंगे, जिससे लाख और इमली जैसे वन उत्पाद नष्ट हो जाएंगे। इस तरह से आदिवासियों का कमाई का एक प्रमुख जरिया संकट में है।

एक तरफ जहां व्यापारियों के गोदाम पैक हैं। वहीं दूसरी तरफ आदिवासियों के घर में  लाख और इमली भरी पड़ी है। दूसरी ओर लॉकडाउन की वजह से लाख प्रोसेसिंग सेंटर भी बंद पड़ा है, क्योंकि मजदूरों को आने से मना कर दिया गया है।

धमतरी जिला छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। यहां करीब 200 राईस मिल हैं, कई थोक दुकानें हैं और कंस्ट्रक्शन के काम भी होते हैं। इन सब के चलते हर दिन धमतरी और आसपास के करीब 15 हजार मजदूर रोजगार पाते हैं। अब देश के बाकी मजदूरों की तरह घर में बैठ हुए हैं।

बस स्टैंड के पास कपड़े प्रेस करने वाले राजकुमार सेन का कहना है कि कुछ दिन से अब काम नहीं है, लेकिन अभी हमारे पास खाने के लिए चावल आदि है। सरकार से राशन कार्ड के जरिये मिलने वाले चावल आदि अभी बचा हुआ है।

राजकुमार सेन का कहना है कि हमें जल्दी से काम चाहिए नहीं तो हमारे लिए समस्या हो जायेगी और हमें लोगों से उधार लेना पड़ जाएगा।  यही नहीं, इस महामारी से कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है।

मंडी के सब इंस्पेक्टर रामजी बैष्णव बताते हैं कि जिले की मंडी में हर दिन 4 हजार से ज्यादा सब्जी के व्यापारी लेन देन करने आते हैं और सब्जी को अति आवश्यक सामग्री की श्रेणी में रखा गया है, इसके बावजूद पिछले कुछ दिनों से यहां आने वाले लोगों की तादाद काफी तेजी से घट गई है। इस मंडी के अंतर्गत 158 गांव आते हैं। हम सब्जी पर टैक्स नहीं लेते हैं, इसलिए यह आंकलन नहीं हो पाएगा कि यहां कितने का कारोबार होता है, लेकिन एक अनुमान के मुताबक धमतरी जिले में 50 लाख रुपए का सब्जी और फल का लेन देन एक दिन में होता है।

इस लॉकडाउन के चलते कई सब्जियों के भाव गिर गए हैं तो कईयों के बढ़ गए हैं। जैसे जो संतरा 40 से 50 रुपए में बिक रहा था, वह अब 60 से 70 रुपए में बिक रहा है।

इतना भाव क्यों बढ़ गया है पूछने पर बाजार में मास्क पहने फल बेचने वाली महिला सुमन ने कहा – “होल सेलर का कहना है कि ट्रक से सामान नहीं आ रहा है इसलिए भाव बढ़ गया है।”

आपके व्यापार में प्रभाव पड़ा है ?

“ हां, पहले जहां रोजाना तीन चार हजार रुपए का फल बेचते थे, वहीं आज सिर्फ हजार या उस से भी कम बेच रहे हैं।” सुमन ने जवाब दिया।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोगों को राहत देने के लिए अप्रैल और मई महीने के राशन का चावल अप्रैल में एक मुश्त मुफ्त में देने का ऐलान किया है. जिस से गरीबों को कोई परेशानी न हो।

वहीं गरीब और किसानों आदि को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने एक लाख साठ करोड़ का पैकेज का एलान किया है। इस पर लोग राहत तो महसूस कर रहे हैं, लेकिन जब तक राहत उनतक पहुंचेगी या नहीं इस पर कुछ लोगों को संशय भी है।