अर्थव्यवस्था

भारतीय रेल बनेगी प्रदूषण रहित लेकिन कब तक

Anil Ashwani Sharma

भारतीय रेलवे स्वयं को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त करने के लिए ग्रीन एनर्जी यानी हरित ऊर्जा पर फोकस कर रही है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे प्रदूषण मुक्त अभियान के तहत ग्रीन एनर्जी पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके अंतर्गत पुराने डीजल इंजनों का आधुनिकीकरण कर उन्हें इलेक्ट्रिक इंजन बनाया जा रहा है। मेक इन इंडिया अभियान के तहत इंजनों के आधुनिकीकरण का काम देश में ही किया जा रहा है। ध्यान रहे कि हाल में एक डीजल इंजिन को इसी अभ्यान के तहत इलेक्ट्रिक इंजन में बदला गया है। यही नहीं देश के महानगरों में प्रदूषण को कम करने के लिए 2019-20 के बजट में 300 किलोमीटर मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी प्रदान की है। साथ ही कहा गया है कि वर्ष 657 किलोमीटर नए मेट्रो रेल नेटवर्क पर संचालन शुरू कर दिया जाएगा। यानी सरकार की कोशिश हैकि मेट्रो शहरों में रहने वाले अधिक से अधिक मेट्रो का उपयोग करें इससे प्रदूषण में कमी आएगी।  

वित्तमंत्री ने कहा कि भारतीय रेल और मेट्रो प्रोजेक्ट में पीपीपी मॉडल के जरिए निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बजट में रेलवे ट्रैक के लिए पीपीपी मॉडल को मंजूरी प्रदान कर दी है। वित्तमंत्री ने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल से रेलवे के विकास में तेजी आएगी। हालांकि यह देखना होगा अब तक जिन शहरों में मेट्रो को सरकार और निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया है उसमें अनावश्यक देरी देखी गई है। ध्यान रहे कि इससे परियोजना की लगात में बेतहाशा वृद्धि होती है।  हालांकि वर्ष ध्यान रहे कि रेलवे मंत्रालय पहली बार निजी भागीदारी के साथ देश में पहली बार प्राइवेट ट्रेनों का संचालन शुरू करने जा रही है। सीतारमण ने बताया कि भारतीय रेलवे की योजना है कि निजी भागीदारों को पर्यटन वाले रूट पर कुछ चुनिंदा ट्रेनें संचालित करने की अनुमति प्रदान की जाए। सरकार की 100 दिन की योजना के तहत दो ट्रेनें संचालन के लिए आईआरसीटीसी को दी जाएंगी। इसके जरिए ट्रेन यात्रियों को और प्रीमियम सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।

इसके अलावा भारत में रेलवे के विकास के मायने है कि गरीब का विकास। क्योंकि यदि रेल संपर्क देश के गांव-गांव से जुड़ जाएगा तो इससे हर हाल में एक गांव वाले का भला होगा। कारण कि यह सर्वविदित है कि रेल और बस भाड़े में या तो दोगुना या कहीं कहीं तीन गुना अंतर है। यानी यदि बस में बीस या तीस रुपए भाड़ा लगता है तो रेलवे में दस रुपए। यह बात भारतीय प्रबंधन संस्थान के पूर्व प्रोफेसर राहुल पांडे कही। उन्होंने कहा दोनों महकमें प्रबंधन महत्वपूर्ण कारक है।  इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश की पहली महिला वित्तमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा  2018-2030 के बीच रेल के ढांचागत विकास के लिए 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता बताई। इस हिसाब से देखें तो रेलवे का पूंजी परिव्यय प्रति वर्ष 1.5 से 1.6 लाख करोड़ रुपए रखा गया है। हां उन्होने  यह अवश्य कहा कि सभी मंजूर परियोजनाएं पूरी करने में कई दशक लग सकते हैं। इसके हल के लिए यह कहा गया है कि अब वक्त आ गया हैकि रेलवे की कुछ परियोजनाओं को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र को सौंप दें। इसीलिए उन्होंने बजट में यह प्रस्तावित किया है कि पटरियां बिछाने,रेलिंग स्टाफ विनिर्माण तथा यात्री मालभाड़ा सेवाओं की सुपुर्दगी के लिए सरकारी निजी भागीदारी का इस्तेमाल किया जाए।

बजट में यह कहा गया है कि भारतीय रेलवे जल्द यूरोपीयन सिग्नलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपनाने पर भी विचार कर रहा है। इससे रेल यात्रा में न केवल तेजी आएगी, बल्कि ये पहले से ज्यादा सुरक्षित भी होगी। साथ रेलवे स्टेशनों को स्वच्छ बनाने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है। फ्रांस के साथ हुए इस समझौते के तहत ढांचागत विकास पर सरकार सात लाख यूरो खर्च करेगी। रेल ढांचे के मॉडर्नाइजेशन और स्वीकृत योजनाओं को पूरा करने के लिए 50 लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। इन परियोजनाओं को वर्ष 2018 से वर्ष 2030 तक पूरा होना है। सीतारमण ने बताया कि रेलवे नेटवर्क का कंजेशन खत्म करने के लिए मालगाड़ियों के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है। इन परियोजनाओं से रेलवे नेटवर्क का कंजेशन खत्म होगा और यात्री गाड़ियों के साथ ही माल ढुलाई को भी पहले से ज्यादा तेज और समबद्ध करना संभव हो सकेगा। वित्तमंत्री ने बताया कि आर्थिक सर्वेक्षण 2019 के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारतीय रेलवे के यात्रियों की संख्या में 2.09 फीसद का इजाफा हुआ है।