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अर्थव्यवस्था

बजट 2024-25: हिमाचल, बिहार, आंध्र प्रदेश व 100 शहरों के लिए की गई घोषणा कहीं बाजीगरी तो नहीं?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्व बैंक, एडीबी जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सहायता दिलाने की बात कही है, विशेषज्ञों ने संदेह जताया

Raju Sajwan

हिमाचल में बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई, बिहार में पूंजी निवेश में सहयोग, आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपए की सहायता,  देश के 100 बड़े शहरों में पानी और स्वच्छता के इंतजाम का भरोसा देते वक्त देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक शब्द पर गौर शायद बहुत कम लोगों ने किया हो।

“पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश में बाढ़ के कारण भारी नुकसान हुआ था। हमारी सरकार बहुपक्षीय विकास (मल्टीलेटरल डेवलपमेंट) सहायता  के माध्यम से पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए राज्य को सहायता प्रदान करेगी।” 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब अपने बजट भाषण में इन पंक्तियों को पढ़ा तो लगा कि वह हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ को खासी चिंतित हैं। यही वजह है कि उन्होंने यह घोषणा की। 

यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर बहुपक्षीय विकास (मल्टीलेटरल डेवलपमेंट) सहायता क्या है, जिसके माध्यम से हिमाचल सरकार को पुनर्निर्माण में सहयोग किया जाएगा।

क्या है एमडीबी 

दरअसल बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को कहा जाता है, जो विकासशील व अविकसित देशों को वित्तीय सहायताएं व लोन उपलब्ध कराते हैं। इनमें विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट, इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (आईएमएफ) जैसी संस्थाएं व बैंक शामिल हैं।

हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम में कौन करेगा मदद?

तो ऐसे में सवाल उठता है कि हिमाचल सरकार को केंद्र सरकार केवल अंतर्राष्ट्रीय विकास बैंकों से वित्तीय मदद दिलाने में सहयोग करेगी? वित्त मंत्री ने इसी तरह उत्तराखंड व सिक्किम में भी सहायता देने की बात की है। 

उन्होंने अपने भाषण में कहा, “उत्तराखंड में भी बादल फटने और भारी भूस्खलन के कारण नुकसान हुआ है। हम राज्य को सहायता प्रदान करेंगे।” इसके बाद उन्होंने कहा, “हाल ही में सिक्किम में विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन ने पूरे राज्य में तबाही मचा दी। हमारी सरकार राज्य को सहायता प्रदान करेगी”।

सिक्किम और उत्तराखंड के मामले में उन्होंने मल्टीलेटरल डेवलपमेंट सहायता या बैंक की बात नहीं की। हालांकि उन्होंने यह भी साफ नहीं कहा कि उत्तराखंड व सिक्किम को केंद्र सरकार की आरे से वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी। 

बिहार व आंध्रप्रदेश में भी संशय?

उनके भाषण को गौर से सुनने या पढ़ने के बाद पता चलता है कि उन्होंने बिहार व  आंध्रप्रदेश में भी मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की बात कही है। 

बिहार के मामले में उन्होंने कहा, “ राज्य में पूंजी निवेश को समर्थन देने के लिए अतिरिक्त आवंटन प्रदान किया जाएगा। बहुपक्षीय विकास बैंकों से बाह्य सहायता के लिए बिहार सरकार के अनुरोधों पर शीघ्रता से कार्रवाई की जाएगी।” 

आंध्रप्रदेश के मामले में सीतारमण ने कहा, “हमारी सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। राज्य की राजधानी की आवश्यकता को समझते हुए हम बहुपक्षीय विकास एजेंसियों (एमडीबी) के माध्यम से विशेष वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान करेंगे। चालू वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की जाएगी, तथा भविष्य के वर्षों में अतिरिक्त राशि दी जाएगी।”

पानी की आपूर्ति और स्वच्छता 

वित्त मंत्री ने कुछ ऐसी ही बात एक और महत्वपूर्ण घोषणा में की है। यह घोषणा देश के 100 बड़े शहरों से जुड़ी है। बजट भाषण में उन्होंने कहा, “राज्य सरकारों और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के साथ साझेदारी में हम बैंक योग्य परियोजनाओं के माध्यम से 100 बड़े शहरों के लिए जल आपूर्ति, सीवेज उपचार और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं और सेवाओं को बढ़ावा देंगे। इन परियोजनाओं में सिंचाई और आस-पास के क्षेत्रों में टैंकों को भरने के लिए उपचारित पानी का उपयोग करने की भी परिकल्पना की गई है।”

यह जानने के लिए क्या अंतर्राष्ट्रीय बैंकों से मिलने वाले लोन व सहायता की बात वित्त मंत्री पहले भी करती रही हैं? डाउन टू अर्थ ने उनके पिछले पांच साल के बजट भाषण पढ़े तो पाया कि उन्होंने इससे पहले कभी अपने भाषणों से एमडीबी के माध्यम से मिलने वाली सहायताओं का जिक्र नहीं किया था। 

बजट में नहीं होता जिक्र 

खास बात यह है कि इस तरह की घोषणाओं का बजट डॉक्यूमेंट में कहीं जिक्र नहीं होता। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके अरुण कुमार ने डाउन टू अर्थ से कहा कि राज्यों को एमडीबी से मिलने वाले लोन या सहायता का जिक्र बजट डॉक्यूमेंट में नहीं होता। राज्य सरकारें अपने स्तर पर भी एमडीबी से लोन लेती रहती हैं।"

अरुण कुमार के मुताबिक बजट भाषण में इसका जिक्र करना केवल राजनीतिक लाभ लेना है। एमडीबी से लोन लेने की प्रक्रिया लंबी व जटिल होती है, इसलिए पहले ही यह नहीं कहा जा सकता कि राज्यों को यह पैसा मिल ही जाएगा। उन्होंने कहा कि बजट के बारे में उनका साफ-साफ मत रहा है कि हाथी के दांत खाने और दिखाने के और होते हैं।