चौथी अखिल भारतीय हथकरघा गणना 2019-20 के अनुसार देश में हथकरघा कारीगर परिवारों की संख्या 31,44,839 है।
इनमें से लगभग 67.1 फीसदी परिवारों की आमदनी 5,000 रुपए प्रति माह से भी है, जबकि 26 फीसदी परिवार 5 से 10 हजार रुपए महीना कमा रहे हैं। 10 से 15 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवारों की संख्या 4.5 फीसदी है और 15 से 20 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवारों की संख्या केवल 1 फीसदी और 20 हजार से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या 1.2 फीसदी ही है।
केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा राज्यसभा में रखे गए इन आंकड़ों के मुताबिक तीसरी भारतीय हथकरघा गणना 2009-10 के मुताबिक हथकरघा कामगार परिवारों की संख्या 27,83,271 थी। उस समय परिवारों की औसत आय सालाना 36,498 रुपए (3,042 रुपए प्रति माह) थी और 99 फीसदी परिवारों की आय 5,000 रुपए प्रति माह से कम थी।
चौथी हरकरघा गणना के अनुसार 21,09,525 परिवारों की प्रति माह आय 5,000 रुपए से कम है। जबकि 8,24,021 परिवारों की आय 5 से 10 हजार रुपए, 1,40,509 परिवारों की आय 10 से 15 हजार, 29,989 परिवारों की आय 15 से 20 हजार और 40,795 परिवारों की आय 20 हजार रुपए से अधिक है।
दो बोर्ड भंग
वस्त्र मंत्री ने दावा किया कि सरकार हथकरघा कारीगरों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। साथ ही बताया कि पिछले दिनों सरकार ने अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड और अखिल भारतीय हथकरघा बोर्ड को भंग कर दिया है। यह निर्णय बोर्ड के कामकाज की गहन समीक्षा के आधार पर लिया गया था। इस मूल्याकंन से यह पता चला कि पूरे देश के बुनकरों को इस बोर्ड से वे लाभ नहीं मिले और जो बड़ी मुश्किल से मिले थे, वे सभी राज्यों के बुनकरों को विश्वास में नहीं लिया गया। नीति निर्माण और इनके कार्यान्वयन में भी बोर्ड का कोई योगदान नहीं था।