विश्व पर्यावास दिवस दुनिया भर के कई देशों में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और पर्यावरण तथा लोगों की गरीबी पर इसके प्रभाव और समस्याओं से निपटने के लिए मनाया जाता है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
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विश्व पर्यावास दिवस आज, ये है इस साल की थीम

इस साल की थीम ‘बेहतर शहरी भविष्य बनाने के लिए युवाओं को शामिल करना’ है, यह तेजी से बढ़ते शहरी विकास के साथ आने वाले मुद्दों और संभावनाओं पर आधारित है।

Dayanidhi

विश्व पर्यावास दिवस हर साल अक्टूबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है। इस साल यह आज, यानी सात अक्टूबर को मनाया जा रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य पर्याप्त आश्रय के महत्व पर प्रकाश डालना और कस्बों और शहरों की स्थिति के बारे में विचार करना है।

यह दिन इस बात की याद दिलाता है कि हर किसी को रहने के लिए एक सुरक्षित और उचित जगह मिलनी चाहिए। विश्व पर्यावास दिवस लोगों, समुदायों और सरकारों को आवास की स्थिति में सुधार, पड़ोस को सुरक्षित बनाने और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विश्व पर्यावास दिवस के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना 1985 में सभी को शहरों और कस्बों के भविष्य को बेहतर बनाने की साझा जिम्मेदारी की याद दिलाने के लिए की गई थी। इसे सबसे पहले 1986 में मनाया गया था और तब से, यह दिन शहरी क्षेत्रों में रहने की स्थिति को बेहतर बनाने पर आधारित है।

दुनिया भर के विभिन्न शहरों ने इस दिन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र भी योगदानकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए हैबिटेट स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार दिया जाता है, जिसे 1989 में शुरू किया गया था।

इस साल की थीम ‘बेहतर शहरी भविष्य बनाने के लिए युवाओं को शामिल करना’ है, यह तेजी से बढ़ते शहरी विकास के साथ आने वाले मुद्दों और संभावनाओं पर आधारित है। इसका लक्ष्य युवा पीढ़ी को आज और भविष्य में अपने पर्यावरण की योजना बनाने में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।

विश्व पर्यावास दिवस दुनिया भर के कई देशों में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और पर्यावरण तथा लोगों की गरीबी पर इसके प्रभाव और समस्याओं से निपटने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया को लोगों के आवास के भविष्य के लिए अपनी सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाना भी है।

भारत की बात करें तो यह दुनिया भर में सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जहां कम आय वाले शहरी निवासियों के लिए किफायती आवास उपलब्ध कराने में लगातार चुनौतियां आ रही हैं। भारत के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2012 में भारतीय शहरों में लगभग 1.9 करोड़ यूनिट का आवास अंतर था।

संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाया गया है कि 2050 तक दुनिया की लगभग 70 प्रतिशत आबादी शहरों में रहेगी, जो समावेशी शहरी नियोजन और सतत विकास की तत्काल जरूरत को दर्शाता है।

दुनिया भर में किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने में लगातार चुनौतियां आ रही हैं, खासकर गरीबी, असमानता और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे इसके लिए जिम्मेवार हैं। ये और अन्य मुद्दे दुनिया भर में शहरी क्षेत्रों के समान विकास के लिए भारी अड़चने पैदा करते हैं।

2024 स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड

सतत शहरीकरण पर गौर करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएन-हैबिटेट, अपना प्रतिष्ठित 2024 स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड प्रदान कर रही है। यह वर्तमान में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित लोगों की बस्तियों से संबंधित पुरस्कार है।

स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड का उद्देश्य उन पहलों को मान्यता देना है, जिन्होंने आश्रय प्रावधान - पर्याप्त, किफायती और सुलभ आवास प्रदान किए हैं, बेघरों की समस्याओं को सामने लाना, संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण में नेतृत्व और लोगों की बस्तियों और शहरी जीवन की गुणवत्ता को विकसित करना और सुधारना जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

विजेताओं को सात अक्टूबर 2024 को मेक्सिको के क्वेरेटारो शहर में विश्व पर्यावास दिवस के वैश्विक आयोजन में पुरस्कार दिए जायंगे।