विकास

भारत क्यों है गरीब-1: गरीबी दूर करने के अपने लक्ष्य से पिछड़ रहे हैं 22 राज्य

भारत में गरीबी गहराई से जड़ें जमा चुकी है। कुछ राज्यों को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्य गरीबी दूर करने के लक्ष्य से दूर हैं। डाउन टू अर्थ ने इसके कारणों की पड़ताल के बाद रिपोर्ट्स की एक सीरीज तैयार की है। पढ़ें, पहली कड़ी-

Kiran Pandey, Lalit Maurya

जब आजादी के 73 साल बाद भी देश की 21 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे बसर कर रह रही हो, तो निश्चय ही इसे शून्य पर लाने के लिए देश में काफी ज्यादा मेहनत करने की जरुरत है। लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि राष्ट्र के लिए गरीबी "प्रमुख एजेंडा" है। कम से कम देश में नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी इंडेक्स 2019-20 तो यही दिखाता है। इस इंडेक्स के अनुसार भारत का 2030 तक गरीबी हटाने का लक्ष्य अभी काफी दूर है। इंडेक्स के अनुसार देश का कोई भी राज्य 2030 तक "गरीबी मुक्त भारत" के लक्ष्य को हासिल करने के सही पथ पर नहीं है। हालांकि तमिलनाडु और त्रिपुरा जैसे राज्य गरीबी हटाने के मामले में शीर्ष रैंक पाने पर गर्व कर सकते हैं। लेकिन पिछले साल के उनके प्रदर्शन पर नजर डालें तो पता चलता है कि वे भी गरीबी को रोकने के अपने प्रयासों में फिसल रहे हैं।

घट रहा है भारत का प्रदर्शन

इंडेक्स के अनुसार भारत ने जहां इस वर्ष 100 में से 50 अंक अर्जित किये हैं। वो अपने पिछले साल के प्रदर्शन से 4 अंक पिछड़ गया है। वर्ष 2018 में गरीबी उन्मूलन के लिए भारत को 54 अंक मिले थे। रिपोर्ट के अनुसार देश का कोई भी राज्य सही पथ पर नहीं है। सच यही है कि गरीबी उन्मूलन की दिशा में अधिकांश राज्यों का प्रदर्शन पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष घट गया है। आंध्र प्रदेश और सिक्किम को अलग कर दें तो कोई भी राज्य अपने लक्ष्य को हासिल करने की सही दिशा में नहीं है। इंडेक्स के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश एक वर्ष में सबसे अधिक 18 अंक फिसल गया है। जबकि बिहार और ओडिशा में 12 अंकों की गिरावट आई है। इसके बाद गोवा और झारखंड में 9 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।

क्रमांक

 

 

2019 में स्कोर

 

2018 में स्कोर

 

स्कोर में वृद्धि/ कमी

 

 

 

 

 

 

भारत

50

54

 -4

 

 

 

 

 

1

तमिलनाडु

72

76

-4

2

त्रिपुरा

70

71

-1

3

आंध्र प्रदेश

69

67

2

4

मेघालय

68

68

0

5

मिजोरम

67

71

-4

6

सिक्किम

65

64

1

7

केरल

64

66

-2

8

उत्तराखंड

64

65

-1

9

हिमाचल प्रदेश

60

60

0

10

नगालैंड

56

59

-3

11

राजस्थान

56

59

-3

12

गोवा

53

62

-9

13

तेलंगाना

52

52

0

14

पश्चिम बंगाल

52

57

-5

15

छत्तीसगढ़

49

50

-1

16

कर्नाटक

49

52

-3

17

असम

48

53

-5

18

पंजाब

48

56

-8

19

गुजरात

47

48

-1

20

हरियाणा

47

50

-3

21

महाराष्ट्र

47

47

0

22

ओडिशा

47

59

-12

23

मणिपुर

42

44

-2

24

मध्य प्रदेश

40

44

-4

25

उत्तर प्रदेश

40

48

-8

26

अरुणाचल प्रदेश

34

52

-18

27

बिहार

33

45

-12

28

झारखंड

28

37

-9

इंडेक्स के अनुसार तमिलनाडु और त्रिपुरा जैसे राज्य शीर्ष पर जरूर हैं पर पिछले साल की तुलना में उनका प्रदर्शन भी गिर गया हैं। उदाहरण के लिए, 28 राज्यों में पहले स्थान पर रहने वाले तमिलनाडु ने भी अपने स्कोर में 4 अंकों की गिरावट दर्ज की है। जबकि इसी तरह त्रिपुरा का स्कोर भी एक अंक फिसलकर 70 पर आ गया है। चार राज्यों - मेघालय, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में स्थिति जस की तस बनी हुई है। साथ ही महाराष्ट्र को सबसे महत्वाकांक्षी राज्य के रूप में सम्बोधित किया गया है।

गरीबी के अधिकांश संकेतकों पर पिछड़ रहा है देश

गरीबी स्कोर कार्ड पांच संकेतकों पर आधारित है - गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या; स्वास्थ्य योजना / स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत आने वाले परिवार; मनरेगा के तहत रोजगार की मांग करने वालों में रोजगार पाने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत; मातृत्व लाभ के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने वाले और कच्चे घरों में रहने वाले ग्रामीण और शहरी आबादी |

सबसे गरीब है छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की करीब 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। इसके बाद झारखंड का नंबर आता है जहां की 37 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। भारत की 21 फीसदी आबादी आज भी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है जिसे 10।95 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन 24 राज्य अभी भी इस लक्ष्य तक पहुंचने से कोसों दूर हैं। वहीं आंकड़ें दिखाते हैं कि छह राज्यों ने गरीबी की दर को घटाकर 10.95 फीसदी करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। जिसमें गोवा भी एक है, जिसकी गरीबी दर 5.09 फीसदी है। लेकिन रिपोर्ट दिखाती है कि भारत की अधिकांश गरीब आबादी ग्रामीण क्षेत्रों और कम आय वाले राज्यों में केंद्रित है।

आबादी को मिलने वाला मातृत्व लाभ: किसी भी राज्य ने नहीं हासिल किया लक्ष्य, लेकिन ओडिशा द्वारा किया गया अच्छा प्रदर्शन

रिपोर्ट के अनुसार, पात्र लाभार्थियों में से सिर्फ 36.4 फीसदी को मातृत्व लाभ के तहत सामाजिक संरक्षण का लाभ मिल पाया है। लेकिन किसी भी राज्य ने 100 फीसदी का लक्ष्य हासिल नहीं किया है। हालांकि ओडिशा ने इसमें काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। जहां राज्य में 72.6 प्रतिशत पात्र लाभार्थी, मातृत्व लाभ को प्राप्त कर रहे हैं।

आवास के मुद्दे पर पिछड़ रहे हैं अरुणाचल और ओडिशा

यह रिपोर्ट देश में ग्रामीण और शहरी आबादी के आवास की खराब स्थिति को भी दिखाती है। जहां ग्रामीण और शहरी परिवारों के करीब 4.2 फीसदी आबादी कच्चे घरों में रहती है। वहीं 2030 तक सभी के लिए पक्का घर मुहैया करने का लक्ष्य है। लेकिन 21 राज्य अभी भी इस लक्ष्य को हासिल करने से काफी दूर हैं। राज्यों में, कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों का सबसे अधिक प्रतिशत अरुणाचल प्रदेश (29 प्रतिशत) में है, इसके बाद ओडिशा (14.2 प्रतिशत) का नंबर आता है।

सबके सहयोग से हासिल हो सकता है लक्ष्य

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार गरीबी उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन इसे तब ही प्राप्त किया जा सकता है जब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश मिलकर इसमें सहयोग करें। इसके साथ ही यह रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा स्थानीय विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों के बीच समन्वय स्थापित करने पर भी जोर देती है।

जारी...