कॉफी के प्याले को हाथों में लिए वह कैफे के कांच की दीवारों से बाहर की ओर एकटक देख रही थी, जहां धूल के गुबार ने पूरे बस अड्डे को ढंक लिया था। इन्हीं धूल के गुबारों और दुकानों के पीछे दूर कहीं पहाड़ दिख रहे थे। अचानक कैफे का दरवाजा तेजी से खुला और वह अंदर आ गया। उसने थोड़ी देर कैफे के अंदर अपनी नजर घुमाई और सीधे उसकी टेबल की ओर आ गया।
बैठते हुए उसने पूछा, “यार ऐसी भी क्या बात थी जो फोन पर नहीं हो सकती थी? सामने हमारी शादी है। हजारों काम पड़े हैं। देखो हमारे शादी का कार्ड भी छपकर आ गया है।” कहते हुए उसने अपने बैग के अंदर से एक कार्ड निकालकर उसके सामने रख दिया जिस पर लिखा था, “शुभ परिणय और नीचे लिखा था- आयु. प्रकृति, चि. विकास।”
वह बोली, “हम साथ-साथ खुश तो रहेंगे न?”
“यह कैसी बात कर रही हो प्रकृति? हम कई साल से रिलेशनशिप में हैं। अगले हफ्ते हमारी शादी है और आज तुम यह पूछ रही हो! बात क्या है खुलकर कहो।”
वह बोली, “जाने क्यों मुझे लग रहा है कि हमारी शादी के बाद मेरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। मुझे तुम्हारी इच्छा-अनिच्छा के हिसाब से अपने आप को पूरी तरह से बदल लेना पड़ेगा, जो मैं नहीं चाहती।” कहते हुए वह मानो कहीं खो गई, “विकास, मैं हमेशा से चाहती थी कि शादी के बाद हम शहर के कंक्रीट के जंगल, धूल, गाड़ियों के धुएं से दूर किसी पहाड़ पर बसे एक गांव में रहें ...”
उसकी बात को बीच में काटते हुए वह बोला, “जो आधुनिक सुख सुविधा से दूर हो, मॉल, मल्टीप्लेक्स से दूर हो, अम्यूजमेंट पार्क से दूर हो! यही न? यार प्रकृति, मुझे तुम जैसे लोगों से यही परेशानी है। दुनिया आगे बढ़ रही है। लोग अपने पिछड़े गांव-देहातों से नगर-महानगर की और जा रहे हैं और तुम जैसे लोग आज भी किसी रोमांटिक गांव के सपने देखते हो। आगे बढ़ो दोस्त, वरना एक बार हम पिछड़ गए तो हमेशा के लिए पिछड़ जाएंगे!”
वह बोली, “मैं भी चाहती हूं कि मेरे पहाड़ी गांव तक एक पक्की सड़क आए, गांव में बिजली, इंटरनेट आए, स्कूल और अस्पताल आए, हमारे घरों में पानी का कनेक्शन हो पर आज भी वहां स्कूल-बैंक-अस्पताल नहीं है। बिजली है पर गांव के पास बने रिसोर्ट और होटलों में जहां पर्यटन के नाम पर लोग आते हैं और रात भर डीजे का तमाशा चलता है।”
“इसी तमाशे से हमारे गांव में लोगों को रोजगार मिला है प्रकृति मैडम! दिल्ली-मुंबई से बाबू लोग अपना वीकेंड मनाने और इन्वेस्टमेंट के लिए यहां अपना फॉर्महाउस और विला बना रहे हैं जिससे हमारे जमीन के दाम सुधर गए हैं!”
“विकास!” उसने सधी आवाज में कहा, “मैं शादी नहीं करूंगी।”
“क्या! तुम कहना क्या चाहती हो ?” विकास ने चौंक कर पूछा।
“विकास मैं चाहूंगी कि हम दोनों की सोच को बराबर की अहमियत मिले और यह दोस्ती में ही संभव है। क्या तुम मेरे साथ एक दोस्त की तरह लिव-इन में रहना पसंद करोगे?”
अट्टहास करते हुए विकास बोला, “पगली तुम्हें इतना भी नहीं पता कि लिव-इन को सरकार ने अब गैरकानूनी घोषित कर दिया है। लो इसे पढ़ो।”
कहते हुए उसने सामने अखबार को रख दिया। प्रकृति हेडलाइन को देखने लगी और कुछ खबरों में उसकी आंखें रुक गईं, “विकास परियोजनाओं के लिए लगभग 100 हेक्टेयर वन क्षेत्र को गैर-वानिकी प्रयोजन में बदल दिया जाएगा”,“सड़क निर्माण के लिए 33,000-43,000 पेड़ काटे जाएंगे”,“अंधाधुंध निर्माण से जोशीमठ में जमीन में दरार।”
वह बुदबुदाते हुए बोली, “कितना अच्छा होता अगर प्रकृति और विकास एक अच्छे दोस्त की तरह साथ-साथ रहते!”
पर प्रकृति की आवाज बाहर के शोर और धूल में डूब गई।