प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
विकास

‘समान शिक्षा अधिकार’ पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा नीतियों का पूरा लेखा-जोखा

संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत भारत में बच्चों को निशुल्क शिक्षा का अधिकार प्राप्त है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से समान शिक्षा अधिकार के तहत ईडब्ल्यूएस और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए बनाई गई नीतियों का पूरा लेखा-जोखा मांगा है।

  • कोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है ताकि वे अदालत में सभी फैसलों का रिकॉर्ड पेश कर सकें। अगली सुनवाई 3 फरवरी 2026 को होगी।

  • पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यह मांग की गई कि दिल्ली-एनसीआर में जब प्रदूषण के कारण स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं बंद हों, तो कमजोर वर्ग के बच्चों को ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने के लिए जरूरी उपकरण (गैजेट्स) मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक दिसंबर 2025 को भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को दो हफ्ते का समय दिया है, ताकि वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित वर्ग के बच्चों को समान सुविधाएं देने के लिए बनाई गई नीतियों और समय-समय पर लिए गए फैसलों का पूरा रिकॉर्ड अदालत में पेश कर सके।

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत बच्चों को निशुल्क शिक्षा का अधिकार प्राप्त है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यह मांग की गई कि दिल्ली-एनसीआर में जब प्रदूषण के कारण स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं बंद हों, तो कमजोर वर्ग के बच्चों को ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने के लिए जरूरी उपकरण (गैजेट्स) मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएं।

अब सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि बच्चों को समान और निर्बाध शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब 3 फरवरी 2026 को होगी।

ग्रेटर नोएडा की ग्रीन बेल्ट से हटाया गया अस्थाई कचरा केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश

ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने मार्च 2022 में ग्रीन बेल्ट के एक हिस्से में एक अस्थाई कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन वेस्ट भंडारण केंद्र बनाया था। यह केंद्र 28 मई 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद जून 2024 में हटा दिया गया।

इस कार्रवाई का पूरा विवरण संयुक्त समिति की रिपोर्ट में सामने आया, जिसे 1 दिसंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश क्या गया है।

निरीक्षण के दौरान एक स्थानीय निवासी ने समिति को बताया कि ग्रीन बेल्ट में तोड़-फोड़ से जुड़ा कचरा रखने के लिए अस्थाई केंद्र बनाया गया था। साथ ही, कचरा ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही के लिए ग्रीन बेल्ट की बाउंड्री वॉल का एक हिस्सा तोड़कर वहां एक गेट भी लगाया गया था।

हालांकि 18 जून 2025 को किए निरीक्षण में पाया गया कि ग्रेटर नोएडा के सेक्टर डेल्टा-III, ब्लॉक-एन की ग्रीन बेल्ट में अब कोई अस्थाई कचरा भंडारण केंद्र मौजूद नहीं है। बाउंड्री वॉल की मरम्मत हो चुकी है, जिससे संकेत मिलता है कि इसका कुछ हिस्सा पहले तोड़ा गया था। हालांकि, निरीक्षण के समय वहां कोई गेट नहीं मिला।

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अनुसार, ग्रीन बेल्ट में बने इस अस्थाई कचरा केंद्र के निर्माण के दौरान कोई पेड़ नहीं काटा गया। इस बात की पुष्टि पुरानी गूगल सैटेलाइट इमेजों के विश्लेषण से भी हुई है।

रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी सामने आया है कि ग्रेटर नोएडा मास्टर प्लान 2021 में ग्रीन बेल्ट में “वेस्ट डिस्पोजल और ट्रीटमेंट साइट” की अनुमति थी। हालांकि मास्टर प्लान में यह स्पष्ट नहीं था कि वहां किस प्रकार की कचरा निपटान सुविधाएं लगाई जा सकती हैं

पर्यावरण सुरक्षा के लिए बड़ा कदम

यह भी साफ नहीं है कि क्या कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन कचरा संग्रह केंद्र को इन अनुमत सुविधाओं में शामिल माना जा सकता है। ‘कचरा निपटान और उपचार स्थल’ का मतलब सुरक्षित लैंडफिल, कम्पोस्टिंग, बायो-मीथनेशन या इंसीनरेशन जैसी सुविधाएं भी हो सकता है।

इसके अलावा, ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की जानकारी के अनुसार, मास्टर प्लान 2041 को 12 नवंबर 2024 को मंजूरी दी गई और 5 फरवरी 2025 को अधिसूचित किया गया।

मास्टर प्लान 2041 में ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की कचरा निपटान या उपचार सुविधा, चाहे वो अस्थाई हो या स्थायी, उनकी अनुमति नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत कचरा संग्रह केंद्र स्थापित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।