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स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2021: तीन साल में कितना हुआ 115 आकांक्षी जिलों का विकास

स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट रिपोर्ट इन फिगर्स 2021 से पता चला है कि भारत के आकांक्षी जिले विकास के पथ पर उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।

DTE Staff

केंद्र सरकार ने जनवरी 2018 में देश के 115 अति पिछड़ों जिलों को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के उद्देश्य से महत्वाकांक्षी “आकांक्षी जिला कार्यक्रम” की शुरुआत की थी। विकास के मापदंड में पिछड़ चुके इन जिलों को कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय समावेशन और बुनियादी सुविधाओं के स्तर को ऊंचा करना था। कार्यक्रम को शुरू हुए तीन साल हो चुके हैं और इन तीन सालों में सभी जिलों ने प्रगति की है। हालांकि इस फ्लैगशिप योजना को कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की जरूरत है।

स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट रिपोर्ट इन फिगर्स 2021 से पता चला है कि भारत के आकांक्षी जिले विकास के पथ पर उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इस योजना की शुरुआत के बाद से कृषि और जल के क्षेत्र में 20 फीसदी से भी कम प्रगति हुई है। आकांक्षी जिलों पर किया यह विश्लेषण सरकार द्वारा जुलाई 2018 और फरवरी 2021 के बीच की तुलनात्मक प्रगति रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक यदि कृषि क्षेत्र में निगरानी किए गए पांच संकेतकों के आधार पर देखें तो ओडिशा के बालांगीर जिले में कृषि और जल के क्षेत्र में हुई प्रगति सबसे धीमी रही है। इन संकेतकों में वितरित किए गए मृदा स्वास्थ्य कार्डों की संख्या, पशुओं का किया गया टीकाकरण, सूक्ष्म सिंचाई के तहत क्षेत्र, कृत्रिम गर्भाधान कवरेज, इलेक्ट्रॉनिक तौर पर मंडियों से जुड़ाव शामिल हैं।

ओडिशा में कालाहांडी ने इस मामले में थोड़ी बहुत प्रगति जरूर की है, लेकिन उसकी रफ्तार अभी भी काफी सुस्त है। स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में हुई प्रगति भी कोई खास अच्छी नहीं है। विश्लेषण के अनुसार, 69 आकांक्षी जिलों या यह कहें कि 60 फीसदी जिलों ने स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में 20 फीसदी से भी कम प्रगति की है। इस मामले में ओडिशा के नबरंगपुर और मलकानगिरी ऐसे आकांक्षी जिले थे जिनकी रफ्तार सबसे धीमी थी। वित्तीय समावेशन और कौशल विकास के क्षेत्र में 30 जिलों ने 20 प्रतिशत से कम प्रगति की है। हालांकि उत्तर प्रदेश के जिले बेहतर स्थिति में हैं। प्रदेश के कुल आठ जिले- बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट, श्रावस्ती और बहराइच आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल हैं। ये जिले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल है।

बलरामपुर को तो अव्वल रैंकिंग मिली है। सिद्दार्थनगर भी चोटी के पांच जिलांे में शामिल है। गौरतलब है कि भारत पहले ही सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के 17 लक्ष्यों में से 10 को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिसमें “गरीबी का पूर्णतः उन्मूलन” और “बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण” जैसे लक्ष्य शामिल हैं। ऐसे में अगर आकांक्षी जिले इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहतर प्रदर्शन नहीं करते हैं तो भारत की राह और मुश्किल हो सकती है।