2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करना है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत की तैयारी नाकाफी है। भारत ने कुल 295 संकेतकों की पहचान की है लेकिन वह केवल 115 संकेतकों की ही निगरानी करता है। स्थिति यह है कि इन संकेतकों की भी नियमित निगरानी नहीं की जा रही है।
उदाहरण के लिए एसडीजी-8 के अंतर्गत 41 संकेतकों की पहचान की गई है जो समग्र आर्थिक विकास और उत्पादक रोजगार की तस्वीर पेश करते हैं। भारत इनमें केवल 9 संकेतकों को मापता है। वह पंजीकृत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम जैसे महत्वपूर्ण संकेतकों की उपेक्षा करता है। 2019-20 के दौरान राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 115 संकेतकों में से 46 में पिछड़ गए हैं।
22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिला और पुरुषों के वेतन/मजूदरी में अंतर बढ़ा है। 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में बच्चों की प्रति एक लाख आबादी के खिलाफ संज्ञेय अपराध बढ़े हैं। हालांकि बाद के वर्षों के आंकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह माना जा रहा है कि महामारी के वर्षों में स्थिति और बदतर हुई है। लक्ष्य गतिशील होने के कारण आंकड़ों का नियमित संग्रहण जरूरी है और योजनाओं में सरकारों द्वारा उन्हें शामिल करना जरूरी है। लेकिन कुछ संकेतकों के आंकड़े 10 साल तक पुराने हैं, नतीजतन कुछ संकेतकों का प्रदर्शन स्थिर रहता है