विकास

बैठे ठाले: गरीबी अच्छी है!

सरकार की कौशल-विकास नीति के तहत भिखारी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे आज हजारों-लाखों लोग स्व-रोजगार कर रहे हैं

Sorit Gupto

नेटफ्लिक्स या अमेजोन में सदियों तक चलने वाली किसी सीरीज का एक एपिसोड देखकर राजकुमार अपने दोनों हाथों की मुट्ठी को ऊपर की ओर उठाए उठ खड़े हुए।

अचानक एक विकट चीख से राजमहल की छत पर दाना चुगते कबूतरों का झुंड बुरी तरह डरकर फड़फड़ाता हुआ उड़ गया। यह विकट चीख राजकुमार के उबासी लेने की वजह से उत्पन्न हुई थी। गूगल ट्रांसलेट के अनुसार, इस चीख का अर्थ था, “मैं भयंकर रूप से बोर हो रहा हूं!”

कौन है यह राजकुमार और वीकेंड में आखिर राजमहल में क्या कर रहा है? यह जानने के लिए आपको फ्लैशबैक में जाना होगा।

कहते हैं एक राजा था। जब उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो वह राजकुमार की कुंडली की जांच करने चैट-जीपीटी की शरण में गए। चैट-जीपीटी ने कहा, “राजन, आपके बच्चे में बगावती गुण हैं। उसे खुला मत छोड़ना, वरना वह आपके स्विस-बैंक से लेकर पनामा पेपर और आपके जगत सेठ के करीबी रिश्तों से लेकर इलेक्टोरल-बॉन्ड के बारे में सब कुछ आम जनता को बता देगा।”

राजा ने उसी दिन से राजकुमार को किले में नजरबंद कर दिया। अपने किले में पड़े-पड़े राजकुमार ऑनलाइन शॉपिंग करते, ऑनलाइन खाना मंगवाते, डेटिंग साइट पर स्टेटस अपडेट करते और ओटीटी पर वेब सीरीज देखते रहते थे। लेकिन इसकी भी एक सीमा थी। खाली वक्त में अक्सर वह बहुत बोर हो जाया करते थे। एक दिन आखिरकार राजकुमार ने उबर-रेंटल से एक गाड़ी मंगवाई और घूमने निकल पड़े। थोड़ी दूर चले थे कि उन्हें एक आलीशान इमारत के गेट के बाहर कुछ बच्चे दिखे। उन्होंने पूछा, “यह बच्चे गेट के बाहर क्या कर रहे हैं?”

ड्राइवर रोहतास ने कहा, “सर यह एक स्कूल है और स्कूल के बाहर जो बच्चे हैं, वे गरीब हैं जिनके पास स्कूल की फीस भरने के पैसे नहीं हैं। यह ठीक भी है। गरीबों के बच्चे पढ़-लिख लेंगे तो कल को वह अमीरों के बच्चों से बराबरी का हक मांगेंगे। इससे समाज में अशांति पैदा होने का खतरा है।”

राजकुमार चुप रहे। थोड़ी दूरी पर चलने पर वह एक रेस्तरां के सामने से गुजरे जहां बहुत भीड़ थी। उसी के बगल में एक कूड़ेदान था जिसमें कुछ बच्चे खाना बीनकर खा रहे थे।

राजकुमार ने पूछा, “ये बच्चे कूड़ेदान से खाना बीनकर क्यों खा रहे हैं?”

ड्राइवर बोला, “ये गरीबों के बच्चे हैं और इनके पास खाने के पैसे नहीं है। वैसे यह ठीक भी है। ज्यादा जंक-फूड सेहत के लिए अच्छा भी नहीं होता। इसलिए गरीबों के बच्चे मोटे नहीं होते और सेहतमंद बने रहते हैं।”

अचानक उनकी गाड़ी रुक गई। सामने भयंकर जाम था। राजकुमार के सामने सड़क पर एक पुरानी मैली ढोलक की थाप पर एक नन्हा सा बच्चा और एक बच्ची कुछ करतब दिखाने लगे। एकाएक बच्चे ने उनकी कार की खिड़की खटखटाई।

राजकुमार ने पूछा, “यह कौन है और इसे क्या चाहिए?”

जवाब आया, “यह लोग बेरोजगार और बेहद गरीब हैं। इसे भूख लगी है। सड़क पर करतब दिखाकर ये भीख मांगते हैं। वैसे यह सही भी है, सरकार आखिर कितनों को रोजगार दे सकती है। अब आप ही सोचिए कि इस बच्चे ने अगर दो पैसे कमा लिए तो यह रोजगार हुआ कि नहीं? हमारी लोकप्रिय सरकार की “कौशल-विकास” नीति के तहत भिखारी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे आज हजारों-लाखों लोग स्व-रोजगार कर रहे हैं।

राजकुमार ने कहा, “गाड़ी किले की ओर वापस मोड़ो और हो सके तो कोई अच्छा सा गाना चला दो।” राजकुमार ने आंखें मूंद लीं।

रेडियो पर “ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया...” गीत बज रहा था।