विकास

पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित नहीं सड़कें, हर दिन सड़क हादसों में जा रही 750 जानें

दुनिया में 80 फीसदी सड़कें पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। वहीं महज 0.2 फीसदी सड़कों पर साइकिल लेन मौजूद है

Lalit Maurya

भारत ही नहीं, दुनियाभर की सड़कें पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर औसतन हर दिन 750 से ज्यादा पैदल यात्रियों की जान सड़क हादसों में जा रही है। मतलब कि वैश्विक स्तर पर हर साल 274,000 पैदल यात्री सड़कों पर होने वाले हादसों का शिकार बन जाते हैं।

यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट 'ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2023' में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल सड़क हादसों में जितनी जाने जा रही हैं उसमें से 23 फीसदी शिकार पैदल यात्री होते हैं। वहीं यदि पिछले 11 वर्षों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 2010 की तुलना में 2021 के दौरान हादसों में जान गंवाने वाले पैदल यात्रियों के आंकड़े में तीन फीसदी का इजाफा हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दुनिया में 80 फीसदी सड़कें पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। वो पैदल यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े मानकों को पूरा नहीं करती हैं। वहीं महज 0.2 फीसदी सड़कों पर साइकिल लेन मौजूद हैं। जो कहीं न कहीं स्पष्ट तौर पर इस बात का संकेत है कि यह सड़कें पैदल और साइकिल सवारों के लिए सुरक्षित नहीं हैं।

 इतना ही नहीं सर्वेक्षण में सामने आया है कि हर दस में से नौ लोग पैदल चलते हैं। इसके बावजूद दुनिया के केवल एक चौथाई देशों में  पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में नीतियां हैं।

हालांकि साथ ही इस रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि इन 11 वर्षों में सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों में पांच फीसदी की गिरावट आई है। गौरतलब है कि जहां 2010 के दौरान हुए सड़क हादसों में कुल 12.5 लाख लोगों की जान गई थी। वहीं 2021 में मौतों का यह आंकड़ा घटकर 11.9 लाख रह गया है। मतलब की अभी भी हर दिन औसतन 3200 लोगों की जान इन सड़क हादसों में जा रही है।

साइकिल सवारों की मौतों में हुआ 20 फीसदी का इजाफा

रिपोर्ट में जो चौंकाने वाली बात सामने आई है वो यह है कि इन 11 वर्षों में सड़क हादसों में होने वाली साइकिल सवारों की मौतों में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। आंकड़ों की मानें तो 2021 में 71,000 साइकिल सवार इन सड़क हादसों की भेंट चढ़ गए थे। मतलब की सड़क हादसों में होने वाली छह फीसदी मौतों का शिकार कोई न कोई साइकिल सवार बनता है।

इस तरह कुल मिलकर देखें तो सड़क हादसों में होने वाली 29 फीसदी मौतों के शिकार पैदल यात्री या साइकिल सवार बन रहे हैं। देखा जाए तो यह आंकड़ा करीब-करीब सड़क हादसों में होने वाली चार पहिया सवारों की मौतों के बराबर है। बता दें कि हर साल सड़क हादसों में होने वाली 30 फीसदी मौतों का शिकार यह चार पहिया सवार ही बन रहे हैं।

वहीं दो और तीन पहिया सवारों की सड़क हादसों में होने वाली मौतों को देखें तो यह आंकड़ा करीब 21 फीसदी है। जबकि हादसों में जाने वाली 20 फीसदी मौतों के बारे में रिपोर्ट का कहना है कि वो भारी वाहनों या अन्य वाहनों के सवार हैं।

यदि भारत की बात करें तो देश में भी पैदल चलने वाले सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। इस बारे में सांसद राकेश सिन्हा ने सात दिसंबर 2023 को जो जानकारी  राज्यसभा में सदन के सामने रखी है उससे पता चला है कि 2022 में करीब 32,825 पैदल यात्री सड़क दुर्घटनाओं का शिकार बने हैं। राज्यसभा सांसद ने सदन को बताया है कि सड़क हादसों में 58 फीसदी दुर्घटनाएं पैदल यात्रियों की हो रही हैं।

इस बारे में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में कमी जरूर आई है, लेकिन यह आंकड़ा उतनी तेजी से नहीं गिर रहा। उनके अनुसार सड़कों पर होने वाली इन त्रासदियों को टाला जा सकता है। उन्होंने सभी देशों से अपनी परिवहन प्रणालियों में कारों की जगह लोगों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। साथ ही उन्होंने सभी देशों से पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही है।