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सुरक्षित नहीं सड़कें, हर घंटे हो रहे 53 हादसे, साल 2022 में 168,491 लोगों की गई जान

रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए गए हैं वो देश में रफ्तार के बढ़ते कहर की भयावह तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। 2022 के दौरान देश में कुल 461,312 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 168,491 लोगों की मृत्यु हो गई

Lalit Maurya

भारत में हर घंटे करीब 53 सड़क हादसे होते हैं। इन हादसों में साल में 168,491 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। हालांकि इसके बावजूद लोग सुरक्षा के लिए बनाए नियमों का पालन नहीं कर रहे। यह जानकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी नई रिपोर्ट “रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया 2022” में सामने आई है।

इस रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए गए हैं वो देश में रफ्तार के बढ़ते कहर की भयावह तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 के दौरान देश में कुल 461,312 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 1,68,491 लोगों की मृत्यु हो गई थी। वहीं करीब 4.43 लोग इन हादसों में जख्मी हुए थे।

इतना ही नहीं यदि पिछले वर्ष की तुलना में देखें तो 2022 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 11.9 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसी तरह इन हादसों में मरने वालों की संख्या में भी 9.4 फीसदी का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि 2021 में हुए सड़क हादसों में 153,972 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 2020 में मरने वालों का यह आंकड़ा 138,383 दर्ज किया गया था। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि 2020 के बाद से सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।

इनमें से सबसे ज्यादा मौतें सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल न करने के कारण हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार सीट बेल्ट न लगाने की वजह से देश में कुल 16,715 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इनमें से 8,384 लोग चालक थे, जबकि बाकी 8,331 लोग गाड़ी में बैठे मुसाफिर थे। इसी तरह देश में हेलमेट न पहनने के चलते 50,029 मोटरसाईकिल सवारों की मौत हो गई थी।

साल दर साल बढ़ रहा है रफ्तार का कहर

ऐसा ही कुछ इन हादसों में घायल हुए लोगों के बारे में देखा गया है। 2022 में इन हादसों में कुल 443,366 लोगों को चोटें आई थी जो पिछले वर्ष की तुलना में 15.3 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। यह रिपोर्ट राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों द्वारा एकत्र आंकड़ों और उनसे प्राप्त सूचनाओं पर आधारित है।

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में जो 4.61 लाख सड़क हादसे हुए हैं उनमें से करीब 32.9 फीसदी यानी 151,997 हादसे एक्सप्रेसवे एवं नेशनल हाईवे पर हुए हैं। वहीं 106,682 यानी 23.1 फीसदी दुर्घटनाएं स्टेट हाईवे पर हुई हैं जबकि दो लाख से ज्यादा यानी 43.9 फीसदी हादसे अन्य सड़कों पर हुए हैं।

इसी तरह जहां 61,038 लोगों की मौत एक्सप्रेसवे या नेशनल हाईवे पर हुए हादसों में हुई थी। वहीं 41,012 जानें स्टेट हाईवे पर गई हैं जबकि अन्य सड़कों पर हुए हादसों में 66,441 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। रिपोर्ट के अनुसार जहां देश में 2022 के दौरान कोहरा और धुंध भरे वातावरण में 34,262 हादसे हुए हैं वहीं साफ दिन में इनकी संख्या 3,42,516 दर्ज की गई थी वहीं बारिश के मौसम में करीब 38,329 हादसे हुए थे। इसी तरह 119,585 लोगों की मौत साफ दिनों के दौरान हुई थी।

2022 के दौरान सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में जहां 86.2 फीसदी (145,177) पुरुष थे। वहीं 13.8 फीसदी यानी 23,314 महिलाऐं भी इनका शिकार बनी थी। वैश्विक स्तर पर देखें तो सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं 15 से 49 वर्ष की उम्र के लोगों की मृत्यु के सबसे प्रमुख कारकों में से एक है। रिपोर्ट से भी पता चला है कि सड़क हादसों में सबसे ज्यादा शिकार नौजवान हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार 2022 में 18 से 45 वर्ष की आयु के 98,438 पुरुष और 13,634 महिलाएं थी। इसी तरह सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 83.4 फीसदी मौतें 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु के लोगों की हुई थी।

रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 2022 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी दोपहिया सवारों की थी, जो करीब 44.5 फीसदी दर्ज की गई। इसके बाद इन दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले 19.5 फीसदी लोग पैदल यात्री थे।

यदि राज्यों के लिहाज से देखें तो 2022 में नेशनल हाइवेज पर सबसे ज्यादा हादसे तमिलनाडु में हुए थे, जबकि इन हाइवेज पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा थी। गौरतलब है कि 2022 के दौरान सबसे ज्यादा हादसे तमिलनाडु में हुए थे, जिनकी कुल संख्या 64,105 थी। वहीं 54,432 दुर्घटनाओं के साथ मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर जबकि केरल तीसरे स्थान पर रहा जहां 43,910 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी। 

यदि इन हादसों में होने वाली मौतों को देखें तो इस मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा। जहां इन हादसों में 22,595 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 17,884 मौतों के साथ तमिलनाडु दूसरे पायदान पर रहा।

रिपोर्ट में इन हादसों में वृद्धि के लिए जिम्मेवार कारकों के समाधान के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की तात्कालिकता पर बल दिया गया है। इनमें तेज रफ्तार, लापरवाही या नशे में गाड़ी चलाना, और यातायात नियमों का पालन न करना जैसे कारण शामिल है। रिपोर्ट में कानूनों को लागू करने में सुधार और ड्राइवर शिक्षा और प्रशिक्षण को बेहतर बनाने के साथ सड़कों और वाहनों में सुधार के लिए निवेश पर जोर दिया है।