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शोधकर्ताओं ने दुनिया के भूमि आवरण का बनाया नक्शा, भूमि उपयोग तथा प्रबंधन में मिलेगी मदद

Dayanidhi

शोधकर्ताओं ने साल 2000 से 2020 की अवधि तक के लिए हाइब्रिड ग्लोबल एनुअल एक-किमी इंटरनेशनल जियोस्फीयर-बायोस्फीयर प्रोग्राम (आईजीबीपी) भूमि आवरण का मानचित्र बनाया है।

शोध के मुताबिक, इस क्रांतिकारी डेटासेट तक निःशुल्क पहुंचा जा सकता है। यह दुनिया भर में भूमि आवरण के मानचित्रण को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मौजूदा भूमि आवरण उत्पादों के बीच असहमति और सही से वर्गीकरण न किए गए प्रणालियों के लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को हल करने में मदद करता है।

शोध में कहा गया है कि पर्यावरणीय शोध के लिए आवश्यक दुनिया भर में भूमि आवरण के आंकड़े, विभिन्न डेटासेटों में विसंगतियां व्याप्त हैं, जिससे दुनिया भर में भूमि में बदलावों से संबंधित अध्ययन कठिन हो गए है। वर्गीकरण प्रणालियों और पद्धतियों में विविधता को एक साथ लाना, सटीक भूमि आवरण के मानचित्र के निर्माण को चुनौती देती है।

एक साथ जुडी और विश्वसनीय भूमि आवरण की जानकारी की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, पारिस्थितिक बदलावों की प्रभावी ढंग से निगरानी करने और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए इन विसंगतियों से निपटना जरूरी है।

पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने जर्नल ऑफ रिमोट सेंसिंग में एक शोध प्रकाशित किया है। उनके द्वारा एक पदानुक्रमित अंतर्राष्ट्रीय जियोस्फीयर-बायोस्फीयर प्रोग्राम (आईजीबीपी) वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग करके चार प्रमुख भूमि आवरण उत्पादों को एक साथ जोड़ा गया, जिससे एक हाइब्रिड वैश्विक वार्षिक भूमि आवरण (एचवाईबीएमएपी) का निर्माण हुआ।

शोध के अनुसार, यह हाइब्रिड नजरिया असमान भूमि आवरण के डेटासेट को सुसंगत बनाता है और बेहतर रिज़ॉल्यूशन और सटीकता प्रदान करता है।

शोध सुधार किए गए आईजीबीपी वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग करते हुए चार प्रमुख भूमि आवरण डेटासेट से आंकड़ों को एक साथ जोड़ता है। सटीकता के लिए संदर्भ नमूनों के वैश्विक संग्रह का उपयोग करके, एचवाईबीएमएपी मौजूदा डेटासेट के बीच विसंगतियों के लंबे समय से चली आ रही समस्या को कम करता है, जिससे असहमति में 20.1 फीसदी तक की भारी कमी आती है।

शोध में कहा गया है कि एचवाईबीएमएपी को जो चीज अलग करती है, वह है सटीकता और रिज़ॉल्यूशन बढ़ाने की इसकी दोहरी सुविधा है। इसके जरिए 75.5 फीसदी की समग्र सटीकता हासिल की जा सकती है, जिससे यह साथ जोड़े गए डेटासेट से बेहतर प्रदर्शन करता है। यह छोटा सा संयोग न केवल अलग-अलग वर्गीकरण प्रणालियों को सुसंगत बनाता है, बल्कि अस्थायी बदलावों को भी जोड़ता है, निर्मित क्षेत्रों के तेजी से विस्तार जैसे रुझानों की पहचान भी करता है।

शोध के मुताबिक, एचवाईबीएमएपी का कई आंकड़ों के स्रोतों को एक साथ जोड़ा गया और इसकी सटीकता वैश्विक जैव-भू-रासायनिक चक्रों और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के अध्ययन के लिए अधिक विश्वसनीय आधार प्रदान करती है।

शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा कि एचवाईबीएमएपी एक सुसंगत और विश्वसनीय वैश्विक भूमि आवरण प्रदान करता है, जो पर्यावरण निगरानी, ​​नीति-निर्माण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित शोधों के लिए आवश्यक है। इसकी सटीकता और बेहतर रिज़ॉल्यूशन वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र पर भूमि उपयोग के प्रभाव की हमारी समझ में सुधार करेगी और स्थायी भूमि प्रबंधन रणनीतियों के विकास में मदद करेगी।