विकास

दो पत्रकारों को मिला 2021 का नोबेल शांति पुरस्‍कार

उन्हें यह पुरस्कार अपने-अपने देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए किए प्रयासों को देखते हुए दिया गया है

Lalit Maurya

फिलीपीन्‍स की पत्रकार मारिया रेस्‍सा और रूस के दमित्री मुरातोव को 2021 का नोबेल शांति पुरस्‍कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार अपने-अपने देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए किए प्रयासों को देखते हुए दिया गया है। इसकी औपचारिक घोषणा नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा 8 अक्टूबर, 2021 को की गई।

समिति ने कहा कि यह दोनों उन सभी पत्रकारों के प्रतिनिधि भी हैं, जो एक ऐसी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खड़े हुए हैं, जहां लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।

रेस्‍सा एक डिजिटल मीडिया कंपनी 'रैपलर' की सह-संस्थापक हैं, जोकि 2012 से खोजी पत्रकारिता (इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्‍म) के क्षेत्र में काम कर रही है। वो अभी भी इसका नेतृत्व कर रही हैं। गौरतलब है कि रैपलर ने रोड्रिगो दुतेर्ते के शासनकाल में विवादास्पद और जानलेवा ड्रग-विरोधी अभियान का उजागर किया था और उसके सबूत सामने लाए थे। 

इस अभियान में इतनी जाने गई हैं कि यह अभियान अपने देश की जनता के खिलाफ ही युद्ध की तरह दिखने लगा है। यही नहीं रेस्‍सा और 'रैपलर' ने इस बात के भी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे कि कैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल फर्जी ख़बरों को फैलाने, विरोधियों को परेशान करने और सार्वजनिक प्रवचन में हेरफेर करने के लिए किया जा रहा है।

वहीं यदि दमित्री मुरातोव की बात करें तो उन्होंने 1993 में रूस में नोवाजा गजेटा नामक अखबार की शुरुवात की थी। वो 1995 से इसके प्रधान संपादक हैं।

नोबेल समिति द्वारा जारी बयान के अनुसार, 1993 में अपनी शुरुआत के बाद से ही नोवाजा गजेटा भ्रष्टाचार, पुलिस द्वारा की जा रही हिंसा, गैरकानूनी गिरफ्तारी, चुनावी धोखाधड़ी और "ट्रोल कारखानों" से लेकर रूस के भीतर और बाहर सैन्य बलों के उपयोग जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण लेख प्रकाशित कर रहा है। 

इस समाचार पत्र के शुरू होने के बाद से अब एक छह पत्रकार मारे जा चुके हैं, जिसमें अन्ना पोलितकोवस्काजा भी शामिल हैं, जिन्होंने चेचन्या युद्ध का खुलासा करने वाला लेख लिखा था।

इसके बावजूद मुरातोव ने अखबार की स्वतंत्र नीति को छोड़ने से इनकार कर दिया था। वे अब तक पत्रकारिता के पेशेवर और नैतिक मानदंडों का पालन करते हैं। उन्होंने जो कुछ भी पत्रकार चाहते हैं, उसके बारे में आजादी से लिखने के अधिकार का लगातार बचाव किया है।

नोबेल सोसाइटी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि स्वतंत्र, आजाद और तथ्य-आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरूपयोग, झूठ और युद्ध प्रचार से बचाव का काम करती है।

समिति के अनुसार अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता के बिना देशों के बीच भाईचारे को सफलतापूर्वक बढ़ावा देना कठिन है। यही नहीं इसके बिना निरस्त्रीकरण और मौजूदा समय में सफल होने के लिए एक बेहतर विश्वव्यापी व्यवस्था को बढ़ावा देना मुश्किल होगा। इसलिए इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की विचारधारा पर पूरी तरह से खरा है।