विकास

पार्किंग के नाम पर पार्कों को नहीं किया जा सकता कम: एनजीटी

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चेताया है कि पार्किंग और कंक्रीट बिछाने के नाम पर पार्कों और हरे भर क्षेत्रों को बिना सोचे समझे कम नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की बेंच ने 30 जनवरी 2024 को दिए अपने आदेश में पंजाब में मौजूद पार्कों, खुले स्थानों, और ग्रीन बेल्ट की सुरक्षा और रखरखाव के महत्व पर प्रकाश डाला है। कोर्ट ने इनके अनुचित उपयोग और इनमें किए जा रहे बदलावों पर जताई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक संयुक्त समिति के गठन का भी आदेश दिया है।

इस समिति में पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पंजाब शहरी नियोजन विभाग, स्थानीय निकाय विभाग से जुड़े प्रतिनिधि शामिल होंगें।

संयुक्त समिति का काम पंजाब के सभी नगर निकायों में आरक्षित पार्कों, हरित क्षेत्रों, और हरित पट्टियों के बारे में जानकारी एकत्र करना है। इस जानकारी में उनके बारे में सभी आवश्यक विवरण जैसे उनका स्थान, राजस्व संख्या, उनकी सीमाएं, माप के साथ यदि उनपर कोई भी अतिक्रमण हुआ है, तो उसकी भी जानकारी शामिल होनी चाहिए।

कोर्ट ने इन पार्कों, ग्रीन बेल्ट और हरित क्षेत्रों के बारे में समिति द्वारा एकत्र सभी जानकारियों को जिला प्रशासन और नगर निकायों की वेबसाइटों पर भी पोस्ट करने को कहा है, जिससे यह जानकारी आम जनता के साथ भी साझा की जा सके। इस कदम का उद्देश्य जनता के सहयोग से इनपर होते अतिक्रमण को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि इन स्थानों का उपयोग और रखरखाव ठीक से किया जाए।

समिति को प्रति व्यक्ति के हिसाब से कितना हरित आवरण मौजूद है, इसकी पुष्टि करने को भी कहा गया है। साथ ही क्या यह आबादी के हिसाब से पर्याप्त है इसके आंकलन का काम भी समिति के सुपुर्द किया गया है। समिति को राज्य भर में इन पार्कों, हरित क्षेत्रों के उचित उपयोग, विकास, रखरखाव, सुरक्षा के साथ इन्हें कैसे बढ़ाया जा सकता है और इसके लिए क्या आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए, उस बारे में भी सुझाव देगी।

यह समिति इसके लिए उप-समितियां गठित कर सकती है। साथ ही उसे संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों से रिपोर्ट मांगने और आवश्यकतानुसार जनता से शिकायतें इकट्ठा करने का भी अधिकार दिया गया है।

पेड़ों के इर्द-गिर्द नहीं बिछाया जाना चाहिए कंक्रीट

संयुक्त समिति को तीन महीने के भीतर ट्रिब्यूनल और पंजाब के मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसके बाद मुख्य सचिव समिति की सिफारिशों के आधार पर उचित कार्रवाई करेंगे।

एनजीटी ने पंजाब को दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994, उत्तर प्रदेश ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्र वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976, और उत्तर प्रदेश पार्क, खेल के मैदान और खुले स्थान (संरक्षण और विनियमन) अधिनियम, 1975 के तर्ज पर कानून बनाने की सलाह दी है। इसके साथ ही पंजाब के मुख्य सचिव को इन सुझावों को उचित कार्रवाई के लिए दो महीने के भीतर पंजाब सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

अदालत ने मुख्य सचिव को एक महीने के भीतर सभी शहरी निकायों, नागरिक एजेंसियों, सरकारी विभागों और ग्राम पंचायतों को स्पष्ट आदेश देने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पेड़ों पर लगे सभी साइन बोर्ड, नामों, विज्ञापनों, और किसी भी बोर्ड या चिन्हों के साथ बिजली के तारों, इंसुलेटेड केबल को एक महीने के भीतर हटा दिया जाए।

इसी तरह जिन पेड़ों के किनारे कंक्रीट बिछाया जा चुका है, उनकी जड़ों और तनों को नुकसान से बचाने के लिए मैन्युअल तरीके से इस कंक्रीट को हटाया जाना चाहिए। इसके लिए जेसीबी मशीनों के उपयोग को न करने की बात कही गई है। पेड़ के एक मीटर के दायरे में मिट्टी भरी जानी चाहिए ताकि पेड़ों की जड़ों तक पानी पहुंच सके। इस काम को निर्देश जारी होने के दो महीनों के भीतर पूरा किया जाना जरूरी है।

कोर्ट ने सड़कों और फुटपाथ जैसी नई निर्माण परियोजनाओं के निविदा दस्तावेजों में एक नया खंड जोड़े जाने की बात कही है, जिसके तहत पेड़ों के चारों ओर एक मीटर के दायरे में कंक्रीट नहीं भरा जाना चाहिए ताकि जड़ों तक पानी पहुंच सके।

इसके साथ ही सड़कों और फुटपाथ के किनारों पर जहां तक संभव हो सके कंक्रीट बिछाने से बचने की बात की गई है। इसकी जगह घास, झाड़ियों और सुंदर फूलों वाले पौधे लगाने की सलाह कोर्ट ने दी है।