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खेल मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

Vivek Mishra
"खेल मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता। यहां तक कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र भी एक बेहतरीन पर्यावरण के हकदार हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी हरियाणा के एक ग्राम पंचायत की जमीन में स्कूल के अन्य भूभाग पर अवैध कब्जे को लेकर अपने फैसले में की है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्न की संयुक्त पीठ ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है। 
संयुक्त पीठ ने मामले में पूर्व में दिए गए पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को "बहुत गंभीर त्रुटि" बताते हुए पलट दिया। यह मामला हरियाणा के यमुनानगर में मौजा मगहरपुर का है। जहां ग्राम पंचायत की जमीन पर अवैध और गैरकानूनी तरीके से रिहायश काबिज है और आरक्षित स्कूल के लिए प्लेग्राउंड की जगह नहीं बची है। 
अवैध कब्जे वाली रिहायश को 2015 में पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने  नियमित करने का आदेश दिया था।  ग्राम पंचायत की खसरा संख्या 61/2 और 62 में जमीन को कब्जा करने वाले लोगों ने बेदखली के आदेश के बाद  पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर स्कूल के लिए अपनी तरफ से दूसरे भू-भाग को देने की बात कही थी। 
ग्राम पंचायत पर स्कूल के बगल कब्जा करने वालों ने खसरा संख्या 61/2 और 62 की कुल 11 कैनाल 15 मारला जमीन में 5 कैनाल 4 मारला जमीन पर गैरकानूनी रिहायश बनाया है।  इन परिवारों को हटाने की कार्यवाही करीब 23 वर्ष पूर्व शुरू हुई थी।
ग्राम पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की बेदखली की कार्यवाही 25.03.2009 को पंजाब विलेज कॉमन लैंड (रेगुलेशन) एक्ट की धारा 7(2) के तहत निष्कासन आवेदन दाखिल करके शुरू की गई थी। सहायक कलेक्टर ने केस लड़ने वाले उत्तरदाताओं के खिलाफ निष्कासन आदेश दिनांक 30.08.2011 पारित किया था। 
हालांकि, इस निष्कासन आदेश के खिलाफ रिहायश बनाने वालों ने यमुना नगर कलेक्टर को अपील किया, जिसे 2 मई, 2012 को रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद कब्जा करने वालों ने अंबाला डिवीजन के कमिश्नर का दरवाजा खटखटाया। इस अपील को भी 04 जुलाई 2014 को निरस्त कर दिया गया। 
अंत में कब्जेदारों ने 23 फरवरी., 2015 को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा कि वह स्कूल के लिए बगल में उतनी ही जमीन ग्राम पंचायत को देने को तैयार हैं जितने पर उन्होंने कब्जा किया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस शर्त को मानते हुए अपना फैसला दिया था। 
अब सुप्रीम कोर्ट ने 03 मार्च, 2023 को अपने ताजा फैसले में कहा है कि " कोई भी प्लेग्राउंड वहां नहीं है। स्कूल मूल याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अनाधिकृत निर्माण कार्यों से घिरा है। ऐसे में जमीन जो कि स्कूल और प्लेग्राउंड के लिए आरक्षित है उस पर अनाधिकृत रिहायश और कब्जे को कानूनी नहीं बनाया जा सकता। कोई भी स्कूल बिना प्लेग्राउंड के नहीं हो सकता। " 
सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑब्जरवेशन के साथ पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के जरिए रिहायश को लीगलाइज करने के फैसले को रद्द कर दिया। और अनाधिकृत कब्जेदारों को जमीन खाली करने का 12 महीने का वक्त दिया है। साथ ही कहा है कि यदि एक वर्ष के भीतर ऐसा नहीं किया जाता है तो उचित प्राधिकरण पूरे अनाधिकृत रिहायश और कब्जे को वहां से हटाए।