फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) 
विकास

पल्लीकरनई दलदली क्षेत्र में निर्माण के लिए नहीं दी गई कोई अनुमति: चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण

Lalit Maurya, Susan Chacko

चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सीएमडीए) ने जानकारी दी है कि उन्होंने पल्लीकरनई दलदली क्षेत्र में विकास के लिए किसी भी योजना को मंजूरी नहीं दी है। गौरतलब है कि तमिलनाडु आर्द्रभूमि प्राधिकरण ने जुलाई 2022 में पल्लीकरनई दलदली क्षेत्र को रामसर साइट घोषित कर दिया था।

रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि चेन्नई महानगर क्षेत्र के लिए जारी दूसरे मास्टर प्लान (एसएमपी) 2026 में, सीएमडीए ने भूमि उपयोग मानचित्र पर पल्लीकरनई दलदली क्षेत्र को चिह्नित किया है।

सीएमडीए द्वारा कासा ग्रैंड प्राइवेट लिमिटेड को योजना के लिए दी अनुमति दलदली क्षेत्र के लिए नहीं है। बल्कि यह निजी स्वामित्व वाली भूमि के लिए है, जो दूसरे मास्टर प्लान के अनुसार आवासीय क्षेत्र में पट्टे पर है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीएमडीए तीसरे मास्टर प्लान पर काम कर रहा है। हालांकि, बिना यह जाने कि कौन सी सर्वे संख्या रामसर साइट का हिस्सा है और पल्लीकरनई दलदल के आसपास के क्षेत्र में आती है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी के बिना सीएमडीए मास्टर प्लान में कोई बदलाव नहीं कर सकता। तमिलनाडु टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट की धारा 32 के मुताबिक, सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही इसमें संशोधन या बदलाव किए जा सकते हैं।

इसके साथ ही सीएमडीए चेन्नई क्षेत्र (2027-2046) के लिए तीसरे मास्टर प्लान पर काम कर रहा है। इसमें तमिलनाडु राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की मदद से पल्लीकरनई दलदल के आसपास के क्षेत्र के बारे में दिशा-निर्देश और विवरण शामिल होंगे।

गौरतलब है कि द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के चेन्नई संस्करण में 30 जून, 2023 को प्रकाशित एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने यह मामला उठाया था। इसक खबर में जिक्र किया गया था कि पेरुम्बक्कम में दलदली क्षेत्र के भीतर सड़क बिछाई जा रही है।

इस बारे में 24 जनवरी, 2024 को एनजीटी ने अन्य बातों के अलावा सीएमडीए से जानकारी देने को कहा था कि क्या मास्टर प्लान में पेरुम्बक्कम गांव को "प्राथमिक आवासीय क्षेत्र" के रूप में चिह्नित किया गया था, जब इसे जुलाई 2022 में रामसर वेटलैंड घोषित किया गया था। उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या सीएमडीए ने इस पर संज्ञान लिया है और चेन्नई के आसपास की की आर्द्रभूमि के संबंध में मास्टर प्लान में कोई बदलाव किया है।

हंदवाड़ा-बंगस सड़क निर्माण मामले में किया गया पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन

जम्मू-कश्मीर में हंदवाड़ा-बंगस सड़क निर्माण के समय मिट्टी के कटाव को लेकर संवेदनशील स्थानों पर रिटेनिंग दीवारें नहीं बनाई गई। वहां सुरक्षा उपायों में चूक की वजह से मिट्टी का कटाव हुआ है। जिन स्थानों पर पुलिया का निर्माण किया गया है, वहां सुरक्षा दीवारें खड़ी की गई हैं।

हालांकि एक पॉइंट को छोड़कर मलबा डंप करने के लिए कोई साइट नहीं बनाई है। उस के पॉइंट पर भी सड़क के बाईं ओर ढलान पर मलबा फेंका गया था। यह वो कुछ बिन्दु हैं जिनपर जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति ने 12 जून, 2024 को एनजीटी में सौंपी अपनी रिपोर्ट में प्रकाश डाला है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट रसिख रसूल भट बनाम जम्मू और कश्मीर और अन्य के मामले में 13 मार्च, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा दिए आदेश पर कोर्ट में सौंपा गया है।

यह मामला हंदवाड़ा-बंगस सड़क निर्माण से जुड़ा है, जिसे एक प्रमुख जिला सड़क (एमडीआर) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह सड़क जम्मू कश्मीर में एक निर्दिष्ट पर्यटन स्थल, बंगस के लिए एक पर्यटक गलियारा के रूप में कार्य करती है।