विकास

पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है शिमला विकास की नई ड्राफ्ट योजना, एनजीटी ने लगाई रोक

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के लिए यह निर्देश जारी किया है कि वो अगले आदेश तक ड्राफ्ट डेवलपमेंट प्लान, शिमला प्लानिंग एरिया 2041 के बारे में कोई और कदम न उठाए। इस बारे में एनजीटी ने 12 मई, 2022 को एक आदेश जारी किया है।

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट, हिमाचल प्रदेश द्वारा तैयार इस ड्राफ्ट डेवलपमेंट प्लान, 2041 में एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अधिक मंजिलों के निर्माण, कोर एरिया में नए निर्माण, ग्रीन एरिया में निर्माण, सिंकिंग और स्लाइडिंग जैसे क्षेत्रों में विकास की अनुमति दी है।

इस बारे में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और श्री अरुण कुमार त्यागी के नेतृत्व वाली तीन जजों की ग्रीन ट्रिब्यूनल बेंच का कहना है कि, “यदि राज्य इस तरह से आगे बढ़ता है, तो इससे न केवल कानून व्यवस्था को नुकसान होगा, साथ ही इसके पर्यावरण और सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े विनाशकारी परिणाम भी सामने आ सकते हैं।“

गौरतलब है कि 20 अप्रैल, 2022 को योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता नाम के एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने इस विकास योजना के मसौदे के खिलाफ एनजीटी में इस आधार पर आवेदन दायर किया था कि ऐसी योजना सतत विकास के सिद्धांतों के विपरीत है साथ ही यह पर्यावरण एवं सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरनाक है।

सेनगुप्ता ने अपने आवेदन में कहा है कि एनजीटी, 16 नवंबर, 2017 को पहले ही शिमला में मंजिलों की संख्या और कोर एवं ग्रीन क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध के सन्दर्भ में अपनाए जाने वाले नियमों को पहले ही जारी कर दिया था। इतना ही नहीं एनजीटी ने नवंबर 2017 को दिए अपने एक फैसले में चेतावनी दी थी कि अगर अनियोजित और अंधाधुंध तरीके से होते विकास को अनुमति दी गई तो एक तरफ जहां पर्यावरण, पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधनों को इतना नुकसान होगा जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। वहीं दूसरी तरफ इसके चलते आपदाओं का खतरा भी बढ़ जाएगा।

यही वजह है कि इस तरह की आपदाएं न आए उन्हें रोकने के लिए कोर्ट ने कोर और ग्रीन/वन क्षेत्रों के किसी भी हिस्से में, किसी भी तरह के नए निर्माण (आवासीय, संस्थागत और वाणिज्यिक) पर रोक लगा दी थी। यहां कोर और ग्रीन/वन क्षेत्रों की परिभाषा राज्य सरकार ने अपनी विकास योजना के लिए जारी विभिन्न अधिसूचनाओं में स्पष्ट कर दी है।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि कोर और वन क्षेत्रों से बाहर और शिमला योजना क्षेत्र के अधिकारियों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में भी निर्माण की अनुमति नगर और ग्राम योजना (टीसीपी) अधिनियम के अंतर्गत विकास योजना के लिए जारी प्रावधानों के तहत सख्ती से दी जाएगी। इसके साथ ही आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इन क्षेत्रों में दो मंजिल और एटिक फ्लोर से ज्यादा निर्माण की अनुमति नहीं होगी।

क्या है 2041 के लिए जारी शिमला विकास योजना का मसौदा

शिमला के विकास से जुड़े इस ड्राफ्ट डेवलपमेंट प्लान, शिमला प्लानिंग एरिया 2041 को फरवरी 2022 में प्रकाशित किया गया था। इसमें कहा गया है कि शिमला को विकास योजना की तत्काल आवश्यकता है,  जिससे एक अच्छी तरह से विनियमित और नियोजित शिमला और इसके उपनगरीय क्षेत्रों के लिए विकास सम्बन्धी नियमों को पुनर्जीवित किया जा सके। साथ ही इसका मकसद शहर एवं उसके किनारे बसे क्षेत्रों को बेहतर रूप देना है।

इस विकास योजना को हिमाचल प्रदेश के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा भारत सरकार की अमृत उप-योजना के तहत तैयार किया गया है। देखा जाए तो शिमला प्लानिंग एरिया के विकास की यह योजना जीआईएस आधारित है। जिसमें हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1977 के प्रावधानों के तहत शिमला नगर निगम और उसके आसपास के क्षेत्रों को शामिल किया गया है, इनमें कुफरी, शोघी और घनाहट्टी विशेष क्षेत्र और कुछ अतिरिक्त गांव शामिल हैं।

दिलचस्प बात यह है कि विकास की इस ड्राफ्ट योजना में कहा गया है कि “नगर नियोजन एनजीटी के दायरे में नहीं आता है।“साथ ही ड्राफ्ट का यह भी कहना है कि, “एनजीटी द्वारा शिमला प्लानिंग एरिया में भवनों की ऊंचाई पर रोक को लेकर जारी आदेश भविष्य में शहरीकरण की चुनौतियां से निपटने में सेंध लगाते हैं।“

12 मई, 2022 को इस मामले में एनजीटी ने क्या कुछ दिए थे निर्देश

ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया था कि हिमाचल प्रदेश के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को ड्राफ्ट डेवलपमेंट प्लान, 2041 के पालन में कोई और कदम नहीं उठाने चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को एक सप्ताह के भीतर सेवा सम्बन्धी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।

साथ ही कोर्ट ने प्रतिवादियों को एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 22 जुलाई, 2022 की जाएगी। इसके साथ ही एनजीटी की प्रधान पीठ ने चेतावनी दी है कि यदि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होता है तो उसके लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराया जाएगा।