वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी एक नए विश्लेषण से पता चला है कि दुनिया के सबसे कमजोर 26 देशों के लिए अगले 25 साल बेहद महत्वपूर्ण होंगें। यह 25 साल इन देशों की दिशा निर्धारित करेंगे और तय करेंगे कि क्या यह देश अपने आप को मध्यम आय वाले देश के रूप में स्थापित कर पाने में सफल होंगे या नहीं।
विश्लेषण में सामने आया है कि इन देशों की 40 फीसदी से अधिक आबादी आज भी हर दिन 2.15 डॉलर से कम पर गुजारा करने को मजबूर है।
ये देश बेहद गरीबी को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास का केंद्र भी हैं। हालांकि, यहां जारी संघर्षो, लगातार पैदा हो रहे आर्थिक संकटों और विकास की कमजोर रफ्तार के चलते इनकी प्रगति धीमी पड़ गई है।
इस विश्लेषण को विश्व बैंक की आने वाली वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा, जो 14 जनवरी 2025 को प्रकाशित होगी।
विश्लेषण में कहा गया है कि वैश्विक प्रगति इन 26 देशों को पीछे छोड़ आगे निकल चुकी है। इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि 21वीं सदी की शुरूआत में 63 देश 'आर्थिक रूप से कमजोर' देशों की श्रेणी में शामिल थे।
हालांकि तब से भारत, इंडोनेशिया और बांग्लादेश सहित 39 देशों ने विकास का सफर तय किया है और आज वो मध्यम आय वाले देश बन चुके हैं। 2023 तक इन देशों की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 1,145 डॉलर से अधिक हो चुकी है।
विश्लेषण में यह भी उल्लेख किया गया है कि शेष देश, जिनमें 2010 के दशक में दक्षिण सूडान और सीरिया भी शामिल हो गए थे, वहां वृद्धि दर स्थिर बनी हुई है। औसतन, पिछले 15 वर्षों में इनकी अर्थव्यवस्था (प्रति व्यक्ति मुद्रास्फीति-समायोजित जीडीपी) सालाना 0.1 फीसदी से भी कम दर से बढ़ी है।
विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि, "यदि विकास दर में निरंतर सुधार नहीं होता, तो आज के मौजूदा निम्न आय वाले देशों में से केवल छह ही 2050 तक मध्यम आय की स्थिति तक पहुंच पाएंगे।"
अवसरों की नहीं कमी
वर्ल्ड बैंक ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि इन कमजोर देशों में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं।
विश्लेषण में कहा गया है, "इन कमजोर देशों के पास दुनिया के 60 फीसदी से अधिक कोबाल्ट और 50 फीसदी से अधिक ग्रेफाइट के भंडार हैं, जो अक्षय ऊर्जा और उसके भंडारण के लिए प्रमुख आवश्यक धातुएं हैं।"
विश्लेषण से पता चला है कि इन देशों में सौर ऊर्जा उत्पादन की सर्वाधिक संभावनाएं हैं। इन देशों में कामकाजी आयु वाले लोगों की आबादी भी बढ़ रही है, जो आर्थिक विकास का प्रमुख चालक है, जबकि अधिकांश क्षेत्रों में ऐसी आबादी सिकुड़ रही है।
रिपोर्ट में इन देशों के लिए आगे की राह भी सुझाई गई है। इसमें कहा गया है कि यह कमजोर देश उन अन्य देशों से सीख सकते हैं, जो अतीत में सफलतापूर्वक गरीबी से निकलकर मध्यम आय वाले देश बन गए। इसकी मदद से यह आने वाले 25 वर्षों में कामयाबी की सीढ़ी चढ़ सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से करीब आधे देश राजनीतिक स्थिरता और विकास-अनुकूल नीतियों के कारण निम्न-आय की स्थिति से बाहर निकल पाए हैं। सुधारों के बाद उन्होंने लंबे समय तक मजबूत आर्थिक विकास हासिल किया है। इससे निवेश को बढ़ावा मिला और कारोबारी माहौल में सुधार आया है।