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बुजुर्ग हो रही आबादी की सामाजिक सुरक्षा के बारे में फिर से सोचने की जरूरत: संयुक्त राष्ट्र

Dayanidhi

विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, लोग पहले की तुलना में कहीं अधिक वृद्धावस्था तक जी रहे हैं। लेकिन, साथ ही पेंशन, जीवन-व्यापन और स्वास्थ्य देखभाल की कीमतों में भी भारी उछाल आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जन्म से ही समान अवसरों को बढ़ावा देकर, हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य के साथ वृद्ध होने पर भी बेहतर सुविधाएं दी जा सकती हैं, जिससे देश फिर से लाभान्वित हो सकते हैं।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि देशों को लंबे समय से चली आ रही नीतियों और आजीविका और काम से जुड़े तरीको पर फिर से विचार करना चाहिए। अब समय आ गया है जब 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या सदी के मध्य तक दोगुनी से अधिक होने का अनुमान है।

यूएन डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जनसंख्या की उम्र बढ़ना हमारे समय की एक जानी वैश्विक प्रवृत्ति है।

आर्थिक और सामाजिक मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव ली जुनहुआ ने कहा, साथ मिलकर, हम कल की पीढ़ियों के लाभ के लिए आज की असमानताओं को दूर कर सकते हैं, चुनौतियों का प्रबंधन कर सकते हैं और जनसंख्या की उम्र बढ़ने के अवसरों को भुना सकते हैं।

2021 में, दुनिया भर में 76.1 करोड़ लोग 65 और उससे अधिक आयु के थे, जो 2050 तक बढ़कर 1.6 अरब हो जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या और भी तेजी से बढ़ रही है। स्वास्थ्य और चिकित्सा उपचारों में सुधार, शिक्षा तक अधिक पहुंच और प्रजनन क्षमता में कमी के कारण लोग लंबे समय तक जी रहे हैं।

दुनिया भर में 2021 में जन्म लेने वाले बच्चे की जीवन प्रत्याशा औसतन, 1950 में पैदा होने वाले बच्चे की तुलना में, 25 वर्ष अधिक है यानी उसके 71 वर्ष तक की आयु तक जिन्दा रहने की संभावना है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आयु औसतन पांच साल अधिक होती है।

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में अगले 30 वर्षों में बूढ़े लोगों की संख्या में  तेजी से वृद्धि होने का अनुमान है। वहीं, योरोप और उत्तरी अमेरिका में बुज़ुर्ग लोगों की सबसे बड़ी संख्या है।

ऐसे बूढ़े लोगों की बहुत बड़ी संख्या है, जिनका स्वास्थ्य अब्वल है और जो आर्थिक रूप से काफी सक्रिय हैं, लेकिन अन्य लोगों को बीमारियों व निर्धनता के दौर से गुजरना पड़ता है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह, स्वास्थ्य, चिकित्सा उपचार में सुधार, शिक्षा की बेहतर सुलभता और उर्वरता में गिरावट के कारण यह बदलाव नजर आ रहा है।स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में आई प्रगति से आबादी की आयु बढ़ रही है, मगर इनमें बेहतरी का फयदा हर किसी को एक समान रूप से नहीं पहुंच रहा है।

जबकि कई वृद्ध लोग उत्कृष्ट स्वास्थ्य या आर्थिक रूप से सक्रिय हैं, अन्य लोग बीमारियों या गरीबी में जीवन जी रहे होते हैं। अधिक विकसित क्षेत्रों में, पेंशन और अन्य सार्वजनिक हस्तांतरण प्रणालियां वृद्ध व्यक्तियों द्वारा खपत का दो तिहाई से अधिक प्रदान करती हैं। कम विकसित क्षेत्रों में उनके समकक्ष अधिक समय तक काम करते हैं और उनके द्वारा जमा की गई संपत्ति या पारिवारिक सहायता पर अधिक भरोसा करते हैं।

इसके अलावा, बढ़ती वैश्विक आबादी का अर्थ लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता में वृद्धि भी है, जो कि कोविड-19 महामारी के दौरान सामने भी आई, जो एक कमजोर कड़ी है। दुर्भाग्य से, अधिकांश देशों में सार्वजनिक व्यय बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

जीवन प्रत्याशा पर आय, शिक्षा, लिंग, जातीयता और निवास स्थान जैसे कारणों का अधिक असर पड़ता है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इनमें से कुछ कारणों के एक साथ होने से अक्सर प्रणालीगत नुकसान होते है जो जीवन की शुरुआत में ही शुरू हो जाते हैं।

उन्होंने चेतावनी दी कि उन्हें रोकने के लिए नीतियों के बिना, ये प्रणालीगत नुकसान लोगों के जीवन भर एक दूसरे को सुदृढ़ करते हैं, जिससे वृद्धावस्था में असमानताएं बढ़ जाती हैं। नतीजतन, 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में प्रगति खतरे में पड़ सकती है, विशेष रूप से असमानताओं को कम करने जो एसडीजी 10 में समाहित है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों को पेंशन प्रावधान सहित सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर भी पुनर्विचार करना चाहिए। अध्ययनकर्ताओं ने कहा  अनौपचारिक रोजगार में श्रमिकों सहित सभी वृद्ध व्यक्तियों के लिए आय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक पेंशन प्रणाली की राजकोषीय स्थिरता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।

अन्य महत्वपूर्ण चीजों में महिलाओं और अन्य समूहों के लिए पारंपरिक रूप से औपचारिक नौकरी बाजार से बाहर किए गए अच्छे काम के अवसरों का विस्तार करना शामिल है। इसका उद्देश्य वृद्ध होने पर उनकी भलाई को सुरक्षित करना और अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता का विस्तार करना है।

विश्लेषण से पता चलता है कि औपचारिक अर्थव्यवस्था में अनौपचारिक देखभाल क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को भी ठीक से मान्यता दी जानी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, कई सरकारें पहले से ही जीवन भर सीखने के अवसर पेश कर रही हैं, साथ ही साथ पीढ़ी दर पीढ़ी काम करने वालों का पूरा लाभ उठाने का मौका दे रही हैं।