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उत्तर मध्य चीन में भूकंप में 100 से अधिक की मौत, भारत में भी आए 10 भूकंप

इस भूकंप को दुर्लभ बताया गया हैं, जो इंट्राप्लेट में आया, जबकि 98 प्रतिशत से अधिक भूकंप प्लेट सीमाओं पर आते हैं

Rohini Krishnamurthy

18 दिसंबर, 2023 को उत्तर-मध्य चीन में 5.9 तीव्रता का भूकंप का तेज झटका आया, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए। इस क्षेत्र को भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र माना जाता है।

संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार, भूकंप 10 किमी की गहराई पर आया था। यह एक इंट्राप्लेट क्षेत्र में था। यहां यह खास बात है कि इंट्राप्लेट भूकंप दुर्लभ होते हैं और वे प्लेटों के बीच की सीमाओं से दूर होते हैं, जबकि 98 प्रतिशत से अधिक भूकंप प्लेट सीमाओं पर आते हैं।

यूएसजीएस ने बताया कि तिब्बती पठार के उत्तरी किनारे पर यह भूकंप आया, जो हिमालय के उत्तर में स्थित है, जिसका निर्माण भारतीय और यूरेशिया प्लेटों के बीच चल रहे टकराव के कारण हुआ है।

गौरतलब है कि लगभग पांच करोड़ साल पहले भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव शुरू हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रृंखला और तिब्बती पठार का निर्माण हुआ। यह टकराव आज भी जारी है।

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, न्यूयार्क के विजिटिंग असिस्टेंट प्रोफेसर जूडिथ हबर्ड ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "यह पूरा क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराव के कारण विकृत हो रहा है।"

हबर्ड ने कहा कि यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है, जिसमें कई ज्ञात फाल्ट हैं, जहां कई बड़े भूकंप आ चुके हैं।

साल 1900 के बाद से इस क्षेत्र के 250 किलोमीटर के भीतर 23 (तीव्रता5.5) बड़े भूकंप आए हैं। यूएसजीएस के अनुसार सबसे बड़ा भूकंप मई 1927 में 7.7 तीव्रता का था, जिसके कारण लगभग 40,000 मौतें हुईं।

23 ईसा पूर्व से अब तक उत्तरी चीन में 100 से अधिक बड़े (6 से अधिक तीव्रता वाले) भूकंप आ चुके हैं। 2014 में प्रकाशित पुस्तक "इंट्राप्लेट अर्थक्वेक इन नॉर्थ चाइना" के अनुसार साल 1556 में 8.3 तीव्रता का हुआक्सियन भूकंप मानव इतिहास में सबसे घातक था, जिसमें 830,000 लोगों की मौत हुई थी।

यूएसजीएस ने कहा, "चीन में भूकंप से होने वाला नुकसान आम बात है, यहां तक कि मध्यम तीव्रता के भूकंपों की वजह से भी नुकसान होता है। इसकी कई वजह हैं। एक- भूकंप प्रभावित इलाकों में रहने वाली घनी आबादी, दूसरा- वहां के निर्माण भूकंप के प्रति संवेदनशील हैं। साथ ही, वहां की भौगोलिक स्थिति खड़ी है, जहां भूस्खलन की घटनाएं होती है।"

यूएसजीएस ने 18 दिसंबर की घटना में हुई मौतों की वजह से एक येलो अलर्ट जारी किया है। जहां तक आर्थिक नुकसान का सवाल है, यूएसजीएस ने रेड अलर्ट जारी किया है, क्योंकि चीन को व्यापक नुकसान की आशंका है। इसमें कहा गया है कि अनुमानित आर्थिक नुकसान चीन की जीडीपी के 1 प्रतिशत से कुछ कम है।

बताया गया है कि कम से कम 158,000 लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए होंगे, जबकि लगभग 117,000 लोगों ने बहुत तेज झटके महसूस किए होंगे।

भूकंप का अध्ययन करने वाले भूविज्ञानी वेंडी बोहोन ने एक्स पर लिखा, "यहां की इमारतें भूकंप के झटकों के प्रति संवेदनशील हैं।"

इस साल की शुरुआत में 25 जनवरी को दक्षिणी चीन के सिचुआन प्रांत के दक्षिणपूर्वी गार्जे तिब्बती स्वायत्त प्रान्त लुडिंग काउंटी में 10 किमी की गहराई पर 5.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। इस वक्त लगभग 6,000 लोगों ने झटके महसूस किए। इसी क्षेत्र में सितंबर 2022 में 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके परिणामस्वरूप 90 से अधिक मौतें हुईं।

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भारत में भी 18 और 19 दिसंबर को 10 भूकंप आए, जिनमें से छह जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ शहर में आए। परिमाण 2.9 और 4.8 के बीच था।