विकास

मनरेगा: प्रवासी मजदूरों ने खड़ा किया गांव की आय का स्त्रोत

कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण शहरों से लौटे प्रवासी मनरेगा कार्य करके गांव को सुंदर बनाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं

Anil Ashwani Sharma

प्रवासी अपने घरों को केवल आर्थिक मदद देकर ही अपना कर्तव्यों से इतिश्री नहीं करते। जब लॉकडाउन शुरू हुआ और उन्हें मजबूरी में अपने कामों को छोड़ना पड़ा। ऐसे में वे अपने देश (गांव) की ओर लौट पड़े। गांव में पहुंचकर प्रवासी मजदूरों ने मनरेगा में काम करके परिवार की आय बढ़ाने से साथ गांव की भी आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रवासी मजदूरों ने भीलवाड़ा जिले के सरेरी गांव में एक पुराने तालाब का सौंदर्यीकरण कर ऐसे नायाब तालाब का स्वरूप दिया जिसे अब आसपास के एक दर्जन से ज्यादा गांव के लोग ना सिर्फ देखने आते हैं, बल्कि अपने गांवों के तालाबों के सौंदर्यीकरण के लिए स्थानीय ग्राम पंचायत के सुझाव लेते हैं। दिन-प्रतिदिन इस तालाब पर सुबह से लेकर शाम तक बढ़ती ग्रामीणों की संख्या को ध्यान में रखते हुए अब स्थानीय पंचायत ने तालाब पर सैर करने के लिए एक निश्चित शुल्क निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा गया है।

इस संबंध में गांव के पूर्व सरपंच नरेन्द्र सोनी ने बताया कि इस तालाब की भराव क्षमता 8.64 हेक्टेयर है और अब ये बढ़कर 10.80 हेक्टेयर हो गया है। उन्होंने बताया कि इस तालाब से गांव के 2829 पशुओं के लिए पेयजल और 21 कुएं व तीन ट्यूबवेल का जलस्तर बढ़ा है।

गांव की जनसंख्या 4572 है और यहां पर मनरेगा के तहत 860 जॉब कार्ड बने हैं। इनमें से 256 प्रवासी मजदूर हैं। तालाब पर काम के दौरान काम करने वाले मजदूर प्रकाश सिंह ने बताया कि जब तीन महीने पहले यह तालाब पूरी तरह से उजाड़ पड़ा हुआ था, लेकिन इस तालाब पर हम सबने मिलकर इस लायक बना दिया है कि अब दूर-दूर से लोग इसे देखने चले आ रहे हैं।

मनरेगा में तकनीक काम संभालने वाले अधिकारी गोपाल टेलर ने बताया कि इस तालाब का ना केवल साफ-सफाई हुई है बल्कि गहरा भी किया गया है। उन्होंने कहा, ‘तालाब के कैचमेंट एरिया में आने वाले प्राकृतिक फीडर (पानी आने का रास्ता) को भी साफ किया गया है जिससे बारिश का पानी बिना किसी रुकावट के सीधे तालाब में आ सके।’ साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले दो महीने में हुई बारिश ने तालाब को काफी हद तक भर दिया है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि आसपास के इलाकों के बड़ी संख्या में पक्षियों ने यहां अपना डेरा जमा लिया है।

जिला परिषद भीलवाड़ा में समन्वयक का काम कर रही एक अन्य अधिकारी किरण शर्मा के अनुसार पिछले तीन महीने में तालाब के कैचमेंट एरिया के लगभग 25 बीघा जमीन जोकि ग्राम पंचायत की है पर चारागाह बनाने की तैयारी भी पंचायत स्तर पर शुरू हुई है। इससे गांव के हजारों पशुओं को पेयजल के साथ चारा भी उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने बताया कि हमारे पास लगभग आधा दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों की तरफ से मांग पत्र आए हैं जिसके तहत उन सभी ग्राम पंचायतों ने मांग की है कि उनके गांव के तालाबों का भी सौंदर्यीकरण इसी तालाब की तर्ज पर मनरेगा के तहत किया जाए।