दिल्ली–एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सीएक्यूएम और ग्रेप के तहत अग्रिम कार्रवाइ्र की जा रही है।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 2025 में लगभग 90 फीसदी की बड़ी कमी दर्ज की गई है।
एफएओ की रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत कुल वन क्षेत्र के मामले में दुनिया में 9वें स्थान पर पहुंच गया है।
देश में जंगल की आग की घटनाएं बढ़ी हैं - 2024-25 में 2.38 लाख से अधिक मामले दर्ज हुए, महाराष्ट्र में भी वृद्धि देखी गई।
संसद का शीतकालीन सत्र आज, एक दिसंबर, 2025 से शुरू हो गया है। जहां पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण और सतत विकास जैसे विषयों पर सवाल जवाब का दौर जारी रहेगा। दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता से लेकर जंगल की आग, वन क्षेत्र की वृद्धि, पर्यटन विकास, ईंधन तकनीक और बिजली आपूर्ति तक, अनेक क्षेत्रों में नए कदम और सुधार को लेकर प्रश्नों का दौर रहेगा।
उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी झील परियोजना का विकास
सदन में उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए आज, वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने 10 सितंबर 2025 को 126.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह परियोजना टिहरी झील के आसपास सतत, समावेशी और जलवायु-सहनशील पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय आजीविका को मजबूती देना, पर्यावरण संरक्षण, क्षेत्र को सुरक्षित और टिकाऊ पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है।
यह उत्तराखंड सरकार के लिए एक बड़ा अवसर माना जा रहा है, क्योंकि टिहरी झील अब रोमांच, जल क्रीड़ा और प्रकृति पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन रही है।
दिल्ली–एनसीआर में वायु प्रदूषण की चुनौती और समाधान
दिल्ली–दिल्ली–एनसीआर की वायु गुणवत्ता को लेकर सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में इसके बारे में जानकारी दी। यादव ने कहा कि विशेषकर सर्दियों में हवा की गति कम होने, तापमान गिरने और प्रदूषकों के जमीन के निकट जमाव के कारण वायु प्रदूषण बेहद गंभीर रूप ले लेता है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) का गठन किया है।
यह आयोग प्रदूषण से संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करता है, अनुसंधान करवाता है और समाधान खोजने का काम करता है। सीएक्यूएम ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) लागू किया है, जिसके तहत प्रदूषण के स्तर के अनुसार अलग-अलग चरणों - स्टेज एक, दो, तीन और चार में कार्रवाई की जाती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और आईआईटीएम द्वारा रोजाना मौसम और प्रदूषण के पूर्वानुमान के आधार पर इन चरणों को पहले से लागू किया जाता है ताकि प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि जीआरएपी के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण की प्रक्रिया अधिक वैज्ञानिक, प्रभावी और समयबद्ध बनाई गई है।
पराली जलाने में कमी - पंजाब और हरियाणा में बड़ा सुधार
सदन में उठे एक और प्रश्न की उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में बताया कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला एक बड़ा कारण हर साल की पराली जलाने की समस्या है। लेकिन हालिया आंकड़ों से एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। 2025 में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 90 फीसदी की कमी दर्ज की गई है, जो 2022 की तुलना में बेहद महत्वपूर्ण सुधार है।
सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। 2018-19 से लेकर नवंबर 2025 तक केंद्र सरकार ने 3120.16 करोड़ रुपये इन दोनों राज्यों को फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों के लिए दिए। इस राशि से किसानों को 2.6 लाख से अधिक मशीनें वितरित की गईं और 33,800 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए, जिससे छोटे किसान भी मशीनें किराये पर लेकर पराली प्रबंधन कर सकें। यादव ने बताया कि इन प्रयासों से किसान अब पराली जलाने के बजाय मशीनों से उसका निपटान कर रहे हैं। यह कदम वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ है।
वन क्षेत्र में वृद्धि - भारत दुनिया में 9वें स्थान पर
आज सदन में उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए वन क्षेत्र बढ़ाना सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (जीएफआरए) 2025 के अनुसार भारत अब कुल वन क्षेत्र के मामले में दुनिया में 9वें स्थान पर पहुंच गया है। पूर्व में भारत 10वें स्थान पर था, अर्थात् इसमें एक रैंक का सुधार हुआ है।
सिंह ने बताया कि यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि देश में बड़े पैमाने पर वनरोपण, संरक्षण और समुदाय आधारित वन प्रबंधन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
देश में बढ़ते जंगल की आग के मामले
जंगलों में आग लगने की घटनाओं को लेकर सदन में प्रश्न पूछा गया। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की रिपोर्ट का हवाला दिया। कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि 2023-24 के दौरान देश में 2,03,544 जंगल की आग दर्ज की गई। 2024-25 के दौरान यह संख्या बढ़कर 2,38,309 हो गई।
महाराष्ट्र में स्थिति और भी गंभीर रही। वहां 2023-24 में 16,008 आग की घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 25,759 हो गई। इसका अर्थ है कि जंगलों को जलवायु परिवर्तन, सूखे और मानवीय गतिविधियों से अधिक खतरा है।
उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति में सुधार
आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, बिजली मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने पिछले वर्षों में बड़ी प्रगति की है। उन्होंने राज्यसभा में ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट 2025-26 का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में बिजली की मांग और आपूर्ति का अंतर लगभग शून्य हो गया है।
यह उत्तर प्रदेश के ऊर्जा ढांचे के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से 9935.1 मेगावाट फर्म पावर, 250.6 मेगावाट अनालोकेटेड पावर आवंटित की गई है। साथ ही, आरडीएसएस योजना के तहत राज्य में 1,802 फीडरों को कृषि और गैर-कृषि फीडरों में विभाजित किया जा रहा है। इससे बिजली की चोरी कम होगी, बिलिंग सुधरेगी और आपूर्ति अधिक स्थिर होगी।
पीएम-कुसुम योजना के तहत उत्तर प्रदेश को 3.7 लाख कृषि पंपों को सोलराइज करने का लक्ष्य दिया गया है, जिससे किसानों को सस्ती और सतत ऊर्जा मिल सकेगी।
ई20 ईंधन - प्रदूषण नियंत्रण और बेहतर वाहन प्रदर्शन की दिशा में बड़ा कदम
सदन में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए आज, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में बताया कि 30 अगस्त 2025 को एआरएआई -एफआईपीआई-एसआईएएम संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया कि ई20 ईंधन (20% इथेनॉल और 80 फीसदी पेट्रोल) का उपयोग वाहन को बेहतर गति देता है, राइड क्वालिटी में सुधार लाता है, ई10 की तुलना में लगभग 30 फीसदी कम कार्बन उत्सर्जन करता है।
इथेनॉल का उच्च ऑक्टेन नंबर और अधिक वाष्पीकरण ऊष्मा इंजन को बेहतर क्षमता प्रदान करती है, जिससे ईंधन दक्षता और पर्यावरण संरक्षण दोनों में लाभ मिलता है।
यमुना नदी की सफाई – तीन साल में 5536 करोड़ खर्च
सदन में उठाए एक प्रश्न के उत्तर में, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने पिछले तीन वर्षों में यमुना नदी को साफ करने के लिए 5536 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह राशि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, नालों के सुधार, प्रदूषण नियंत्रण और नदी के पुनर्जीवन जैसे कार्यों में खर्च की गई।
उपरोक्त सभी रिपोर्टों और सरकारी बयानों से यह स्पष्ट है कि भारत पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुधार और सतत विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। फिर भी चुनौतियां बनी हुई हैं, जंगल की आग, हवा की गुणवत्ता, नदी प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव इन सभी से प्रभावी रूप से निपटने के लिए सरकार, समाज, उद्योग और किसानों को मिलकर काम करना होगा।