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लखनऊ में बिना पर्यावरण मंजूरी के चल रहा हाउसिंग प्रोजेक्ट, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी में अंसलापी-ब्लिस डिलाइट निर्माण मामले में एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। रिपोर्ट में इस बात की जानकारी मांगी गई है कि इस परियोजना के प्रस्तावक को जो कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे उनका क्या हुआ।

जानकारी मिली है कि हाउसिंग प्रोजेक्ट का निर्माण स्थापना की सहमति (सीटीई) के बिना किया जा रहा है और बार-बार मौका दिए जाने के बावजूद इस मामले में परियोजना प्रस्तावक ने कोई स्पष्टीकरण या प्रतिक्रिया नहीं दी है।

ऐसे में एनजीटी ने 23 अप्रैल 2024 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि परियोजना प्रस्तावक इस बीच किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण न करे।

19 जनवरी, 2024 को दिए अपने पिछले आदेश में, एनजीटी ने कहा था कि नोटिस दिए जाने के बावजूद, परियोजना प्रस्तावक की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जब मामला 22 मार्च, 2024 को फिर से अदालत के सामने आया, तो परियोजना प्रस्तावक के वकील के अनुरोध पर इसे स्थगित कर दिया गया। अदालत ने कहा कि अब तक परियोजना प्रस्तावक की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।

वहीं राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) ने 28 फरवरी, 2024 को दायर अपने जवाब में कहा है कि "ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट अंसलापी-ब्लिस डिलाइट, ब्लॉक -1, 2, 3 और 4, जीएच" की पर्यावरण मंजूरी के लिए परिवेश पोर्टल पर कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि ईआईए अधिसूचना 2006 के प्रावधानों के तहत ऐसा किया जाना चाहिए था।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 18 जनवरी, 2024 को अलग से एक जवाब दायर किया गया था, जिसमें दलील दी गई है कि क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों ने 26 दिसंबर, 2023 को परियोजना का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान, यह पाया गया कि निर्माण गतिविधियां सहमति जैसी पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना शुरू की गई थीं। साथ ही इसके लिए जल अधिनियम (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974, और वायु अधिनियम (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत स्थापना की सहमति और संचालन की सहमति नहीं ली गई थी।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि स्थापना की सहमति और संचालन की सहमति प्राप्त किए बिना निर्माण गतिविधियां शुरू करने के लिए 15 जनवरी, 2024 को वायु अधिनियम, 1981 के तहत एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में बिजली और पानी जैसी सुविधाओं को संभावित रूप से बंद करना, मुकदमा चलाना और पर्यावरणीय मुआवजा (ईसी) लगाने की बात भी कही गई थी।

वहीं परियोजना प्रस्तावक के वकील ने मूल आवेदन के साथ-साथ और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण द्वारा उठाए मुद्दों का जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया है।