विकास

गुरुग्राम की डीएलएफ सिटी में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट सख्त, कार्रवाई के निर्देश

मामला डीएलएफ सिटी में 4,000 से अधिक अवैध इमारतों के निर्माण से जुड़ा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अवैध निर्माण के खिलाफ अधिकारियों से दो महीनों के भीतर जल्द से जल्द कार्रवाई करने को कहा है। 13 फरवरी, 2025 को इस मामले में अदालत ने हरियाणा के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। मामला डीएलएफ सिटी में 4,000 से अधिक अवैध इमारतों के निर्माण से जुड़ा है।

न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति विकास सूरी की बेंच ने कहा कि, "यह पूरी तरह स्पष्ट है कि कुछ भू-माफियाओं की एक शक्तिशाली लॉबी विकसित कॉलोनी के मूल चरित्र को बर्बाद कर रही है।"

अदालत ने इसमें स्थानीय प्रशासन और अधिकारियो की भी मिलीभगत की बात कही है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर अनदेखी करने और अवैध निर्माण को तेजी से बढ़ने देने का आरोप लगाया है।

अदालत ने कहा कि अवैध निर्माण जोनिंग योजनाओं, भवन सम्बन्धी नियमों और हरियाणा बिल्डिंग कोड का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन कर रहे हैं। अदालत के मुताबिक अगर ये अनियोजित विकास जारी रहता है, तो इससे गुरुग्राम के बुनियादी ढांचे को नुकसान हो सकता है। इसमें जल आपूर्ति, सीवेज, वायु गुणवत्ता, परिवहन, बिजली और अन्य आवश्यक सेवाएं शामिल हैं।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि डीएलएफ सिटी रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन अदालत में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने गुरुग्राम और उसके आसपास, विशेष रूप से डीएलएफ फेज I से V में अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया था। इन अनधिकृत निर्माणों में पांच से सात मंजिला इमारतें भी शामिल हैं।

याचिका के साथ संलग्न तस्वीरों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि हरियाणा द्वारा निर्धारित जनसंख्या घनत्व नियमों के साथ-साथ लेआउट योजनाओं, भवन अनुमोदन और अन्य नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।

यह अनधिकृत निर्माण मुख्य रूप से लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों में हो रहे हैं, खासकर ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) फ्लैट और प्लॉट वाले क्षेत्रों में। ये फ्लैट और प्लॉट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस श्रेणी) के लिए नीतियों के तहत आवंटित किए जाते हैं। ऐसे में अदालत ने कहा कि ये अवैध निर्माण ईडब्ल्यूएस आवंटन और मूल शहरी नियोजन के उद्देश्य को कमजोर कर रहे हैं।

याचिका में दावा किया गया है अधिकारी इन अवैध गतिविधियों की अनुमति दे रहे हैं, जो न केवल कानूनों का उल्लंघन है साथ ही बुनियादी ढांचे पर भी अतिरिक्त दबाव डाल रहे हैं। इससे अनधिकृत लोगों को प्रवेश करने और हरियाणा विकास अधिनियम, पंजाब अनुसूचित सड़क अधिनियम और हरियाणा अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम सहित विभिन्न राज्य कानूनों के तहत नियोजित विकास के मूल उद्देश्य और मंशा को बाधित करने का मौका मिलता है।

20 फरवरी, 2018 को एक शिकायत के माध्यम से अधिकारियों को इस मुद्दे से अवगत कराया गया था। इस शिकायत के जवाब में, अधिकारियों द्वारा जांच की गई। इसके बाद 19 नवंबर, 2018 को एक कार्रवाई रिपोर्ट तैयार की गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएलएफ फेज-2 के प्राथमिक सर्वेक्षण के बाद, अवैध निर्माण वाली संपत्तियों के संबंध में व्यवसाय प्रमाण-पत्र रद्द करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी सिफारिश की गई।

रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि गुरुग्राम के डीएलएफ फेज III में केवल दो संपत्तियों और एक अवैध मोबाइल टावर को ही तोड़ा गया। हालांकि, इसमें इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया कि वहां एक हजार से अधिक अनधिकृत इमारतें थीं जिन्हें भी ध्वस्त किया जाना चाहिए था।

हाईकोर्ट ने कहा है कि कई साल बीत जाने के बाद भी अधिकारियों ने अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।