सड़क दुर्घटना में सबसे अधिक घायल या मौतें दोपहिया वाहन चालकों की होती है और इसके बाद पैदल यात्रियों का नंबर आता है। यह बात चेन्नई महानगर यातायात पुलिस विभाग द्वारा कराए गए एक अध्ययन में निकल कर आई है। बीते दो दशक से भारत में सड़क दुर्घटना एक रोजमर्रा की घटना बन गई है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए ग्रेटर चेन्नई यातायात पुलिस आयुक्त ने चेन्नई महानगर में होने वाली सड़क दुर्घटना पर एक विस्तृत अध्ययन करने का आदेश दिया था।
पुलिस विभाग द्वारा कराए गए अध्ययन में कई महत्वपूर्ण बातें निकलकर आई हैं। घातक सड़क दुर्घटनाओं के प्रति संवेदनशील चेन्नई यातायात पुलिस द्वारा कराए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि इस अध्ययन में 500 सड़क दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया गया है। इसमें यही निकल कर आया है कि दोपहिया सवारों के बाद सड़कों पर दुर्घटनाओं की चपेट में आने वाले लोगों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या पैदल यात्रियों की हैं।
अध्ययन के निष्कर्षों में ग्रेटर चेन्नई ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि पैदल चलने वालों को मुख्य सड़कों पर चलने से बचना चाहिए और दुपहिया सवारों को दुर्घटनाओं में घायल होने से बचने के लिए अनिवार्य रूप से हेलमेट पहनना चाहिए। 2022 के दौरान चेन्नई में दुर्घटना के आंकड़ों के आधार पर चेन्नई ट्रैफिक पुलिस ने पाया है कि 50 प्रतिशत घातक दुर्घटनाओं में दोपहिया सवार शामिल थे।
पुलिस ने 500 घातक सड़क दुर्घटनाओं का अध्ययन किया। इन मामलों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए ( लापरवाही के कारण मौत ) के तहत दर्ज किए गए थे, जिसके कारण 508 मौतें दर्ज की गईं थी।
अध्ययन के अनुसार, दुपहिया वाहनों के साथ हुई भिड़ंत के बाद अन्य वाहनों और पैदल चलने वालों व वाहन से गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप 235 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। इससे 241 लोगों की मौत हुईं। 63 दुर्घटनाएं ट्रक जैसे दूसरे वाहनों से हुईं। इसमें कुल 64 मौतें शामिल हैं, जिनमें 42 मौतें दोपहिया वाहन चालकों की थी।
अध्ययन के अनुसार तीसरा सबसे अधिक दुर्घटना का कारण बनने वाला वाहन कार थी। इसमें 42 दुर्घटना के मामले दर्ज किए गए, जिससे 42 लोगों की मौतें हुईं। अध्ययन से पता चला है कि जहां दोपहिया वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाओं में 241 लोगों की मौत हुईं, वहीं सड़कों पर मरने वाले दूसरे सबसे कमजोर पीड़ित पैदल यात्री हैं, इनकी संख्या 179 थी।
अध्ययन इस बात का संकेत करता है कि यातायात पुलिस कर्मी सड़क दुर्घटना को रोकने में केवल एक विशेष सीमा तक ही प्रभावशाली हो सकते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि मोटर चालक जिम्मेदारी से ड्राइव करें क्योंकि कुल 108 दुर्घटना के मामले ऐसे दर्ज किए गए थे जहां चालक की गलती से ही मौतें हुईं और इसके चलते 109 लोगों की मौत हुईं।
अध्ययन के अंत में कहा गया है कि इन दुघटनाओं का विश्लेषण करने के बाद यही निष्कर्ष निकलता है कि हर हाल में विशेष रूप से पैदल चलने वाले यात्री मुख्य सड़कों पर चलने से अपने को रोकें और दोपहिया सवार अनिवार्य रूप से हेलमेट पहने।