2020 से 2022 के बीच पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने करीब 87 विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से तीन परियोजनाएं संरक्षित क्षेत्रों में हैं। मंत्रालय ने 2 फरवरी, 2023 को कहा है कि इन परियोजनाओं के लिए करीब 23 लाख पेड़ों को हटाया जाएगा।
एमओईएफसीसी के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 2 फरवरी, 2023 को राज्यसभा में जानकारी दी है कि “पिछले तीन वर्षों में 2020 से 2022 के दौरान राजमार्गों से संबंधित लगभग 31 परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी दी है।
वहीं इनमें से 11 परियोजनाएं बंदरगाहों से जुड़ी है जबकि एयरपोर्ट से जुड़ी 15 परियोजनाओं, नदी घाटी से संबंधित 20 परियोजनाओं और ताप विद्युत संयंत्रों से संबंधित 10 परियोजनाओं को मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय मंजूरी दी गई है।
गौरतलब है कि अश्विनी कुमार चौबे राज्यसभा सदस्य विवेक के तन्खा द्वारा पूछे सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने पिछले तीन वर्षों में भारत सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर दी गई पर्यावरणीय मंजूरी के संबंध में प्रश्न पूछा था।
अपने इस सवाल में सांसद ने उन पेड़ों की संख्या के बारे में भी जानकारी मांगी थी जो इन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए काटे जाएंगें। साथ ही उन्होंने इस बात की भी जानकारी मांगी थी कि इनमें से कितनी परियोजनाएं संरक्षित क्षेत्रों से होकर गुजरेंगी।
ऐसे में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को जानकारी दी है इन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से तीन हाईवे परियोजनाएं संरक्षित क्षेत्रों में आएंगी। वहीं हटाए जाने वाले पेड़ों के बारे में जवाब में आगे कहा गया है कि काटे गए पेड़ों की एवज में उनके स्थान पर नए पेड़ लगाए जाएंगे।
गौरतलब है कि “उपर्युक्त परियोजनाओं के विकास के लिए करीब 23 लाख पेड़ों को हटाने का प्रस्ताव रखा गया है। ऐसे में मौजूदा मानदंडों को ध्यान में रखते हुए उनके स्थान पर वृक्षारोपण किए जाएगा। इसे दी गई संबंधित पर्यावरणीय मंजूरी में एक शर्त के रूप में भी शामिल किया गया है।