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पर्यावरण मुकदमों की डायरी: दिल्ली के नेताजी नगर में झुग्गी बस्ती गिराना गैरकानूनी नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली के नेताजी नगर में झुग्गी बस्ती को गिराना गैरकानूनी नहीं है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ का कहना है कि यह झुग्गी बस्ती दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) द्वारा समय-समय पर अधिसूचित जेजे बस्ती/समूहों की सूची में शामिल नहीं है, ऐसे में इसको गिराना अदालत का उल्लंघन नहीं है। मामला दिल्ली के नेताजी नगर में झुग्गियों को गिराने से जुड़ा है।

गौरतलब है कि केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, भूमि एवं विकास कार्यालय निर्माण भवन ने इस क्षेत्र में रहने वालों के लिए नोटिस जारी किया था और उन्हें सात दिनों के भीतर कहीं और शिफ्ट होने के लिए कहा था। नोटिस में उन्हें ऐसा न करने पर स्थानीय पुलिस की मदद से जबरदस्ती बेदखल करने की बात कही थी।

नोटिस में यह भी कहा गया है कि बस्ती को डीयूएसआईबी द्वारा समय-समय पर अधिसूचित की गई जेजे बस्ती/ समूहों की सूची के तहत शामिल नहीं किया गया है इसलिए वे किसी भी पुनर्वास के हकदार नहीं हैं। इस मामले में झुग्गी झोपड़ी विकास समिति, नेताजी नगर ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

कर्नाटक में स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने के उपाय जरुरी: हाई कोर्ट

कर्नाटक उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने निर्देश दिया है कि अदालत द्वारा गठित समिति की बैठक 16 जुलाई, 2022 को होगी और वो पूरे राज्य में स्कूली बच्चों से संबंधित मुद्दों पर विचार करेगी। यह समिति कोर्ट को उन उपायों के बारे में सुझाव भी देगी कि कैसे कर्नाटक में स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस स्कूल लाया जाए।

इस बारे में एमिकस क्यूरी ने अदालत को जानकारी दी है कि 3 साल से कम उम्र के करीब 4,54,238 और 4 से 6 वर्ष की आयु के 4,36,206 बच्चों को नाम आंगनवाड़ी में दर्ज नहीं करवाया गया है।

महेंद्रगढ़ में स्टोन क्रशर पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समिति ने एनजीटी से मांगा तीन महीने का समय

हरियाणा के महेंद्रगढ़ में स्टोन क्रशर पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समिति ने एनजीटी से और समय मांगा है। गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 15 नवंबर, 2021 को छह सदस्यीय संयुक्त समिति को उन स्टोन क्रशर यूनिट्स के मामले को देखने का निर्देश दिया था, जिन्हें महेंद्रगढ़ में अनुमति दी जा सकती है। साथ ही कोर्ट ने इस बात का भी आंकलन करने के लिए कहा था कि वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इनका क्या प्रभाव पड़ेगा।

वहीं आईआईटी दिल्ली को इस मामले में विभिन्न स्रोतों से होने वाले प्रदूषण के अध्ययन और उसकी लिस्ट तैयार करने के साथ-साथ महेंद्रगढ़ में वायु प्रदूषण अध्ययन करने और वहन क्षमता का पता लगाने के लिए तकनीकी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है आईआईटी दिल्ली ने महेंद्रगढ़ में पहचाने गए 20 से अधिक स्थानों पर सड़क से धूल के नमूने लिए हैं। वहीं गाद के लदान के लिए नमूनों का विश्लेषण पहले ही किया जा चुका है। अन्य सड़कों से धूल के नमूने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) द्वारा एकत्र किए गए हैं और उन्हें आईआईटी दिल्ली को भेज दिया गया है।

इसके साथ ही डिविजनल फारेस्ट ऑफिसर ने 20 यूनिट्स का निरिक्षण किया है। हालांकि उनमें से किसी भी इकाई ने वन विभाग को अपनी कार्य योजना प्रस्तुत नहीं की है। वनविभाग वृक्षारोपण के बारे में योजना प्राप्त करने के बाद ही कार्रवाई कर सकता है। ऐसे में संयुक्त समिति ने की गई कार्रवाई पर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट से तीन माह का अतिरिक्त समय मांगा है।