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पर्यावरण मुकदमों की डायरी: सीपीसीबी ने अंसल प्रॉपर्टीज पर लगाया 100 करोड़ का जुर्माना

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

निर्माण से जुड़े नियमों की अनदेखी करने पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कड़ा कदम उठाते हुए अंसल प्रॉपर्टीज पर 100 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड पर यह जुर्माना गुरुग्राम, हरियाणा के सुशांत लोक, फेज- I, सेक्टर 27, 28, 43 और 52 में निर्माण सम्बन्धी नियमों के होते उल्लंघन में लगाया है।

सीपीसीबी ने यह जुर्माना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 28 सितंबर, 2021 को दिए निर्देश पर लगाया है, जिसमें कोर्ट ने सीपीसीबी को अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा नियमों के उल्लंघन में मुआवजे का आकलन करने का निर्देश दिया गया था।

यदि नियमों की अवहेलना की बात करें तो इनमें पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के अभाव, स्थापना और संचालन की सहमति से लेकर बिना अनुमति के किया जा रहा भूजल  का दोहन तक शामिल थे। अपने निर्देश में एनजीटी ने हिदायत दी थी कि मुआवजे का पैमाना परियोजना की लागत से संबंधित होना चाहिए ताकि नियमों का उल्लंघन करने वालों को इसका अहसास हो और इसकी मदद से पर्यावरण की बहाली की जा सके।

एनजीटी के इस निर्देश पर सीपीसीबी ने 13 जून, 2022 को अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में जुर्माना भरने का आदेश दिया है। यदि आदेश मिलने के 15 दिनों के भीतर अंसल प्रॉपर्टीज जुर्माना नहीं भर्ती तो देरी के मामले में उससे नियमानुसार ब्याज वसूल किया जाएगा।

इसके अलावा, परियोजना प्रस्तावक अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को सुशांत लोक चरण- I, गुरुग्राम में बिना अनुमति के भूजल के किए जा रहे दोहन और वर्षा जल संचयन प्रणाली के खराब होने के कारण केंद्रीय भूजल प्राधिकरण द्वारा निर्धारित अतिरिक्त पर्यावरणीय मुआवजे का भुगतान करना होगा।

इसके साथ ही अंसल प्रॉपर्टीज को निर्देश प्राप्त होने के 7 दिनों के अंदर कमियों को ठीक करने और 30 दिनों के भीतर सभी कमियों को दूर करने के लिए सीपीसीबी को एक कार्य योजना प्रस्तुत करनी है।

हमीरपुर, उत्तर प्रदेश में अंबे सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया खान के पुनरूद्धार का निर्देश

हमीरपुर के जिला अधिकारी द्वारा जो रिपोर्ट एनजीटी में दायर की गई है उसमें जानकारी दी है कि मेसर्स अंबे सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए खनन से रेत और मोरम के साथ काली मिट्टी के ढेर बन गए हैं, जिससे कुछ जगहों पर पानी भर गया है। मामला उत्तर प्रदेश में हमीरपुर की मौदाहा तहसील के टीकापुर गांव का है। यह रिपोर्ट 15 जून 2022 को एनजीटी की वेबसाइट पर डाली गई है। 

गौरतलब है कि मेसर्स अम्बे सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड को ई-निविदा और ई-नीलामी प्रक्रिया के द्वारा हर साल 3,88,608 घन मीटर रेत और मोरम के खनन के लिए 24.291 हेक्टेयर क्षेत्र का पट्टा दिया गया था। खनन का यह यह पट्टा पांच वर्ष के लिए था और वहां 19 अक्टूबर, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 की अवधि के बीच खनन कार्य किया गया था।

इसी कड़ी में सस्टेनेबल सैंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइडलाइन्स के अनुसार बालू एवं मोरम की खदानों में नियमों का पालन किया जा रहा है यह जांचने के लिए हमीरपुर के जिला पदाधिकारी द्वारा पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 18 मई, 2022 को खदान स्थल का दौरा किया और पाया कि वहां पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

समिति ने यह भी जानकारी दी है कि पहले के पट्टेदार ने खान को बंद करने की योजना के तत्वाधीन सुरक्षा, सुधार और पुनर्वास उपायों के लिए जमानत के रुपए में 9,00,000 रुपए पहले ही जमा कर दिए थे। अब खदान बंद करने की योजना को पूरी तरह से लागू करने के लिए एंबे सप्लायर्स को भी नोटिस जारी किया गया है। यदि वो ऐसा नहीं करता तो जो 9 लाख रुपए जमा है उन्हें जब्त कर लिया जाएगा।