नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बडगाम में एनकेसी परियोजनाओं को माइनर मिनरल के खनन के लिए दी तीन पर्यावरणीय मंजूरियों को रद्द कर दिया है। गौरतलब है कि इस मामले में जम्मू कश्मीर राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा 19 अप्रैल, 2022 को मेसर्स एनकेसी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में दी गई पर्यावरण मंजूरी को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामला जम्मू कश्मीर के बड़गाम जिले का है।
एनकेसी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को तीन परियोजनाओं के लिए मंजूरी दी गई थी, जिनमें पहली 1.52 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन से जुड़ी थी। यह परियोजना बड़गाम की खानसाहिब तहसील में है। इसमें रिवर बेड माइनर मिनरल ब्लॉक नं 1 के लिए मंजूरी दी गई थी।
वहीं दूसरी परियोजना शालिगंगा नाला में ब्लॉक 2, बंदरपोरा अपस्ट्रीम थी, जिसका कुल खनन क्षेत्र 1.29 हेक्टेयर का था, जबकि तीसरी मंजूरी का अनुमानित खनन क्षेत्र करीब 2.9 हेक्टेयर था, जोकि माइनर मिनरल ब्लॉक 4, पंजाम पुल से ट्रंबी बाग (लालगाम) में स्थित है।
एनजीटी ने अपने 28 सितंबर, 2022 को दिए आदेश में कहा है कि इन पर्यावरण मंजूरियों को देते समय एसईआईएए, जम्मू-कश्मीर ने वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। कोर्ट के अनुसार जब परियोजना का पर्यावरण पर सीधा प्रभाव पड़ता है, तो ऐसा किया जाना अनिवार्य है।
अधिसूचना को अंतिम रूप देने के लिए एनजीटी ने दिया 45 दिनों का समय
हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 26ए के तहत अधिसूचना को अंतिम रूप देने के लिए एनजीटी ने 45 दिन का समय दिया है। इस मामले में एनजीटी ने 7 जनवरी, 2022 को उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन और पर्यावरण से मामले में तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी।
उपरोक्त आदेश पर सामाजिक वानिकी प्रभाग, मेरठ के संभागीय निदेशक ने कोर्ट में एक स्थिति रिपोर्ट सबमिट की थी, जिसमें कुछ प्रक्रियात्मक कदमों का उल्लेख किया था।
साथ ही रिपोर्ट में अभयारण्य के लिए अंतिम अधिसूचना जारी करने के लिए तीन महीने का समय मांगा था। इस मामले में अदालत ने 28 सितंबर को अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इसमें देरी का कोई उचित औचित्य नहीं दिखता है। इस बारे में उत्तर प्रदेश की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि कोर्ट के आदेश पर अंतिम अधिसूचना 45 दिनों के भीतर जारी कर दी जाएगी।
सेक्टर 77 नोएडा में अवैध निर्माण पर एनजीटी ने बिल्डर पर लगाया 15 करोड़ का जुर्माना
एनजीटी ने एक्सप्रेस बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड को 'एक्सप्रेस जेनिथ', सेक्टर 77, नोएडा में अवैध निर्माण के लिए 15 करोड़ रुपए के जुर्माने का भुगतान करने का आदेश दिया है।
इस मामले में आवेदक विनीत सिन्हा का कहना है कि परियोजना प्रस्तावक ने नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत से सीमा से ज्यादा निर्माण किया है। साथ ही वो आवश्यकतानुसार प्रदूषण नियंत्रण उपकरण स्थापित करने में भी विफल रहा है।
अदालत ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी का उल्लंघन करते हुए वहां 5 टावरों में 19वीं मंजिल का निर्माण अवैध रूप से किया गया है। वहां केवल भूतल के साथ 18 मंजिल बनाने की ही अनुमति दी गई थी। इन अतिरिक्त मंजिलों के निर्माण से पर्यावरण पर प्रदूषण का अतिरिक्त दबाव पड़ता है। ऐसे में कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक्सप्रेस बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड एक महीने के भीतर मुआवजे की राशि को गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी के पास मुआवजा करवाए।