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जानिए क्यों कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट पर एनजीटी ने लगाई रोक

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमएमटीटीपी) सड़क निर्माण के काम को तब तक के लिए रोक दिया है, जब तक कि पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई चरण -1 की सैद्धांतिक मंजूरी की शर्तों का पालन नहीं किया जाता है। अदालत ने मिजोरम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा की गई शिकायतों पर विचार करने के बाद 26 सितंबर, 2022 को यह आदेश पारित किया है।

इस मामले में मिजोरम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने एनजीटी को दिए अपने हलफनामे में कहा है कि राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई चरण -1 की सैद्धांतिक मंजूरी की शर्तों को अब तक लागू नहीं किया है।

वहीं मल्टी मॉडल प्रोजेक्ट डिवीजन कार्यालय के कार्यकारी अभियंता ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि मिजोरम में पीडब्ल्यूडी ने अभी तक केएमएमटीटीपी सड़क निर्माण के लिए प्रतिपूरक वनरोपण नहीं किया है। इसका कारण यह बताया गया है कि जिला कलेक्टर ने झूमलैंड के अवक्रमित हिस्से पर इसके लिए कई भूमि पास स्वीकार किए हैं, जो भूस्वामियों द्वारा किए गए दावे को ओवरलैप करते हैं। इसी तरह वन क्षेत्र की समस्या भी अब तक दूर नहीं हुई है।

गाजियाबाद में अवैध भूजल दोहन का मामला, जिलाधिकारी ने नहीं की जरूरी कार्रवाई

एनजीटी के आदेश पर लखनऊ, आगरा, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बरेली, वाराणसी, झांसी और गोरखपुर में उन होटलों, मैरिज/बैंक्वेट हॉलों, रिसॉर्ट, गेस्ट हॉउसों का पता लगाने के लिए संयुक्त समितियों का गठन किया गया है, जो बिना एनओसी के भूजल का दोहन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इस मामले में  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 25 फरवरी, 2022 को एक आदेश जारी किया था, जिसके अनुपालन में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की ओर से सबमिट की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में भूजल की स्थिति से जुड़ा है। इस मामले में एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था  जिसमें कहा गया था कि गाजियाबाद में भूजल बहुत तेजी से घट रहा है। इसके लिए आवेदन में गाजियाबाद में स्थित विभिन्न होटलों, मैरिज हॉलों, पार्टी लॉन द्वारा भूजल के अवैध दोहन को जिम्मेवार बताया गया था।

इस पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लघु सिंचाई विभाग (गाजियाबाद) और उत्तर प्रदेश जल निगम के प्रतिनिधियों के साथ होटल इकाइयों ने पुन: निरीक्षण और आगे की आवश्यक कार्रवाई के संबंध में निर्णय लेने के लिए 4 अप्रैल, 2022 को एक बैठक बुलाई थी। पुन: निरीक्षण और पुन: सत्यापन के बाद, बिना वैध एनओसी के भूजल का दोहन कर रही दोषी इकाइयों के खिलाफ गाजियाबाद जिलाधिकारी को उचित कार्रवाई करनी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बारे में  जल्द से जल्द उपचारात्मक कार्रवाई करने के लिए गाजियाबाद जिलाधिकारी को कई रिमाइंडर लेटर भेजे गए हैं, लेकिन आज तक उस बारे में उनका कोई जवाब नहीं आया है।

बाढ़ के कारण शुरू नहीं हो सका ब्राह्मणी और महानदी के तटबंध का काम: रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 26 सितंबर, 2022 को दिए निर्देश में कहा है कि ब्राह्मणी और महानदी नदी तटबंध संरक्षण के काम की समय-सीमा तय की जानी चाहिए। साथ ही अब तक उसपर क्या काम किया गया है उसका उल्लेख करते हुए एक रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि कोर्ट का यह आदेश कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट-सह-अध्यक्ष, जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (डीईएए), केंद्रपाड़ा, ओडिशा द्वारा दायर हलफनामे के जवाब में था। इस हलफनामे में जानकारी दी गई थी कि बाढ़ के कारण, ब्राह्मणी नदी और महानदी के तटबंध संरक्षण का काम शुरू नहीं हो सका है। 

पलवल रेलवे स्टेशन के पास क्लिंकर चढाने उतारने से हो रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट

पलवल रेलवे स्टेशन के पास रेलवे वैगनों से क्लिंकर उतारने और वाहनों में लोड करने की प्रक्रिया के दौरान धूल उत्सर्जित होती है। यह जानकारी हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 26 सितंबर 2022 को एनजीटी में सबमिट अपनी संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट में दी है। गौरतलब है कि क्लिंकर सीमेंट उत्पादन की रीढ़ है और जिसको अनिवार्य रूप से चूना पत्थर और खनिजों में मिश्रित किया जाता है।

ऐसे में संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि रेलवे विभाग को लोडिंग और अनलोडिंग प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए साइडिंग और सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव सुनिश्चित करना चाहिए।

इतना ही नहीं सड़कों और साइडिंग के पास बचे हुए मलबे को लोडिंग और अनलोडिंग का काम पूरा होने के तुरंत बाद साफ कर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए रेल विभाग को साइडिंग और सड़क के पास ऊंचे पेड़ भी लगाने चाहिए।