विकास

शिमला विकास योजना के मामले में एनजीटी ने गठित की उच्चस्तरीय समिति

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति को मोहल धार तूती कंडी, शिमला में होते अवैध निर्माण के मामले को देखने का निर्देश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास सचिव द्वारा की जाएगी। इस मामले में एनजीटी ने अपने 17 अक्टूबर, 2022 को दिए आदेश में कहा है कि इस मामले में कानून तौर पर बहाली की कार्रवाई की जानी चाहिए।

कोर्ट का कहना है कि एनजीटी के फैसले का उल्लंघन करते हुए हिमाचल सरकार ने विकास योजना का मसौदा पेश किया था, जिसे ट्रिब्यूनल द्वारा 14 अक्टूबर, 2022 को अस्वीकार कर दिया गया है। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ का कहना है कि हिमाचल प्रदेश विकास योजना का मसौदा अवैध है और राज्य के पास न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द करने या अनदेखा करने का कोई अधिकार नहीं है।   

उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में होटलों द्वारा भूजल के अवैध दोहन पर कोर्ट ने लगाया जुर्माना

एनजीटी ने सभी प्रतिष्ठानों जिनमें होटल, मैरिज हॉल, पार्टी लॉन शामिल है, को बिना अनुमति के भूजल दोहन के साथ-साथ जल अधिनियम के तहत संचालित करने के लिए सहमति न रखने वाले लोगों को अंतरिम मुआवजा जमा करने का निर्देश दिया है।

यह अंतरिम मुआवजे कितना होगा इसकी गणना उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा की जाएगी। मुआवजे की इस राशि को जिलाधिकारियों द्वारा अलग-अलग खातों में रखा जाएगा। इसकी मदद से जल की गुणवत्ता में सुधार, जल निकायों को बहाल करने तथा अपने-अपने जिलों में अन्य प्रासंगिक उपायों पर अगले छह महीनों में खर्च किया जाएगा।

इस मामले में ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया है कि इन प्रतिष्ठानों को सहमति देते समय, केंद्रीय सर्वर से जुड़े डिजिटल वॉटर मीटर लगाना जरूरी है। साथ ही इन प्रतिष्ठानों को क्षेत्र में दोहन के लिए उपलब्ध भूजल की मात्रा और उनकी बहाली के लिए किए जाने वाले उपायों जैसे वर्षा जल संचयन, सीवेज उपचार और  उपचारित सीवेज के उपयोग के संबंध में एक मूल्यांकन रिपोर्ट भी सबमिट करना जरूरी है। एनजीटी ने अपने 17 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा है कि इस तरह की मूल्यांकन रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विधिवत सत्यापित किया जाना चाहिए।

चिनाब घाटी में प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए सभी प्रयास कर रही है प्रदूषण नियंत्रण समिति

जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति चिनाब घाटी में पर्यटक केंद्रों और धार्मिक स्थानों पर प्लास्टिक कचरे की समस्या को हल करने के लिए सभी उपाय कर रही है। मामला जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में विशेष रूप से भद्रवाह का है।

प्रदूषण नियंत्रण समिति का कहना है कि भद्रवाह और उसके आसपास के पर्यटन स्थलों जैसे जय घाटी, पधेरी धार, चटर्जला, खलेनी टॉप, वन विभाग के  नियंत्रण में आते हैं और गर्मियों के दौरान पर्यटकों द्वारा इस क्षेत्र में भ्रमण किया जाता है। ऐसे में यह स्थल प्लास्टिक कचरे का हॉटस्पॉट बन गए हैं। वहां प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और निपटान प्रणाली न होने के कारण कचरा पहाड़ी ढलानों और गड्ढों में डंप किया जा रहा है।

इस रिपोर्ट में समिति ने वार्षिक धार्मिक यात्राओं, मेलों और ऊंचाई वाले घास के मैदानों में स्थित पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपचारात्मक उपायों को भी कोर्ट के सामने रखा है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, भद्रवाह विकास प्राधिकरण और नगर समिति को इन सभी पर्यटन स्थलों पर वैज्ञानिक तरीके से प्लास्टिक कचरे को संग्रह, अलग करने और निपटान के लिए तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

गोवा में पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए जोन होटल्स पर लगाया 2.04 करोड़ का जुर्माना 

एनजीटी ने जोन होटल्स द्वारा दायर अपील का निपटारा कर दिया है। इस मामले में कोर्ट का कहना है कि अपीलकर्ता लगातार स्थापित मानदंडों और कानून की प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहा है और अवैध निर्माण को हटाने के लिए तैयार नहीं दिख रहा।

इस मामले में ट्रिब्यूनल का कहना है कि बॉम्बे उच्च न्यायालय को नियमित रूप से इस अवैध संपत्ति को विध्वंस करने की निगरानी करने होगी। गौरतलब है कि जोन  होटल्स ने गोवा तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (जीसीजेडएमए) द्वारा 9 मई, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ कोर्ट में अपील की थी, जिसमें होटल 2.04 करोड़ रुपए के जुर्माने के भुगतान का निर्देश दिया गया था।

जानकारी मिली है कि गोवा के बर्देज़ में कैंडोलिम गांव में किए इस अवैध निर्माण के चलते पर्यावरण को नुकसान हुआ था, जिसके चलते जोन  होटल्स पर यह जुर्माना लगाया गया था, जिसका भुगतान उसे एक महीने के भीतर करना है।