विकास

टूटी सड़कों पर कोयला ट्रकों के चलने से ग्रामीणों परेशान, एनजीटी ने दिया मरम्मत का आदेश

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपने एक आदेश में कहा कि है कि ओडिशा की कुलदा कोयला खदान से छत्तीसगढ़ के तमनार थर्मल पावर प्लांट तक कोयला ले जाने के लिए इस्तेमाल हो रही सड़क की जल्द से जल्द मरम्मत की जानी चाहिए।

इस उद्देश्य के लिए उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों को परियोजना प्रस्तावकों और ट्रिब्यूनल द्वारा गठित संयुक्त समिति के सदस्यों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित करने के लिए भी कहा गया है। साथ ही उन्हें एक महीने के भीतर आगे की कार्रवाई पर काम करने का समय दिया गया है, जिसमें आवंटन से लेकर पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की शर्तों को लागू करने की बात भी कही गई है।

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि बैठक में सहमति नहीं होती तो उस स्थिति में संयुक्त समिति को दोनों राज्यों के परियोजना प्रस्तावकों में दायित्व का बंटवारा करना होगा जिससे सड़क निर्माण का काम तेजी से हो सके। यह बैठक एक महीने के भीतर उड़ीसा के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित होनी चाहिए। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में संयुक्त समिति को तीन महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश 15 जुलाई, 2022 को दिया है।

गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कार्यवाही शुरू की गई थी जिसमें कुलदा कोयला खदान और तमनार थर्मल प्लांट, छत्तीसगढ़ के संचालन में पर्यावरण मानदंडों, विशेष रूप से ईसी शर्तों के उल्लंघन की बात सामने आई थी। आरोप था कि कुलदा से तमनार तक 21 टन क्षमता के 200 डंपरों में कोयले को रोजाना ले जाया जाता है। इसके लिए यह डंपर रोजाना 400 ट्रिप करते हैं। मतलब की हर 3 से 4 मिनट में एक ट्रक चौबीसों घंटे, 14 गांवों के बीच से गुजरता है। 2011 की जनगणना के अनुसार इन गांवों की कुल आबादी 15,000 से अधिक है।

इस मामले में एनजीटी के आदेश से गठित संयुक्त समिति ने 11 जुलाई, 2022 को अपनी रिपोर्ट में उल्लंघन को स्वीकार किया था और उसपर कार्रवाई की सिफारिश भी की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में, 1,400 से अधिक कोयला ढोने वाले भारी वाहन (लोड और अनलोड दोनों) सड़क से गुजरते हैं।

जिले की प्रमुख सड़क पर इन वाहनों के आवागमन से ग्रामीणों के यातायात और बुनियादी जरूरतों के लिए सड़क उपयोग पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा, विचाराधीन सड़क पिछले पांच से भी ज्यादा वर्षों से क्षतिग्रस्त स्थिति में है और इस क्षतिग्रस्त सड़क के कारण, ग्रामीणों को वाहनों के चलने से पैदा हुई धूल और शोर जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।

समिति के सभी सदस्य इस बात से सहमत थे कि कुलदा से तमनार तक गांवों से होकर गुजरने वाली सड़क मौजूदा स्थिति में कोयला लाने ले जाने के लिए सही नहीं है और इसका असर स्थानीय ग्रामीणों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और सुरक्षा को प्रभावित कर रहा है। इस सड़क को जल्द से जल्द मरम्मत और नया करने की जरूरत है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य भर की नगर पालिकाओं को आक्रामक आवारा कुत्तों को हटाने का दिया निर्देश

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल नगर पालिका को शहर के भीतर मौजूद आवारा कुत्तों का सर्वेक्षण करने और उनमें से केवल आक्रामक कुत्तों की पहचान करके उन्हें हटाने और आश्रय में रखने का निर्देश दिया है।

इस मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ का कहना है कि एक तरफ आवारा कुत्तों के अधिकारों और दूसरी तरफ इंसानों के बीच संतुलन बनाना जरुरी है। क्षेत्र में आवारा कुत्तों के अधिकारों को संरक्षित करते हुए इंसानों के जीवन और स्वतंत्रता का बलिदान नहीं किया जा सकता है।

साथ ही कोर्ट में नैनीताल नगर पालिका को आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा गया है। इन निर्देशों को सभी नगर पालिकाओं के माध्यम से पूरे उत्तराखंड में लागू किया जाना है। इस मामले में सचिव, नगरीय विकास एवं स्थानीय निकाय एवं सचिव, पशुपालन को उच्च न्यायालय के आदेश को संप्रेषित करने एवं उसके पालन को सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा है।

सेप्टिक टैंकरों के माध्यम से मुसी नदी में डाले जा रहे मानव मल को रोकने के लिए बाड़ लगाना जरुरी: संयुक्त समिति

मुसी नदी में टैंकरों के माध्यम से मानव मल फेंकने के आरोप की जांच के लिए गठित संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुसी नदी में मानव मल को डंप किए जाने की पूरी संभावना है क्योंकि वहां कोई बाड़ नहीं है। मामला तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले का है जहां टीपू खान पुल पर नदी के दोनों और कोई बाड़ नहीं है।

समिति ने सिफारिश की है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) और मुसी रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमआरएफडीसीएल) को टीपू खान पुल के दोनों किनारों पर न्यूनतम 10 से 12 फीट ऊंची बाड़ लगाना चाहिए, ताकि मानव मल और म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट को मुसी नदी में न डाला जा सके।

इसके साथ ही समिति द्वारा 16 जुलाई को सबमिट रिपोर्ट में कहा गया है कि हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (एचएमडब्ल्यूएस एंड एसबी) और आयुक्त एवं नगर प्रशासन निदेशकको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सेप्टिक टैंकरों के पास मानव मल संग्रह और निपटान के लिए अनुमति और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम होना चाहिए।