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एक सप्ताह के भीतर अपने नियंत्रण में आने वाली हर सड़क की मरम्मत करे एनएचएआई: उच्च न्यायालय

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को निर्देश दिया है कि वह अगले एक सप्ताह के भीतर केरल में अपने नियंत्रण में आने वाली हर सड़क को ठीक करने के लिए तत्काल कदम उठाए। कोर्ट का कहना है कि मरम्मत का यह काम जल्द से जल्द बिना देरी के पूरा किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय का कहना है कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के प्रमुख के रूप में जिला कलेक्टरों की एक निश्चित भूमिका होती है और उनके अधीन अधिकारियों को सड़कों से सम्बंधित मुद्दों, विशेष रूप से गड्ढों के प्रति सचेत रहना चाहिए।

ऐसे में कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जिला कलेक्टर ऐसी किसी भी सड़क के संबंध में आदेश जारी करेंगे, जिसमें गड्ढे पाए जाते हैं, वो अपने क्षेत्राधिकार में इंजीनियर, ठेकेदारों या किसी अन्य व्यक्ति जो इसके लिए जिम्मेवार हों उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेंगे।

इस मामले में केरल उच्च न्यायालय ने अपने  8 अगस्त, 2022 को दिए आदेश में कहा है कि “हम न तो किसी अन्य पीड़ित के सामने आने का इन्तजार कर सकते हैं न ही केरल की सड़कों को खेतों की हत्या करने दे सकते हैं अब चाहे वो एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी या स्थानीय सरकारी संस्थानों के अधीन हो।“ गौरतलब है कि हाई कोर्ट का यह आदेश राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़कों की खराब स्थिति के कारण हो रहे हादसों के मामलों में आया है।

इस बारे में न्याय मित्र विनोद भट ने अदालत के संज्ञान में लाया है कि अथानी में राष्ट्रीय राजमार्ग में एक गड्ढे में गिरकर एक व्यक्ति की मौत हो गई है। इसके अलावा एनएच के कुछ हिस्सों विशेष रूप से चलक्कुडी, कोडुंगलूर, ओरुमनयूर में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने स्वीकार किया है कि मार्ग के इस हिस्से में कुछ समस्याएं हैं। इस बारे में एनएचएआई के वकील का कहना है कि विचाराधीन खंड राजमार्ग का हिस्सा है और वो "बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर" समझौते के तहत दिया गया है और इसे लेने वाला कंसेसियनार ही इसके रखरखाव और और मरम्मत के लिए भी जिम्मेवार है।

एनएचएआई के वकील ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि पूरे केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग के हर हिस्से की मरम्मत के लिए जरुरी कदम उठाए जा चुके हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

इस बारे में न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केरल के हर जिले के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करने की आवश्यकता है कि ऐसी दुर्घटनाएं दोबारा न हों। चाहे वह राष्ट्रीय राजमार्ग हो या पीडब्ल्यूडी के आधीन आने वाली सडकें या किसी अन्य स्थानीय विभाग के नियत्रण में आने वाली सड़क हो। 

बैतरणी नदी में होते अवैध रेत खनन पर एनजीटी सख्त, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिए कार्रवाई के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ओडिशा के मुख्य सचिव को बैतरणी नदी में होते अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मामला ओडिशा के बल्लिपोखरी एस्केप के पास बैतरनी नदी के तटबंध के निकट होते अवैध रेत खनन से जुड़ा है। साथ ही एनजीटी ने अपराधियों/अवैध खनिकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत कार्रवाई का भी निर्देश दिया है। 

कोर्ट ने ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस मामले में पर्यावरण मुआवजा निर्धारित करने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने जिला अधिकारियों को जुर्माना/रॉयल्टी निर्धारित करने और क़ानूनी आधार पर इसकी वसूली के लिए अवैध खनिकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।