विकास

जैसलमेर की मरुस्थलीय पारिस्थितिकी को बचाने के तरीके खोजने के लिए समिति गठित

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के जैसलमेर में डेजर्ट इकोलॉजी को बचाने के उपाय खोजने के लिए एक दस सदस्यीय समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस बारे में  न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने 3 फरवरी 2023 को अपने निर्देश में कहा है कि शाश्वत विकास के लिए अध्ययन जरूरी है। इससे पारिस्थितिक रूप से नाजुक और संवेदनशील क्षेत्रों को संरक्षित करने के साथ आर्थिक गतिविधियों को संतुलित करने में मदद मिलेगी।

कोर्ट का कहना है कि यह क्षेत्र अनियमित पर्यटन गतिविधियों के चलते पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 130 होटल और ऐसे अन्य प्रतिष्ठान हैं। वहीं सीजन के दौरान यहां हर दिन 1,000 ऊंट और 4,000 जीप सफारी आयोजित की जाती हैं।

इसके साथ पैराग्लाइडिंग, पैरामोटरिंग और पैरासेलिंग जैसी गतिविधियां भी होती हैं। इनमें से बड़ी संख्या में गतिविधियां अनियमित हैं और ऑपरेटरों के पास आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण की कमी है। साथ ही साफ-सफाई और स्वच्छता के मुद्दे भी बने रहते हैं। यहां नियमन और निगरानी पर्याप्त नहीं है।

प्रयागराज में चलता अवैध खनन का खेल, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में कुछ सिलिका सैंड वाशिंग प्लांट में खनिज भंडार, उनके स्वयं के पट्टे से खनन किए गए खनिज से बहुत ज्यादा था, जो दर्शाता है कि इस क्षेत्र में अवैध तरीके से खनन किया जा रहा है। संयुक्त समिति द्वारा यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को 3 फरवरी, 2023 को दर्ज रिपोर्ट में दी गई है।

गौरतलब है कि प्रयागराज में छोटे पैमाने पर खनन किया जा रहा है। लगभग सभी मामलों में खानें स्टैंडर्ड खनन उपकरण के साथ ओपन पिट या ड्रेजिंग खनन विधियों का प्रयोग कर रही हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, प्रयागराज की बारा तहसील के शंकरगढ़ प्रखंड में लालापुर, बांकीपुर, जनवा, कैथा, लखनौती और प्रतापपुर क्षेत्र में सिलिका सैंड वाशिंग प्लांट के संचालन के लिए कुल 42 सहमति प्रदान की गई है।

जांच में समिति ने पाया कि अधिकांश वाशिंग प्लांट में एक ही परिसर में दो या तीन वाशिंग यूनिट हैं, जबकि उन्होंने केवल एक वाशिंग प्लांट के लिए ही सहमति (सीटीओ) ली है।

इन वाशिंग यूनिट में पानी की आपूर्ति का प्राथमिक स्रोत बोरवेल है। यूपीपीसीबी ने सूचित किया है कि भूजल निकालने के लिए सीजीडब्ल्यूए/सीजीडब्ल्यूबी से एनओसी सुनिश्चित करने के बाद ही इन इकाइयों को सहमति दी गई थी। वहीं जानकारी मिली है अपशिष्ट जल के उपचार लिए इन यूनिट्स में ग्रेविटी सेटलिंग पिट/कंक्रीट टैंक बनाए गए हैं। यह सेटलिंग पिट जमीन की सतह से नीचे बने हैं और इनमें से ज्यादातर मिट्टी/ कीचड़ से भरे पाए गए थे। इसके अलावा इन सेटलिंग पिट से कीचड़ साफ करने के लिए कोई मैकेनिकल स्लज सिस्टम नहीं है। 

पर्यावरण नियमों को ताक पर रख हिसार में चल रहे 138 ईंट भट्ठे, एनजीटी ने जांच के दिए आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हिसार के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति को हिसार में चल रहे ईंट भट्टों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामला हरियाणा के हिसार जिले का है।

कोर्ट ने रिपोर्ट सबमिट करने के लिए समिति को अगले दो महीनों का समय दिया है। साथ ही इस रिपोर्ट में साईट पर नियमों को माना जा रहा है इसकी स्थिति, वहन क्षमता, जिग-जैग तकनीक के मामले में निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं, साथ ही किस तरह का ईंधन उपयोग हो रहा है उस मामले में मानकों सहित नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं इसका भी उल्लेख किया जाना है।

इस मामले में शिकायतकर्ता जितेन्द्र सिंह के अनुसार, हिसार में लगभग 138 ईंट भट्ठे पर्यावरण नियमों का ताक पर रख चल रहे हैं।