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भोपाल के बड़े तालाब के पास हो रहा आवासीय परिसर का निर्माण, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

भोपाल के बड़े तालाब के पास हो रहा आवासीय परिसर के निर्माण के मामले में एनजीटी ने दो मई 2023 को दिए आदेश में संयुक्त समिति से रिपोर्ट तलब की है। मामला मध्यप्रदेश के भोपाल में अपर लेक के 50 मीटर के दायरे में कोर्टयार्ड हाइट्स के नाम से हो रहे एक आवासीय परिसर के निर्माण से जुड़ा है।

इस मामले में शिकायतकर्ता फराज आजम का कहना है कि नो कंस्ट्रक्शन जोन के भीतर होता निर्माण और विकास पानी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। ऐसे में अगर इसे रोका नहीं जाता तो यह अवसादन, शहरी तूफानी जल अपवाह, जल प्रणालियों में प्रदूषण और जलीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है साथ ही इस तरह के अन्य मुद्दों को भी जन्म देता है।

उनका कहना है कि इस बारे में मुख्य नगर निवेषक भोपाल द्वारा सबमिट रिपोर्ट के मामले में 26 अक्टूबर, 2021 को टैंक के पूर्ण स्तर के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण मांगा गया था। हालांकि इसे स्पष्ट किए बिना अधिकारियों ने लेक कोर्टयार्ड हाइट्स के निर्माण को अनुमति दे दी थी। उनके मुताबिक यह वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 का भी उल्लंघन है।

क्या यमुना को दूषित कर रहा है पामारी नाले में डाला जा रहा सीवेज

पता चला है कि फिरोजाबाद में घरेलू सीवेज को पामारी नाले में डाला जा रहा है। यह नाला चुलावली, नगला तेजा, नगला गढ़िया और नगला छाड़ गांव से होकर गुजरता है। जो नगला छाड़ में खत्म हो जाता है। यह बातें संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय किसानों द्वारा नाले के पानी को अस्थाई रूप से रोका गया है, जिसके बाद नाले में कोई गंदा पानी या सीवेज नहीं बह रहा था और नाला सूखी हालत में पाया गया।

ऐसे में मौजूदा दिनों में इस नाले के पानी यमुना में नहीं मिल रहा है। केवल बारिश के मौसम में ही इसके यमुना में मिलने की सम्भावना है। इतना ही नहीं निरीक्षण के दौरान नाले के ऊपर शौचालय के अलावा कोई अन्य अतिक्रमण नहीं पाया गया। गौरतलब है कि पामारी नाले में सीवेज डाले जाने की शिकायत मिली थी, जो यमुना में प्रदूषण को बढ़ा रही है। इसी शिकायत पर संयुक्त समिति ने मौके का मुआयना कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। 

नगर पालिका टूंडला ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि उसने पामारी नाले के ऊपर स्थाई तौर पर रूफटॉप स्लैब की मदद से शौचालय का निर्माण किया है, जिसके लिए सेप्टिक टैंक और सोक पिट का प्रावधान किया गया है।

संयुक्त समिति ने अपनी जांच में पाया कि पामारी नाले में छोड़ा गया घरेलू सीवेज करीब 12 किलोमीटर की यात्रा करता है और रास्ते में नाले के सीवेज मिश्रित दूषित जल का उपयोग स्थानीय किसानों द्वारा सिंचाई के लिए किया जाता है। गौरतलब है कि इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 28 फरवरी 2023 को एक आदेश जारी किया था, जिसपर अमल करते हुए राज्य सरकार ने यह जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी है।

सुबर्णरेखा नदी पर दो जगह ड्रेजिंग या डी-सिल्टिंग की है जरूरत: डब्ल्यूबीएमडीटीसीएल

सिंचाई और जलमार्ग विभाग ने सुबर्णरेखा नदी पर दो ड्रेजिंग या डी-सिल्टिंग साइटों की पहचान की है। 29 अगस्त, 2021 को सिंचाई और जलमार्ग विभाग, नदी अनुसंधान संस्थान और पश्चिम बंगाल खनिज विकास और व्यापार निगम (डब्ल्यूबीएमडीटीसीएल) के तकनीकी सलाहकार की एक संयुक्त निरीक्षण समिति द्वारा किया गया था।

निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि दोनों स्थानों पर नदी तल में भारी वृद्धि हुई है, जिससे नदी की पानी ले जाने की क्षमता काफी हद तक कम हो गई है। पता चला है कि नदी तल पर इस गाद के साथ-साथ वहन क्षमता में कमी आई है। इसके कारण तटबंधों ऊपर उठे हैं और आस-पास के क्षेत्रों में पानी का सैलाब आ गया था।

समिति निरीक्षण के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि तलछट के जमा होने के कारण चैनल चौड़ा हो गया है। वहीं नदी मार्ग और किनारों का कटाव हो रहा है। ऐसे में समिति ने डीसिल्टिंग की सिफारिश की है। डब्ल्यूबीएमडीटीसीएल ने अपने हलफनामे में यह बात कही है।