डाउन टू अर्थ ने मनरेगा भुगतान में हो रही देरी के कारण मजदूरों की बढ़ती दिक्कतों को लेकर -- कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-5: छत्तीसगढ़, कागजों पर गुलाबी आंकड़ें-शीर्षक से एक रिपोर्ट छापी थी। जिसके बाद सरकार के मनरेगा विभाग में काफी सरगर्मी देखी गई।
रिपोर्ट का असर यह हुआ कि मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) आयुक्त मोहम्मद कैसर अब्दुल हक ने मनरेगा श्रमिकों के बैंक खातों के माध्यम से मजदूरी भुगतान के दौरान आ रही ट्रान्जेक्शन रिजेक्शन्स की समस्याओं को समय-सीमा में दूर करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को परिपत्र जारी कर ट्रान्जेक्शन्स रिजेक्शन वाले मामलों में मनरेगा श्रमिकों को बैंक से जारी पास-बुक में अंकित नाम व खाता क्रमांक के आधार पर नरेगा सॉफ्टवेयर (नरेगा-सॉफ्ट) में दर्ज श्रमिकों के नाम व खाता क्रमांक को अद्यतन कर सुधरवाने को कहा है।
राज्य मनरेगा आयुक्त ने जिला पंचायतों के सीईओ को जारी परिपत्र में कहा गया है कि मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी भुगतान निर्धारित समय-सीमा में किया जाना है, किंतु श्रमिकों के खातों में विभिन्न प्रकार की समस्याओं के कारण मजदूरी भुगतान के ट्रांजेक्शन रिजेक्ट हो रहे हैं। इससे श्रमिकों को समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है। ट्रांजेक्शन रिजेक्ट होने के प्रमुख कारणों में अमान्य खाता प्रकार, ऐसा कोई खाता नहीं, खाता बंद या स्थानांतरित, निष्क्रिय आधार, केवाईसी अपडेट नहीं, खाता मौजूद नहीं है, आधार को खाते से नहीं जोड़ा गया, बैंकों के मर्ज होने की स्थिति में अमान्य बैंक पहचानकर्ता, आई.एफ.एस. कोड का गलत होना एवं दावारहित खाता हैं। इन समस्याओं को निराकरण करने के लिए समस्यावार की जाने वाली कार्रवाई संबंधी मार्गदर्शिका सभी जिलों को परिपत्र के साथ भेजी गई है।
मनरेगा आयुक्त ने सभी जिलों को भेजी गई मार्गदर्शी-सूची के अनुसार आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई तत्काल करने को कहा है। उन्होंने मार्गदर्शी-सूची में उल्लेखित समस्याओं के अतिरिक्त कोई अन्य समस्या आने या किसी समस्या का समाधान नहीं हो पाने पर ऐसे मामलों की जानकारी सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ राज्य कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत प्रोग्रामरों व सहायक प्रोग्रामर के जरिए त्रुटियों को समय-सीमा में ठीक करने के निर्देश दिए हैं,ताकि भविष्य में ट्रांजेक्शन रिजेक्शन जैसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
ध्यान रखने की बात इसमें यह है कि सामाजिक कार्यकर्ता और मनरेगा कानून बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्यां द्रेज ने इन सभी पहलुओं पर डाउन टू अर्थ से विस्तार में बात भी की थी। और उन्होने कई सुझाव भी दिए थे जिसमें सबसे पहली बात उन्होंने कही थी कि आधार पेमेंट सिस्टम को बंद कर पुराना बैंक खाता के माध्यम से भुगतान की प्रक्रिया चालू की जानी चाहिए।
सरगुजा की मनरेगा मजदूर देव कुमारी टोप्पो कहती है – अगर उन लोगों के पैसे उन लोगों के खाते में इस आदेश के बाद आ जाएं तो एक बड़ी मदद मिल जाएगी, क्योंकि भले ही बाजार खुल गए हैं लेकिन हकीकत है कि हम लोगों के पास पैसा नहीं है और ऐसे में यह पैसा अगर मिल जाए तो दिक्कतों का सामना करने में हम मनरेगा मजदूरों को आसानी होगी।