विकास

बजट 2020-21: पांच नई स्मार्ट सिटी की घोषणा, लेकिन कब पूरी होगी?

जून 2015 में घोषित स्मार्ट सिटी मिशन का अब तक केवल 11 फीसदी ही काम हो पाया है

Raju Sajwan

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 के बजट भाषण में कहा कि देश में पांच नई स्मार्ट सिटीज बनाई जाएंगी। इससे एक बार लोगों को फिर से याद आया कि सरकार ने देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 2015 में एक मिशन की शुरुआत की तो उस मिशन का क्या हुआ? आइए, जानते हैं कि आखिर स्मार्ट सिटी मिशन की क्या स्थिति है?

पहले बात करते हैं कि इस बजट में स्मार्ट सिटी मिशन के लिए कितना आवंटन किया गया। वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार के बजट में स्मार्ट सिटी मिशन के लिए 6450 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी, लेकिन छह माह बाद ही सरकार को लगा कि इतना पैसा इस मिशन पर खर्च नहीं किया जा सकेगा तो अनुमान संशोधित किया गया और बजट में संशोधित अनुमान (आरई) 3450 करोड़ रुपए किया गया। इसमें से कितना पैसा वास्तव में आवंटित किया गया, इसके बारे में पता चलेगा, लेकिन 2020-21 के लिए फिर से 6450 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया है।

अब बात करते हैं कि 100 स्मार्ट सिटीज की। 25 जून 2015 को इस मिशन की शुरुआत हुई। तब कहा गया कि पांच साल के भीतर देश के 100 शहर स्मार्ट बन जाएंगे। दो साल तो केवल शहरों का चयन करने में ही बीत गए। लक्ष्य रखा गया कि 100 शहरों में 2.05 लाख करोड़ रुपए का काम कराए जाएंगे, लेकिन मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि नवंबर 2019 तक 1296 प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं, इनकी लागत लगभग 23,170 करोड़ रुपए है। यानी कि अब तक लगभग 11 फीसदी ही काम पूरा हो पाया है।

जानकार बताते हैं कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 2.05 लाख करोड़ रुपए में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी केवल 48 हजार करोड़ रुपए की है, जबकि इतना ही पैसा राज्य सरकार और अर्बन लोकल बॉडी (नगर निगम, नगर पालिका आदि) को खर्च करने हैं। जबकि 42,028 करोड़ रुपए (21 फीसदी) दूसरे मिशन के तहत चल रहे विकास कार्यों को स्मार्ट सिटी मिशन में समाहित किया जाएगा। इसके अलावा 41,022 करोड़ रुपए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और लगभग 9,843 करोड़ रुपए का लोन लिया जाना है। इसके बाद बचे लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम स्मार्ट सिटी मिशन को पूरा करने के लिए हर शहर में बनाई गई कंपनी (एसपीवी) को अपने संसाधनों से करने हैं।

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के एक अधिकारी बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में स्मार्ट सिटी मिशन के कामों ने रफ्तार पकड़ी है, लेकिन अभी भी काम धीमी गति से चल रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि पैसे का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। खासकर अर्बन लोकल बॉडीज को जो अपने हिस्से का 25 फीसदी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स पर खर्च करना है, उनके पास है ही नहीं। कुछ राज्य सरकारें भी अपने हिस्से का 25 फीसदी खर्च नहीं कर रहे हैं। इस वजह से काम शुरू तक नहीं हो पा रहे हैं। वह बताते हैं कि केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि प्राइवेट सेक्टर इन प्रोजेक्ट्स में रूचि लेगा, लेकिन आईटी से संबंधित कुछ प्रोजेक्ट्स को छोड़ दें तो प्राइवेट सेक्टर भी ज्यादा रूचि नहीं ले रहे हैं।