दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन जुलाई 2024 को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और दिल्ली विकास प्राधिकरण से दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अंतर्गत आने वाले सभी प्राइवेट नर्सिंग होम का निरीक्षण करने के लिए एक संयुक्त समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को इन नर्सिंग होम की सूची उपलब्ध कराने के लिए कहा है। इसके बाद समिति नर्सिंग होम का निरीक्षण करेगी और संरचनात्मक दोषों को छोड़कर अग्नि सुरक्षा से जुड़े किसी भी उल्लंघन पर एक रिपोर्ट तैयार करेगी। यह रिपोर्ट निरीक्षण के चार सप्ताह के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
संयुक्त समिति, यदि आवश्यक हो, तो उन नर्सिंग होम को नोटिस जारी करेगी जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके द्वारा की जा रही चूक को लिस्ट किया जाएगा और उससे कैसे निपटा जा सकता है, इसपर भी समिति द्वारा ध्यान दिया जाएगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि इन नर्सिंग होम को चूक को ठीक करने के लिए उचित समय दिया जाएगा।
अदालत को सूचित किया गया है कि नर्सिंग होम में अग्नि सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए 2019 में गठित उप-समिति ने अब तक अपनी अंतिम रिपोर्ट या सिफारिशें प्रस्तुत नहीं की हैं। यह मुद्दा महत्वपूर्ण है क्योंकि अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त उपाय न होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
न्यायालय ने उप-समिति से अपने विचार-विमर्श को जल्द से जल्द पूरा करने और अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस रिपोर्ट में नर्सिंग होम की बुनियादी संरचना संबंधी समस्याओं के वैकल्पिक समाधान शामिल होने चाहिए ताकि आम लोगों की रक्षा के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित किया जा सके। इस मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर, 2024 को होनी है।
गौरतलब है कि दिल्ली में निजी नर्सिंग होम का प्रतिनिधित्व करने वाले याचिकाकर्ताओं ने दो अगस्त, 2019 को दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा जारी एक सूचना को चुनौती दी है। इस सूचना में अग्निशमन सेवा से दिल्ली के सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में अग्नि सुरक्षा उपायों का ऑडिट करने को कहा गया था।
इस याचिका में एक नर्सिंग होम को जारी कारण बताओ नोटिस को भी रद्द करने की भी मांग की गई है। यह नोटिस छह जून, 2019 को जारी किया गया था। इस नोटिस में आग और जीवन सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में उनकी विफलता का हवाला दिया गया था। यह नर्सिंग होम विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता, 2016 का पालन करने में विफल रहा था।
प्राइवेट नर्सिंग होम की ओर से पेश वकील का तर्क है कि अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र लेने का आदेश उन नर्सिंग होम्स पर लागू नहीं होता है जो आवासीय क्षेत्रों में 'मिश्रित उपयोग' वाली जमीन पर चल रहे हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने इसका विरोध किया है कि नर्सिंग होम और अस्पताल, जिन्हें 'इंस्टीट्यूशन बिल्डिंग' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, उन्हें वास्तव में अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र लेना चाहिए।
गौरतलब है कि नर्सिंग होम में हाल ही में लगी आग एक घटना ने अग्नि सुरक्षा से जुड़े नियमों के पालन में हो रही गंभीर खामियों को उजागर किया है। अदालत का कहना है कि, "जनता, खास तौर पर नर्सिंग होम में काम करने वालों और मरीजों की सुरक्षा करना बेहद महत्वपूर्ण है।" सभी प्राइवेट नर्सिंग होम में आवश्यक अग्नि सुरक्षा उपकरण लगाकर सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है।