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बेनामी स्टोन क्रशर्स खोद रहे खनिज के पहाड़, एनजीटी ने कहा ईडी कर सकती है जांच

Vivek Mishra

झारखंड के साहेबगंज जिले में विंध्य पर्वत की राजमहल पहाड़ी पर पर्यावरण नियमों को ताख पर रखते हुए अंधाधुंध तरीके से स्टोन क्रशर मशीनें खनन और पत्थरों को तोड़ने का काम  कर रही हैं। आश्चर्यजनक यह है कि अवैध काम में लिप्त स्टोन क्रशर्स का मालिक ही कोई नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए अपने ताजा आदेश में कहा है कि "इस गंभीर मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी देख सकती है।"

प्रचुर खनिज वाले इस क्षेत्र में लगातार अवैध खनन और स्टोन क्रशर पर्यावरणीय नियमों के विरुद्ध काम कर रहे हैं। एनजीटी ने बीते पांच वर्षों में कई बार स्टोन क्रशर्स यूनिट को आदेश दिया लेकिन सर्वे रिपोर्ट्स में यह बात साफ होती रही कि राजमहल पहाड़ी पर बेनामी यूनिटें काम कर रही हैं। 

24 अगस्त, 2022 को एनजीटी ने फील्ड रिपोर्ट्स और प्राधिकरणों की जांच रिपोर्ट्स के आधार अपने आदेश में कहा "अंधाधुंध और गैरविनियमित खनन व स्टोन क्रशर गतिविधियों के कारण बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषण जारी है, जिस पर आंखे मूंदी हुई हैं। आवश्यता है कि गंभीर और संयमित प्राधिकरण इसकी जांच करे कि किस तरह से वायु प्रदूषण 1981 कानून और पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 के प्रावधानों व जारी कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कानून के विरुद्ध हो रहे इस उल्लंघन में लोगों का स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों प्रभावित हो रहे हैं।"

एनजीटी ने कहा कि राज्य स्तरीय पर्यावरण आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) ने पर्यावरण मंजूरी जारी करते हुए यह नहीं जांचा कि इन स्टोन क्रशर्स से कितना पर्यावरण प्रदूषित होगा। स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कंसेंट टू ऑपरटे जैसी मंजूरी जारी करते हुए इसे गंभीरता से देखना चाहिए था। 

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में कहा " सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि न सिर्फ भयावह वायु प्रदूषण हो रहा है बल्कि स्टोन क्रशर्स के कारण बड़ी मात्रा में धूल भी उड़ रही है। न ही कोई सेफगार्ड है और न ही किसी तरह का डिस्पले बोर्ड लगाया गया है। ज्यादातर स्टोन क्रशर्स के पास कानूनी दस्तावेज नहीं है। यह आश्चर्यजनक है कि समिति ने कहा है कि इन बेनामी स्टोन क्रशर्स के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सका है।"

पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने बड़े पर्यावरण उल्लंघन मामले में ऑनलाइन माध्यम में भी झारखंड सरकार और प्राधिकरण की तरफ से कोई भी यहां हाजिर नहीं है। पीठ ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह एक समिति का गठन कर प्रदूषण के खिलाफ तत्काल कदम उठाएं। साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ क्रिमनल केस फाइल करें जो कि इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। 

अब इस मामले की अगली सुनवाई ट्रिब्यूनल ने 10 जनवरी, 2023 को तय की है।