वर्ल्ड सोशल रिपोर्ट - 2021 "ग्रामीण विकास पर पुनर्विचार" के अनुसार, सतत विकास हेतु 2030 एजेंडा को हासिल करने के लिए ग्रामीण विकास आवश्यक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण विकास को लेकर तत्काल फिर से विचार किए जाने की आवश्यकता है।
सतत विकास को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की भूमिका के बारे में दो मतों को अपनाना संभव है। पहला सीमित मत है, जो गरीबी (सतत विकास लक्ष्य, एसडीजी 1), भूख (एसडीजी 2), और समानता (एसडीजी 5 और एसडीजी 10) के संबंध में ग्रामीण विकास से संबंधित है। दूसरा व्यापक मत है जो ग्रामीण विकास और एसडीजी के बीच व्यापक संबंधों पर जोर देता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुविधाओं तक पहुंच और इंटरनेट कनेक्टिविटी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 340 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को शहरों में बसे बिना बढ़ाया जा सकता हैं। रिपोर्ट के अनुसार कम आय वाले देशों में करीब 67 फीसदी लोग रहते हैं और जिनमें से 60 फीसदी गांवों में रहते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लगभग हर पांच में से चार लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं, यह दर शहरों की तुलना में चार गुना अधिक है।
कोविड-19 महामारी, ने लगातार गरीबी और असमानताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। यह दुनिया भर में ग्रामीण आबादी की प्रगति को रोकने का काम कर रहा है। भूमि अधिकारों और रोजगार के मामले में ग्रामीण महिलाओं, वृद्ध व्यक्तियों के साथ-साथ स्वदेशी लोगों को भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
लेकिन साथ ही महामारी ने यह भी साबित कर दिया है कि नई तकनीकें ग्रामीण आबादी को फलने-फूलने में सक्षम बना सकती हैं और ग्रामीण और शहरी भेदभाव को समाप्त कर सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि नई तकनीकों ने ग्रामीण विकास के लिए नए अवसर खोले हैं।
नई तकनीकें ग्रामीण आबादी को डिजिटल अर्थव्यवस्था, बेहतर फसल पैदावार के लिए सटीक उपकरण और दूर की नौकरियों तक पहुंच प्रदान करने का अवसर प्रदान करती हैं, ये सभी शहरों और ग्रामीण इलाकों के बीच की खाई को पाटने में मदद करती हैं।
ग्रामीण भारत में गरीबी और असमानता
ग्रामीण भारत में देश की कुल जनसंख्या के 65 फीसदी लोग निवास करते हैं, जहां पिछले दो दशकों में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों में लगातार कमी देखी गई है। दूसरी ओर ग्रामीण आय में असमानता का बढ़ना भी इसी अवधि की देन है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के ढांचे में काफी बदलाव आया है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में कृषि को छोड़कर दूसरे तरह के रोजगार ने कृषि आधारित रोजगार को पीछे छोड़ दिया है।
ग्रामीण लोग अब बिना कृषि क्षेत्र वाले सभी ग्रामीण रोजगार का 40 प्रतिशत हिस्सा है, गैर-कृषि आय के अवसरों में वृद्धि और आर्थिक विकास हुआ है। फिर भी, कृषि रोजगार का मुख्य क्षेत्र बना हुआ है और भारत के ग्रामीण लोग ज्यादातर कृषि के काम से जुड़े हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच कम है, जबकि ग्रामीण महिलाओं, वृद्ध व्यक्तियों और स्वदेशी लोगों को भूमि अधिकारों और रोजगार के मामले में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
दुनिया भर में अत्यधिक गरीबी का सामना करने वाले हर पांच में से चार लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों की गंभीर कमी और गिरावट देखी जा रही है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और जानवरों से लोगों में फैलने वाले (जूनोटिक) रोगों को बढ़ा रहे हैं जैसे कि कोविड-19 आदि।
रिपोर्ट यह सुनिश्चित करने के लिए नई रणनीतियों की पेशकश करती है कि ग्रामीण आबादी जो कि दुनिया के लगभग आधे लोग है, वे पीछे न रह जाए। क्योंकि दुनिया अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और जलवायु संकट से निपटने के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। रिपोर्ट ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार के लिए लोगों के जीवन में सुधार लाने पर जोर देती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की तरह सुविधाएं
यह सुनिश्चित करने का प्रयास कि ग्रामीण आबादी शहरी आबादी के समान जीवन स्तर जीने में सक्षम हो, वह भी शहरीकरण के गलत अथवा दुष्प्रभावों के बगैर। रिपोर्ट में श्रीलंका, जापान और चीन में, ऐसे उदाहरण मिले जहां शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक बेहतर पहुंच, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय में कम असमानता ने ग्रामीण आबादी की बेहतर जीवन जीने के तरीकों को जन्म दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, भारत और इंडोनेशिया में जहां 2000 से 2015 के बीच ग्रामीण गरीबी कम हुई, वहीं असमानता बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए, असमानताओं को दूर करने के साथ-साथ गरीबी के स्तर को कम करने के प्रयास करने चाहिए।
इसमें नई भूमि सुधार नीतियां, सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने के साथ-साथ भेदभावपूर्ण कानूनों को निरस्त करना शामिल है। ताकि ग्रामीण महिलाओं, स्वदेशी लोगों (इंडिजेनस) और अन्य कमजोर आबादी के बीच होने वाले असमानताओं से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
भूमि क्षरण और जूनोटिक रोगों का फैलना
रिपोर्ट के अनुसार, प्राकृतिक आवासों को कृषि भूमि में बदलने से कुल जैव विविधता का 60 से 70 फीसदी तक नुकसान हुआ है। जंगलों और जंगल के नुकसान के कारण कोविड-19 जैसे जूनोटिक रोगों के बढ़ने का श्रेय दिया जाता है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज का कहना है कि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 31 फीसदी सीधे कृषि और भूमि उपयोग में हो रहे बदलावों की वजह से है।
जलवायु परिवर्तन के प्रति ग्रामीण आजीविका की संवेदनशीलता को कम करने और उसको ढालने योग्य बनाने के लिए नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कम भूमि का उपयोग करने वाली फसल की किस्मों को विकसित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की गई है, मिश्रित खेती का अभ्यास करने और सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलने का सुझाव दिया गया है।
इसके अतिरिक्त 2030 तक लगभग 30 फीसदी पानी की कमी होने की आशंका है और यदि ग्रामीण विकास के मौजूदा स्वरूप जारी रहता है तो 2050 तक पृथ्वी के लगभग 95 प्रतिशत भूमि क्षेत्र खराब हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संसाधनों के सतत उपयोग के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले उपायों पर विचार किया जाना चाहिए।
कृषि क्षेत्र को बढ़ावा
जिन देशों में कम से कम 50 करोड़ कृषि श्रमिक रहते हैं उन देशों को 2030 तक कृषि उत्पादकता और छोटे पैमाने के किसानों की आय को दोगुना करने के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लक्ष्य को हासिल न कर पाने के खतरे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी ढांचे में सुधार, उपयुक्त तकनीक का उपयोग करके, प्रोत्साहन देने और निवेश बढ़ाकर कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
नई नीतियां लागू करना (क्रॉस-कटिंग नीतियां)
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए, उन कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो एक साथ कई एसडीजी हासिल करने में मदद कर सकते हैं। इनमें बुनियादी ढांचे जैसे - सड़कों का निर्माण, बिजली आपूर्ति, स्वच्छ पेयजल आदि सुविधाओं में सुधार के लिए सार्वजनिक निवेश के व्यापक कार्यक्रमों को शामिल करना।
लोगों के विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सांस्कृतिक सुविधाओं सहित, सार्वजनिक प्रशासनिक सेवाएं जैसे कानून और व्यवस्था, न्याय-निर्णय और न्याय सहित, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित ब्रॉड-बैंड इंटरनेट और अन्य सेवाएं प्रदान करना है।