जलवायु

क्या खराब बिजनेसमैन हैं ट्रंप?

अमेरिका के निर्णय के बाद पूरी संभावना है कि शैल गैस के उत्पादन से संबंधित नियमों में ढील दी जाएगी

Kundan Pandey

2016 में राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान हिलेरी क्लिंटन ने रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और अपने विपक्षी डॉनल्ड ट्रंप पर हमला बोलते हुए उन्हें अतीत में 6 बार दिवालिएपन का शिकार होना बताया था।

लगता है कि वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति ने इतिहास में अपनी असफलतओं से सबक नहीं सीखा और पेरिस समझौता से बाहर होकर अमेरिका को आर्थिक बीमारी की ओर धकेल दिया है। इस वक्त अमेरिका स्वच्छ ईंधन बाजार की अपनी रचनाशीलता से जरिए अगुवाई कर रहा है। समझौता से बाहर होने पर निश्चित रूप से इस दिशा में अमेरिकी बाजार के विस्तार, नौकरियों और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर होगा।

वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर सभी दिशा में कम कार्बन उत्सर्जन पर जोर दिया जा रहा है। इससे स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिल रहा है। यह बदलाव आधुनिक तकनीक का वाहक बन सकता है, जिसमें अमेरिका आसानी से अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

समझौता से बाहर होने के निर्णय पर हस्ताक्षर करके ट्रंप ने अपना चुनावी वादा दोहराया जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बजाय नौकरियों को प्राथमिकता देने का वादा किया था। हालांकि जॉब क्रिएशन के मामले में ट्रंप का यह निर्णय प्रतिकूल भी साबित हो सकता है।

अमेरिका के निर्णय के बाद पूरी संभावना है कि शैल गैस के उत्पादन से संबंधित नियमों में ढील दी जाएगी। इससे उद्योग इस सेक्टर में निवेश के लिए आकर्षित होंगे। इसस सौर और नवीनीकरण ऊर्जा के प्रयासों को झटका लगेगा और महंगा भी साबित होगा।

नवीनीकरण ऊर्जा मार्केट की खुशहाली

लॉरेंस बार्कले नेशनल लेबोरेटरी के एनर्जी विभाग की रिपोर्ट की मुताबिक, सोलर एनर्जी सिस्टम के रेट 2016 में अपने न्यूनतम स्तर पर थे। रिपोर्ट के लेखक गेलन बारबोस के मुताबिक, यूएस में सोलर एनर्जी के पीवी सिस्टम के रेट में लगातार लगातार छह साल से गिरावट जारी है। इससे सोलर एनर्जी का महत्व और बढ़ जाता है।

यूएस एनर्जी फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, 2016 में यूएस के पावर ग्रिड में 27 गीगावाट बिजली को जोड़ा गया है। 2012 के बाद इतनी बड़ी मात्रा में पहली बार बिजली का उत्पादन हुआ है। हैरत की बात यह है कि इसमें नवीनीकरण ऊर्जा ने अहम भूमिका निभाई है। आधिकारिक वेबसाइट कहती है कि 2016 में बिजली के उत्पादन में 60 प्रतिशत हिस्सा पवन और सौर ऊर्जा का है। जबकि 33 प्रतिशत बिजली प्राकृतिक गैसों के जरिए पैदा की गई है।

कैंपेटिबिलिटी एंड इन्वेस्टमेंट इन द यूएस इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट नामक रिसर्च पेपर ने अमेरिका में बिजली से चलने वाले वाहनों के बढ़ते चलन पर रोशनी डाली है। रिसर्च के मुताबिक, बिजली चालित वाहन अमेरिका की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का अहम हिस्सा है। अमेरिका के तीन प्रतिशत से ज्यादा सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी है। लेखक जिंग ली ने उल्लेख किया है कि 2010 के बाद बिजली से चलने वाले वाहनों की मार्केट का विस्तार हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दशकों में भी यह तेजी देखने को मिलेगी।  

उनके मुताबिक, 2011 में तीन मॉडल ही उपलब्ध थे और 14000 यूनिट की बिक्री की गई थी। ठीक पांच साल बाद यूएस ने 27 मॉडल बनाए। इनकी बिक्री में 10 गुणा इजाफा भी देखा गया।

खराब बिजनेस डील 

इस सबके बावजूद कोई पीछे क्यों जाना चाहेगा और कोयले और शेल पर जोर क्यों देगा? सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के डिप्टी डायरेक्टर जनरल चंद्रभूषण के मुताबिक, ट्रंप का निर्णय शेल के लिए बने नियमों को खत्म कर देगा और यह उद्योगों के लिए अधिक आकर्षक हो जाएगा। प्रतियोगिता के चलते नवीनीकरण आकर्षण खो सकता है। उनका कहना है कि ट्रंप का निर्णय अमेरिका को दिवालिया बना देगा। वह चमकदार सेक्टर के बार बुझे सेक्टर पर निवेश का जोर दे रहे हैं। वह एक खराब बिजनेसमैन हैं।

यही वजह है कि स्थानीय उद्योग समझौते में बने रहने के लिए कह रहे हैं। गुरुवार को कई बिजनेसमैन ने पेरिस समझौते की वकालत की। पेरिस समझौते से अलग होने के बाद ट्रंप की खासी किरकिरी हो रही है। यूरोपियन यूनियन के कई नेता उन्हें अलग थलग कर सकते हैं।